साभार: जागरण समाचार
बलात्कार के दोषी सिरसा के डेरा चीफ गुरमीत के जेल जाने के बाद उसकी गद्दी संभालने का अधिकार न उसकी गोद ली बेटी हनीप्रीत के पास है और न बेटे जसमीत के पास। गुरमीत ने वसीयत में तमाम अधिकार बेटी
चरणप्रीत कौर को दिए हैं। इस राज के खुलने के बाद गद्दी के लिए खींचतान और तेज हो सकती है। वैसे जेल में बंद गुरमीत चाहे तो तमाम अधिकार अपने पास भी रख सकता है।
अभी तक बेटे को गद्दी सौंपे जाने के कयास लगाए जा रहे थे। इसके लिए गुरमीत की सन 2004 में गुरमीत की तरफ से बनाए गए डेरे की नियमावली अथवा संविधान का हवाला दिया जा रहा था। लेकिन 2008 में डेरे की नियमावली में एक बार फिर संशोधन कर डेरा प्रमुख ने खुद को सरंक्षक रहने और बेटी चरणप्रीत को डेरे की जिम्मेदारी सौंपने की बात अंकित करा दी।
दरअसल, गुरमीत ने डेरे की नियमावली में जब सन 004 में संशोधन किया तो डेरा प्रमुख के सभी अधिकार ट्रस्ट के संरक्षक को सौंप दिए। इसके साथ ही उसने खुद को ट्रस्ट का संरक्षक घोषित कर दिया। बाद में 2008 में उसने नियमावली मे संशोधन करते हुए कॉलम नंबर 5 को बदल दिया। इस संशोधन के तहत सरंक्षक किसी को भी अपना उत्तराधिकारी घोषित कर सकता है।
कॉलम-5 (2) में स्पष्ट किया गया है कि यदि संरक्षक द्वारा प्रतिनिधि का चयन नहीं किया जाता है तो संरक्षक के सारे अधिकार चरणप्रीत कौर के पास होंगे जो राम रहीम की बड़ी बेटी है। चरणजीत मना कर देती है तो उत्तराधिकारी चुनने का अधिकार होगा।