Wednesday, December 16, 2015

वाहनों पर लगने वाला पर्यावरण शुल्क हो सकता है दोगुना

दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण पर सुप्रीमकोर्ट की निगाह टेढ़ी है। राजधानी की हवा शुद्ध और प्रदूषण मुक्त करने के लिए सुप्रीमकोर्ट ने कड़े आदेश जारी करने के संकेत दिये हैं। दिल्ली में प्रवेश करने वाले ट्रकों से वसूला जाने वाला पर्यावरण शुल्क दोगुना हो सकता है। इसके अलावा 2000 सीसी या इससे अधिक की इंजन क्षमता
वाली डीजल गाड़ियों के रजिस्ट्रेशन पर रोक लगाई जा सकती है। कोर्ट इस बारे में बुधवार को विस्तृत आदेश जारी करेगा। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने मंगलवार को ये संकेत दिये। पीठ ने अदालत के न्यायमित्र वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे के सुझावों पर सभी पक्षों की लंबी बहस सुनी और बुधवार को छह बिन्दुओं पर अंतरिम आदेश जारी करने की बात कही। इससे पहले साल्वे ने दिल्ली में वायु प्रदूषण की आपात स्थिति बताते हुए कहा कि उन्होंने कुछ बिन्दु तय किये हैं जिस पर कोर्ट अंतरिम आदेश जारी करे।
न्यायमित्र का सुझाव: साल्वे ने कहा कि 2005 से पहले पंजीकृत वाहनों के चलने पर रोक लगे। लाइट डीजल वाहनों पर रोक लगे। नये निजी डीजल वाहनों के पंजीकरण पर रोक लगे। इस सुझाव पर सालिसीटर जनरल ने कहा कि उन वाहनों को इससे छूट मिलनी चाहिये जो अंतरराज्यीय टैक्सी सेवा के रूप में चलाए जाने के लिए खरीदे जा रहे हों। साल्वे ने दिल्ली में न सिर्फ यूरो चार मानक लागू किये जाने बल्कि अप्रैल 2016 से राष्ट्रीय राजमार्गों पर यूरो चार मानक का ईंधन भी उपलब्ध कराने की मांग की। उन्होंने कहा कि सिटी परमिट वाली टैक्सियां जैसे ओला आदि सिर्फ सीएनजी पर ही चलनी चाहिये। कोई भी निर्माण कार्य जाल व अन्य सुरक्षा उपाय के बगैर नहीं होना चाहिये। दिल्ली में प्रवेश करने वाले वाहनों से वसूला जाने वाला 700 और 1300 रुपये का पर्यावरण क्षतिपूर्ति शुल्क दोगुना किया जाए। इस बीच बहस के दौरान कोर्ट को बताया गया कि दिल्ली में रोजाना 31 हजार से 38 हजार ट्रक प्रवेश करते हैं। जिसमें से करीब 10000 ट्रक एनएच 8 से प्रवेश करते हैं। कोर्ट ने कहा कि ट्रकों का प्रवेश रोकते समय वाहनों को वैकल्पिक मार्ग बताया जाना चाहिये। उन्हें उत्तरी और पूर्वी मार्ग पर जाने का विकल्प मिलना चाहिये। ओवर लोडेड ट्रकों से ज्यादा प्रदूषण होने की बात भी उठी।
कूड़ा व फसल जलाने पर लगे रोक: प्रदूषण के खिलाफ याचिका दाखिल करने वाले तीन नन्हें मुन्नों की ओर से केके वेणुगोपाल ने कहा कि वाहनों के अलावा कूड़ा व फसल जलाया जाना भी दिल्ली में प्रदूषण का बड़ा कारण है। इस पर सरकार ने बताया कि कूड़ा जलाने पर पूरी तरह रोक है। कोर्ट ने कहा कि वे एमसीडी सरकार व अन्य जिम्मेदार अथारिटीज को इस बारे में आदेश देंगे। 
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साभारजागरण समाचार 
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