Monday, March 18, 2019

नीतीश व बादल भाजपा संग चौटाला के रिश्ते बनाने में जुटे, दोस्‍ती का माहौल बनाने की कोशिश

साभार: जागरण समाचार 
हरियाणा का चुनावी रण जीतने के लिए भाजपा का प्रांतीय नेतृत्व भले ही किसी दूसरे दल के सहारे की जरूरत महसूस नहीं करता, लेकिन पार्टी हाईकमान राज्य की एक भी सीट खोने के मूड में नहीं है। राज्य की सभी दस
लोकसभा सीटों पर जीत हासिल करने की मंशा से भाजपा को जहां दूसरे दलों से आने वाले जिताऊ उम्मीदवारों पर भी दांव खेलने से परहेज नहीं, वहीं ग्रामीण व जाट मतों में सेंधमारी के लिए इनेलो के साथ राजनीतिक रिश्ते मधुर बनाने के प्रयास शुरू कर दिए गए हैैं। 
नीतीश व बादल भाजपा संग चौटाला के रिश्ते बनाने में जुटे, दोस्‍ती का माहौल बनाने की कोश्‍ािशभाजपा के साथ इनेलो के नए राजनीतिक रिश्ते कायम कराने में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल द्वारा प्रयास किए जाने की सूचना है। नीतीश कुमार के ओमप्रकाश चौटाला से अच्छे संबंध हैं, जबकि प्रकाश सिंह बादल इस परिवार के मुखिया की तरह हैं। 
हरियाणा में जीत के लिए भाजपा-इनेलो-अकाली गठजोड़ का बन रहा माहौल: पंजाब में बादल के संरक्षण वाले शिरोमणि अकाली दल का भाजपा के साथ गठबंधन है। वहां दोनों दलों के बीच सीटों का बंटवारा भी हो चुका। पंजाब में भाजपा तीन और शिरोमणि अकाली दल 10 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ेंगे। अकाली दल ने हरियाणा में भी दस्तक दे रखी है। पंजाब के भाजपा प्रभारी कैप्टन अभिमन्यु ने हालांकि अकाली दल के साथ हरियाणा में गठजोड़ को लेकर किसी तरह की टिप्पणी से इन्कार किया है, लेकिन माना जा रहा कि भाजपा, अकाली दल और इनेलो के बीच गठजोड़ का नया समीकरण तैयार करने की जिम्मेदारी पार्टी हाईकमान ने सौंप दी है।
अकाली दल की सिरसा सीट और इनेलो की सोनीपत व कुरुक्षेत्र सीटों पर निगाह: उधर, पूरी तरह से गैर जाटों की पार्टी मानी जाने वाली भाजपा के रणनीतिकार ग्रामीण वोट हासिल करने को इनेलो का हाथ पकड़ने के हक में हैैं। इस रणनीति के तहत यदि इनेलो भविष्य में भाजपा के साथ कंधा मिलाकर खड़ा नजर आए तो यह घटनाक्रम हैरान करने वाला नहीं होगा। प्रदेश में भाजपा और इनेलो के बीच दो बार गठबंधन रह चुका है। तब पांच सीटें इनेलो और पांच सीटें भाजपा ने जीती थी।
हरियाणा में आज इनेलो की स्थिति उतनी मजबूत नहीं है, जितनी जननायक जनता पार्टी के गठन से पहले हुआ करती थी। इसलिए भाजपा के साथ जाना इनेलो की राजनीतिक मजबूरी भी है, ताकि लंबे समय से सत्ता से दूर होने के कारण निराश कार्यकर्ताओं में नई ऊर्जा भरी जा सके। ऐसे में इनेलो हर तरह का फैसला लेने को तैयार दिखाई दे रहा है।
भाजपा ने दी इनेलो को पार्टी विलय करने की सलाह मगर अभी इस पर चुप्पी: भाजपा की प्रदेश यूनिट द्वारा इनेलो को अपनी पार्टी का भाजपा में करने का सुझाव देने की जानकारी भी मिली है। इनेलो नेता इस सुझाव पर राजी नहीं बताए जाते। पेशकश यह भी की गई कि अकाली दल को सिरसा और इनेलो को कुरुक्षेत्र व सोनीपत सीटें दे दी जाएं। सात सीटों पर भाजपा चुनाव लड़ ले।  भाजपा अभी इस पेशकश पर तैयार नहीं है, लेकिन दूसरे दलों की टिकटों की घोषणा के बाद इस फार्मूले पर भी विचार के विकल्प खुले हैं।
बात कच्ची होती तो कार्यकर्ताओं से राय नहीं लेते अभय: इनेलो सुप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला और विपक्ष के नेता अभय सिंह चौटाला कई बार भाजपा के प्रति अपनी पार्टी के लगाव का संकेत दे चुके हैं। झज्जर में हुई इनेलो की प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक में बाकायदा ओमप्रकाश चौटाला की चिट्ठी पढ़कर सुनाई गई, जिसमें चौटाला ने कार्यकर्ताओं से भाजपा के साथ गठबंधन पर उनकी राय पूछी है। अमूमन ऐसी राय कोई भी दल तभी लेता है, जब बात पक्की हो चुकी होती है। यदि इनेलो के साथ भाजपा का गठबंधन होता है तो विधानसभा चुनाव में उनके लिए कुछ सीटें छोड़ी जा सकती हैं।
हरियाणा भाजपा की दलील, इनेलो को आक्सीजन मिली तो हमें खतरा: हरियाणा भाजपा के नेता हाईकमान को दलील दे रहे कि यदि गठबंधन के बाद इनेलो को आक्सीजन मिल गई तो वह भविष्य में उन्हीं की पार्टी के लिए बड़ा खतरा हो सकते हैं। लिहाजा इनेलो को गठबंधन की आक्सीजन देना किसी सूरत में उचित नहीं है।