अब आपका पासपोर्ट सिर्फ अंग्रेजी में ही नहीं बल्कि हिंदी में भी होगा। पासपोर्ट अधिनियम के 50 साल पूरे होने पर शुक्रवार को विदेश मंत्री ने ये ऐलान किया। इसके अलावा भी कई और घोषणाएं की गई हैं। खाड़ी देशों जर्मनी
की तर्ज पर पासपोर्ट में अंग्रेजी के साथ ही एक अन्य भाषा के तौर पर हिंदी में भी नाम, निवास और जन्मतिथि से जुड़ी सभी जानकारियां छपेंगी। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। आवेदक जब फॉर्म पूरा कर लेगा तो उससे पूछा जाएगा कि जो नाम उसने हिंदी में भरा है, क्या वह सही है? उसमें किसी तरह की गलती तो नहीं है? आवेदक द्वारा मंजूरी देने के बाद ही फॉर्म स्वीकार होगा। इसके अलावा विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने बच्चों और बुजुर्गों के लिए पासपोर्ट फीस में कटौती की भी घोषणा की है। जिन आवेदकों की आयु 8 साल से कम या 60 साल से ज्यादा है उन्हें पासपोर्ट शुल्क में 10% की छूट दी जाएगी। विदेश मंत्रालय ने घोषणा की है कि वह हर 50 किमी पर एक पासपोर्ट केंद्र बनाएगा। इसके लिए डाक घरों में पासपोर्ट सेवा केंद्र की संख्या में भी इजाफा किया जाएगा। इनकी संख्या साल के अंत तक 200 से अधिक की जाएगी। अभी पहले चरण में 52 सेवा केंद्र खोले गए हैं। इनको पोस्ट ऑफिस पासपोर्ट सेवा केंद्र के नाम से जाना जाएगा। मुख्य डाक घर में पासपोर्ट सेवा केंद्र बनने के बाद भी पासपोर्ट बनवाने के लिए आवेदन ऑनलाइन ही करना होगा। फीस भी ऑनलाइन जमा होगी। फिंगरप्रिंट, रेटिना स्कैन, जांच आदि औपचारिकताएं डाकघर में ही होंगी। नई व्यवस्था से अब लोगों को पुलिस स्टेशन के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे। दूरसंचार मंत्री मनोज सिन्हा ने कहा 'हम सभी 800 हेड पोस्ट ऑफिस में यह सुविधा देने का आमंत्रण पासपोर्ट विभाग को दे चुके हैंं।' सुषमा ने अधिकारियों की प्रशंसा करते हुए कहा 'कई स्थानों पर लोगों को एक ही दिन में पासपोर्ट मिल जाता है। दिल्ली, गाजियाबाद, चंडीगढ़, भोपाल, तेलंगाना, हैदराबाद में पासपोर्ट कार्यालय और पुलिस विभाग में बेहतर समन्वय है। यहां पर रिकार्ड समय में सत्यापन होते हैं। जिससे लोगों को तेजी से पासपोर्ट मिल रहा है।'
कुछ पुराने नियमों को खत्म भी किया गया है। नए नियम पासपोर्ट रूल 1980 की जगह लेंगे। नए नियमों से कागजी कार्यवाही कम हो जाएगी। वहीं, अब साधु या संन्यासी पासपोर्ट फार्म में अपने माता-पिता की जगह अपने गुरु का नाम लिख सकते हैं। पहले यह व्यवस्था नहीं थी। साथ ही तलाक ले चुके लोगों को अपनी पत्नी-पति का नाम लिखना जरूरी नहीं होगा। सुषमा ने पासपोर्ट एक्ट के 50 साल होने के मौके पर स्टैंप भी लॉन्च किया।
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साभार: भास्कर समाचार
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