साभार: जागरण समाचार
गोवा में मुख्यमंत्री मनोहर पर्रीकर के निधन के बाद से नए मुख्यमंत्री को लेकर सरगर्मियां तेज हो गई हैं। प्रमोद सावंत का नाम गोवा के मुख्यमंत्री के तौर पर सबसे आगे है। फिलहाल वे गोवा विधानसभा में अध्यक्ष के तौर
पर कार्यरत हैं। बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के अलावा नितिन गडकरी गोवा की स्थिति पर पैनी नजर बनाए हुए हैं और उन्होंने प्रमोद सावंत के साथ पणजी के एक होटल में बैठक की है।
गोवा में मुख्यमंत्री मनोहर पर्रीकर के निधन के बाद से नए मुख्यमंत्री को लेकर सरगर्मियां तेज हो गई हैं। प्रमोद सावंत का नाम गोवा के मुख्यमंत्री के तौर पर सबसे आगे है। फिलहाल वे गोवा विधानसभा में अध्यक्ष के तौर पर कार्यरत हैं। बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के अलावा नितिन गडकरी गोवा की स्थिति पर पैनी नजर बनाए हुए हैं और उन्होंने प्रमोद सावंत के साथ पणजी के एक होटल में बैठक की है।
नितिन गडकरी ने कहा कि आज शाम मुख्यमंत्री पद के लिए फैसला ले लिया जाय तो अच्छा है। हालांकि, गडकरी ने जोर देकर कहा कि मुख्यमंत्री हर हाल में बीजेपी से होगा और हम सहयोगियों से इसके लिए बातचीत करेंगे।
कौन हैं प्रमोद सावंत: प्रमोद सावंत का जन्म 24 अप्रेल 1973 को हुआ है। वह गोवा के उत्तरी गोवा के संकेलिम विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं। आयुर्वेद में डॉक्टरेट की उपाधि हासिल की है। प्रमोद सांवत की उच्च शिक्षा कोल्हापुर और पुणे से पूरी हुई है। इन्होंने सोशल वर्क में पुणे से एमए भी किया है। माना जाता है कि वह पर्रिकर के करीबी थे। बीते साल सितंबर में कांग्रेस ने प्रमोद सावंत को विधानसभा अध्यक्ष के पद से हटाने का नोटिस दिया था।
गोवा में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार में फिलहाल गोवा फॉरवर्ड पार्टी, एमजीपी और निर्दलीय शामिल हैं। सहयोगी पार्टी के नेताओं की भी नजर मुख्यमंत्री की कुर्सी पर है। यहां तक कि एमजीपी के विधायक सुदिन धवलीकर ने सीएम बनने के लिए इच्छा जाहिर की थी, जिसे कथित तौर पर बीजेपी ने ठुकरा दिया है। माना जाता है कि उन्हें और और विजय सरदेसाई को डिप्टी सीएम बनाया जा सकता है।
हालांकि मनोहर पर्रिकर के निधन के बाद पणजी विधानसभा सीट पर उपचुनाव होना है। वहीं लोकसभा के साथ ही 23 अप्रैल को शिरोडा, मांडरेम और मापुसा विधानसभा सीटों के लिए उपचुनाव पहले से ही तय हैं।
40 सदस्यीय गोवा विधानसभा में भाजपा के पास महज 12 विधायक हैं। भाजपा को गोवा फॉरवर्ड पार्टी, एमजीपी और 3 निर्दलीयों का समर्थन हासिल है। इसी साल भाजपा विधायक फ्रांसिस डिसूजा और मनोहर पर्रिकर के निधन और कांग्रेस के दो विधायकों के इस्तीफे के चलते सदन में सदस्यों की कुल संख्या 36 ही रह गई है। वहीं कांग्रेस के पास कुल 14 विधायक हैं।