आईएसआईएस चीफ अबु बक्र अल बगदादी, दहशत का दूसरा नाम बन चुका है। 'द गार्डियन' की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इराक में अमेरिका का वह 'बुक्का डिटेन्शन कैम्प' ही था, जहां आईएसआईएस जैसी विचारधारा का जन्म हुआ। कैदी इस कैम्प को 'द एकेडमी' कहकर बुलाते थे। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं।
कौन है बगदादी:
- बगदादी आतंकी संगठन आईएसआईएस (इस्लामिक स्टेट) का चीफ है। बगदादी, अबु मुसाब अल-जरकावी की मौत के बाद संगठन का चीफ बना।
- 29 जून, 2014 को बगदादी ने इराक और सीरिया के अधिकांश हिस्सों पर कब्जा कर इस्लामिक स्टेट का एलान करते हुए खुद को मुसलमानों का खलीफा घोषित किया था।
- अमेरिका ने इस आतंकवादी पर एक करोड़ USD (60 करोड़ रुपए से ज्यादा) का इनाम रखा है।
पीएचडी डिग्री होल्डर है बगदादी:
- बगदादी का जन्म 1971 में उत्तरी बगदाद के सामरा में हुआ था। उसका असली नाम अव्वाद इब्राहिम अली अल-बद्री है।
- इसकी पहचान संगठन में बैटलफील्ड कमांडर और टेक्निशियन के रूप में है। एक्सपर्ट्स बताते हैं कि युवा आतंकी, बगदादी से खासे प्रभावित हैं।
- कहा जाता है कि बगदादी इस्लामिक स्टडीज में पीएचडी है। वह चार साल इराक के बुक्का में यूएस प्रिजन कैंप में भी रह चुका है।
- इसी दौरान बगदादी ने कैम्प में बंद दूसरे आतंकियों से संपर्क बढ़ाया। बुक्का डिटेन्शन कैम्प से उसे 2009 में छोड़ा गया था।
विद्रोही गुट का हो चुका था जन्म
- इराक में यूएस आर्मी के हाथ लगने से पहले बगदादी 'जैश अह्ल अल-सुन्ना वल-जमाह' (Jaysh Ahl al-Sunna wa-l-Jamaah) नामक विद्रोही गुट का गठन कर चुका था।
- यह गुट सेंट्रल और नॉर्दन इराक में यूएस आर्मी और उसके लोकल अलायंस को टारगेट करता था।
- यूएस आर्मी ने फरवरी, 2004 को फालुजा में बगदादी को धरदबोचा था। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। तब वह अपने दोस्त (यूएस के मोस्ट वॉन्टेड में शामिल) से मिलने जा रहा था।
'बुक्का डिटेन्शन कैम्प':
- गिरफ्तारी के बाद बगदादी को सदर्न इराक के 'बुक्का डिटेन्शन कैम्प' में भेजा गया। कैम्प में उसे नजरबंद रखा गया था। उसकी नजरबंदी सैन्य नहीं, बल्कि 'सिविलियन डिटेनी' यानी नागरिक नजरबंदी के रूप में थी।
- मतलब, उसके साथी कैदियों को ये मालूम नहीं था कि बगदादी भी एक आतंकी था। अगले 10 महीने तक बगदादी कस्टडी में बना रहा।
- बगदादी ने जाहिर नहीं होने दिया कि वह एक आतंकी है। उसने खुद को धर्म के प्रति समर्पित कर दिया।
- न्यूजपेपर 'द गार्डियन' ने उसके साथी कैदी अबु अहमद के हवाले से एक इंटरव्यू में बताया- 'बगदादी बेहद शांत किस्म का शख्स था। वह दूसरे कैदियों को इस्लाम के बारे में बताता था। जुमे की नमाज भी उसी के नेतृत्व में अता की जाती थी।'
- बुक्का कैम्प के यूएस कमांडर केनिथ किंग के अनुसार, बगदादी की नजरबंदी की अवधि 2005-09 तक थी।
- यह बात संदेह पैदा करने वाली है कि नजरबंदी के फौरन बाद 2010 में वह अल कायदा जैसे आतंकी संगठन में इराक के अहम पद पर कैसे पहुंचा?
- सवाल ये भी उठा था कि क्या उसकी नजरबंदी और आतंकी संगठन अल कायदा के इराक के प्रमुख बनने में कोई संबंध हैं?
फिर सामने आया बगदादी का नया चेहरा:
- अबु अहमद के अनुसार, 'कुछ दिनों बाद बगदादी ने सुन्नी कैदियों और अमेरिकियों के फेवर में बोलना शुरू किया।'
- अबु अहमद ने कहा, 'मुझे याद है, वह जेल में हर विद्रोही गुटों के बीच के झगड़ों को निपटाने के लिए खड़ा हो जाता था।'
- द गार्डियन को उसके इस सोर्स ने बताया कि असल में बगदादी के मन 'फूट डालो और शासन करो' की पॉलिसी चल रही थी। अबु अहमद ने बताया बगदादी उस कैम्प का हेड बनना चाहता था।
ISIS विचारधारा का हुआ जन्म: रिपोर्ट्स के मुताबिक, कैम्प में लगभग 24,000 सुन्नी अरब कैदी थे। ये वो लोग थे, जिन्होंने तानाशाह सद्दाम हुसैन की मिलिट्री में सेवाएं दी थी। ये लोग बाथ पार्टी से भी संबंध रखते थे।अमेरिका ने बाथ पार्टी के लोगों पर काफी जु्ल्म ढाया था। यही वजह है कि इराक में लंबे समय से हाशिए पर रहे शिया मेजॉरिटी में आए। कैम्प के अधिकांश सुन्नी कैदी बगदादी के दोस्त बन चुके थे। माना जाता है कि बगदादी ने खुद को इनका सुप्रीम साबित किया, फिर इस्लामिक स्टेट का एलान कर खुद को मुसलमानों का खलीफा घोषित किया। द गार्डियन की रिपोर्ट के मुताबिक, उसके सोर्स ने कहा कि बुक्का कैम्प ही वह फैक्ट्री थी, जहां आईएसआईएस जैसी विचारधारा का जन्म हुआ। सोर्स के मुताबिक, कैदी इस कैम्प को 'द एकेडमी' कहकर बुलाते थे।
कौन है आईएसआईएस का जनक: अबू मुसाब अल जरकावी को आईएसआईएस (इस्लामिक स्टेट इन इराक एंड अल-शाम) का जनक माना जाता है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, 1989 के दौरान वह मुजाहिद्दीन में शामिल होने के लिए पाकिस्तान पहुंचा था। तब सोवियत सेना अफगानिस्तान छोड़ चुकी थी। लगभग 11 साल बाद वह अफगानिस्तान के तीसरे सबसे बड़े शहर हेरात (ईरान की सीमा से लगा हुआ) में ट्रेनिंग कैंप 'अल तौहीद वल-जिहाद' का इंचार्ज बना। यह कैंप आगे चलकर एक आतंकी समूह के तौर पर उभरा। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। इसके बाद तौहीद वल-जिहाद समूह ने दहशत फैलाना शुरू कर दिया। 2003 में समूह ने बगदाद में जॉर्डन दूतावास पर बम धमाके किए। हमले में अयातुल्ला मोहम्मद बकीर अल-हकीम की जान चली गई। अयातुल्ला इराक में इस्लामिक क्रांति के सुप्रीम काउंसिल के नेता थे। अब जरकावी के हौसले बुलंदी पर थे। उसने 2006 में मुजाहिद्दीन एडवाइजरी काउंसिल ऑफ इराक की घोषणा कर दी। हालांकि, इसी साल 7 जून को अमेरिकी सैन्य कार्रवाई में वह मारा गया।
जरकावी के बाद कौन: अब एडवाइजरी काउंसिल को नया नेता चाहिए था। जरकावी के बाद मिस्र के अबु अय्यूब अल-मसरी उर्फ अबु हमजा अल-मुजाहिर को नया नेता बनाया गया। अबु हमजा ने बहुत जल्द इराक में अपना दबदबा कायम कर लिया। अक्टूबर में उसने इराक में एक आंदोलन को इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक (ISI) नाम दिया, जो आगे चलकर इराक के ही रहने वाले अबु उमर अल-बगदादी के नेतृत्व में आगे बढ़ा। फिर 2010 के अप्रैल महीने में दोनों मारे गए। इसके बाद अबु बक्र अल-बगदादी को नया नेता बनाया गया।
बगदादी ने आते ही अपने साम्राज्य को फैलाना शुरू किया। उसने 2011 में रमदान के मौके पर कई कमांडरों को सीरिया में संगठन का विस्तार करने के लिए भेजा। इसके बाद उसी साल दिसंबर महीने में सीरियाई संगठन जब्हात अल-नुसरा ली अह्ल अल-शाम के साथ मिलकर सीरिया में नई फ्रेंचाइजी तैयार की। बगदादी को जब संगठन के मजबूत होने का अहसास हुआ, तब उसने 2013 में इस्लामिक स्टेट इन इराक एंड अल-शाम यानी आईएसआईएस की घोषणा कर दी। फिर एक साल बाद रमदान के पहले दिन उसने इस्लामिक स्टेट बनाने की घोषणा कर दी। बीते एक साल में इस संगठन ने कई नृशंस हत्याओं को अंजाम दिया। इसमें सामुहिक नरसंहार भी शामिल है।
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साभार: भास्कर समाचार
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