Wednesday, March 13, 2019

Rafale Case: रक्षा मंत्रालय ने SC से कहा, फोटो कॉपी हुए रिकार्ड राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा

Rafale Case: रक्षा मंत्रालय ने SC से कहा, फोटो कॉपी हुए रिकार्ड राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरासाभार: जागरण समाचार
राफेल मामले में आज रक्षा मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर दिया है।राफेल पेपर लीक को
लेकर रक्षा मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि इससे देश की संप्रभुता के साथ समझौता हुआ है। बुधवार को दाखिल हलफनामे में मंत्रालय ने बताया कि सरकार की अनुमति के बगैर राफेल लड़ाकू विमान डील के संवेदनशील दस्तावेजों की फोटो कॉपी की गई, जिसे चोरी से ऑफिस से बाहर ले जाया गया।
सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से साफ कहा कि जिन लोगों ने याचिका में नत्थी करने के लिए बिना अनुमति संवेदनशील दस्तावेजों की फोटो कॉपी करने की साजिश की, उन्होंने चोरी की है। हलफनामे में कहा गया कि याचिकाकर्ता यशवंत सिन्हा, अरुण शौरी और प्रशांत भूषण संवेदनशील सूचनाएं लीक करने के दोषी हैं। कोर्ट को बताया गया, 'इस तरह दस्तावेज लीक किए जाने से संप्रभुता और विदेशी संबंधों पर विपरीत असर हुआ ।'
हलफनामे में रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि राफेल समीक्षा केस में याचिकाकर्ताओं द्वारा सामने रखे गए दस्तावेज राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से संवेदनशील हैं, जो लड़ाकू विमान की युद्धक क्षमता से संबंधित हैं। मामले की आंतरिक जांच शुरू कर दी गई है।
इससे पहले कोर्ट राफेल मामले में हलफनामा दायर करने की अनुमति दी थी। बता दें कि रक्षा मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट से राफेल मामले में हलफनामा दायर करने की अनुमति मांगी थी। गौरतलब है कि इससे पहले राफेल मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने साफ तौर पर कहा था कि इस माममें में अब और कोई स्तावेज की जरूरत नहीं हैं।
इससे पहले राफेल मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार को बड़ी राहत दी थी। डील पर उठाए जा रहे सवालों पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सौदे पर कोई संदेह नहीं है। इसके साथ ही कोर्ट ने सौदे को लेकर दायर की गई सभी जनहित याचिकाओं को खारिज कर दिया था।

14 दिसंबर के फैसले पर कोर्ट का पुनर्विचार
सुप्रीम कोर्ट ने भारत व फ्रांस के बीच हुए राफेल करार को चुनौती देने वाली सारी याचिकाएं 14 दिसंबर को खारिज कर दी थीं और सरकार को क्लीनचिट दे दी थी। इस फैसले के खिलाफ पूर्व केंद्रीय मंत्री अरूण शौरी व यशवंत सिन्हा तथा वकील प्रशांत भूषण ने साझा पुनर्विचार याचिका दायर की है। इसमें आरोप लगाया गया है कि जब सुप्रीम कोर्ट ने सारी याचिकाएं खारिज करने का फैसला किया तब केंद्र ने अहम तथ्य छिपाए थे। पुनर्विचार याचिका की सुनवाई प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ कर रही है। पीठ में जस्टिस एसके कौल व जस्टिस केएम जोसेफ भी शामिल हैं।
दस्तावेज हुए चोरी: पिछले हफ्ते बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में राफेल विमान सौदे को लेकर हुई सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा था कि कुछ दस्तावेजों को रक्षा मंत्रालय से चोरी किया गया है। फिर अपने ही बयान से पलटते हुए उन्होंने कहा कि वे दस्तावेज चोरी नहीं हुए बल्की लीक हुए हैं।
बुधवार को सुनवाई के दौरान प्रशांत भूषण ने जब वरिष्ठ पत्रकार एन. राम के आलेख का जिक्र किया तो अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि जिन लोगों ने राफेल करार के दस्तावेज चुराए हैं, वे सरकारी गोपनीयता कानून व कोर्ट की अवमानना के दोषी हैं। चोरी की जांच चल रही है, अभी एफआईआर दर्ज नहीं कराई गई है। उन्होंने कहा कि राम का पहला लेख 'द हिंदू' में 8 फरवरी को छपा था और बुधवार के अंक में एक और लेख छपा है। ये कोर्ट की कार्यवाही को प्रभावित करने के लिए लिखे गए हैं, जोकि अदालत की अवमानना के तहत आते हैं। अखबार ने दस्तावेजों पर लिखे 'सीक्रेट' शब्द को मिटाकर प्रकाशन किया है। उन्होंने भूषण की पुनर्विचार याचिका खारिज करने की मांग की।
फ्रांस से भारत ने खरीदे 36 राफेल: सरकार ने भारतीय वायुसेना की मारक क्षमता बढ़ाने के लिए करीब 58,000 करोड़ रुपये में 36 राफेल लड़ाकू विमानों के लिए फ्रांस के साथ समझौता किया है। दो इंजन वाले इस लड़ाकू विमान का निर्माण फ्रांस की सरकारी कंपनी दसाल्ट एविशन करती है।
केंद्र ने राफेल सौदे का बचाव करते हुए कीमत को सार्वजनिक करने की मांग का विरोध किया था। केंद्र की तरफ से अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा था कि 2016 के एक्सचेंज रेट के मुताबिक खाली राफेल जेट की कीमत 670 करोड़ रुपये है। लेकिन, पूरी तरह से हथियारों से लैस राफेल विमान की कीमत को सार्वजनिक नहीं किया जा सकता, क्योंकि इससे देश के दुश्मन फायदा उठा सकते हैं।