Tuesday, April 2, 2019

गेस्ट टीचर्स सर्विस एक्ट पर हरियाणा सरकार के सामने फिर कानूनी पेंच, हाई कोर्ट ने माँगा जवाब

साभार: जागरण समाचार 
गेस्ट टीचर्स सर्विस एक्ट-2019 के अंतर्गत राज्य में वर्षो से कार्यरत गेस्ट टीचर्स की सेवाओं को निरंतर बनाए रखने का हरियाणा सरकार का प्रयास फिर से कानूनी फेर में उलझ गया है। हाई कोर्ट व सुप्रीम कोर्ट द्वारा गेस्ट
टीचरों को सेवामुक्त करने के आदेशों के बावजूद राज्य में लगभग 14 हजार गेस्ट टीचर्स को राहत देने के लिए बनाए गए गेस्ट टीचर्स सर्विस एक्ट-2019 के खिलाफ दायर की गई याचिका पर हाई कोर्ट ने हरियाणा सरकार और अन्य प्रतिवादियों को नोटिस जारी कर दिए हैं। हाईकोर्ट ने सुनवाई को 24 अप्रैल तक के लिए स्थगित कर दिया। हाई कोर्ट ने अपने आदेशों में स्पष्ट किया है कि अदालत अगली सुनवाई पर इस एक्ट पर रोक लगाने पर विचार करेगी।
जेबीटी और एचटेट पास युवाओं की एसोसिएशन के प्रदेशाध्यक्ष राजेश पाल के साथ टीजीटी व पीजीटी उम्मीदवारों ने हाई कोर्ट में दायर याचिका में कहा है कि हरियाणा सरकार ने राजनीतिक लाभ के लिए गेस्ट टीचर्स की सेवा को निरंतर बनाने के लिए यह एक्ट पारित किया है। इस एक्ट के कारण गेस्ट टीचर्स द्वारा काबिज पदों पर योग्य शिक्षकों की भर्ती नहीं हो पाएगी। याचियों के वकील जगबीर मलिक ने गेस्ट टीचर्स की नियुक्ति के खिलाफ हाई कोर्ट व सुप्रीम कोर्ट द्वारा वर्ष 2006 के बाद दिए गए कई फैसलों की प्रतियां अदालत में पेश कीं। उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार ने नए एक्ट से इन फैसलों को दरकिनार किया है, जबकि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार राज्य सरकारें अदालती फैसलों को निष्प्रभावी करने के लिए कोई कानून पास नहीं कर सकती। इस एक्ट को संविधान की धारा 14 व 16 का उल्लंघन बताते हुए मलिक ने कहा कि इस एक्ट के कारण जेबीटी, टीजीटी व पीजीटी के 14000 पदों पर एचटेट पास योग्य उम्मीदवारों की नियमित भर्ती नहीं हो पाएगी। उन्होंने कहा कि हजारों बेरोजगार युवा दिन-रात कड़ी मेहनत करके शिक्षक पात्रता परीक्षा पास करते है, लेकिन सरकार ऐसे योग्य शिक्षकों की बजाए इस एक्ट के तहत गेस्ट टीचर्स को संरक्षण देने का प्रयास कर रही है।