Wednesday, September 13, 2017

कंडक्टर परीक्षा पेपर लीक कराने की साजिश; कैंडिडेट लाने वाले को 1 लाख रुपए मिलता था कमीशन

हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग की रविवार को हुई कंडक्टर की परीक्षा में पेपर लीक कराने की साजिश में पकड़े गए आरोपियों ने खुलासा किया है कि कैंडिडेट से संपर्क कराने वाले को एक लाख रुपए कमीशन दिया
जाता था। कमीशन तब मिलता था जब पूरी पेमेंट मिल जाती थी। इसका खुलासा रिमांड पर चल रहे धर्मेंद्र ने किया है। उसने छह कैंडिडेट मिलवाए थे। वहीं पेपर उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी सोनीपत निवासी राजेश खासा की होती थी। राजेश खासा पेपर निकलवाकर जितेंद्र सिवाच को देता था और वह आगे पेपर को वॉट्सएप पर भेजता। शहर यमुनानगर थाना प्रभारी डॉ. सुनील रावत ने बताया कि कहां से कैसे और किसकी मदद से पेपर लीक किया जाना था इसका खुलासा राजेश और जितेंद्र की गिरफ्तारी के बाद ही होगा। उनका कहना है कि एचएसएससी के सर्वेक्षण (सर्वे) टीम में किसको पैसे दिए राजेश जितेंद्र की गिरफ्तारी के बाद ही खुलासा होगा। अभी तक तो टीम का पता भी नहीं चल रहा है। विभाग में इस तरह की टीम नहीं बताई जा रही है। दोनों आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए पुलिस टीम सोनीपत, रोहतक, कैथल में गई हुई हैं, लेकिन शाम तक आरोपी पुलिस के हत्थे नहीं चढ़ पाए थे। 
प्रश्नपत्रों से लेकर अंसर-की की होती है वीडियोग्राफी: एचएसएससी परीक्षा के नोडल अधिकारी रहे चुके पीसी चौधरी ने बताया कि जहां पर प्रश्नपत्र प्रिंट होते हैं उसका पता एचएसएससी चेयरमैन को ही होता है। वहां से प्रश्नपत्र सीधे जिला मुख्यालय पर परीक्षा से एक दिन पहले पहुंचते हैं। यहां पर ट्रेजरी में नोडल ऑफिसर (आईएएस या एचसीएच लेवल का ऑफिसर होता है) के देखरेख में ये रखे जाते हैं। सुरक्षा कर्मियों के साथ-साथ सीसीटीवी रिकॉर्डिंग भी होती है। बंडल सेंटर तक पहुंचाने के लिए क्लास वन अधिकारी की ड्यूटी होती है। इसमें अन्य प्रशासनिक कर्मचारी भी होते हैं। सेंटर पर बंडल पहुंचने के बाद सेंटर सुपरिटेडेंट के साथ-साथ एचएसएससी की ओर से तैनात किए गए अधिकारी की जिम्मेदारी होती है। जगाधरी के महर्षि विद्या मंदिर की सेंटर के सुपरिटेडेंट चंदना देवी ने बताया कि परीक्षा टाइम से पांच मिनट पहले ही परीक्षा रूम में बंडल लाकर खोला जाता है। कंडक्टर की परीक्षा में एक ही तरह का पेपर आया था। प्रश्नपत्र परीक्षा के बाद ले जाने की कोई मनाही नहीं थी। परीक्षा रूम में बंडल खोलते समय भी वीडियोग्राफी होती है। 

ऐसे बनाई थी चेन: पुलिससूत्रों के अनुसार प्रश्नपत्र निकलवाने के बाद सबसे पहले यह जितेंद्र के पास पहुंचता। आंसर-की तैयार करने के लिए कुछ इंटेलीजेंट युवकों से संपर्क कर रखा था। आंसर-की वॉट्सएप के जरिए कैंडिडेट तक पहुंचती। ये खेल पेपर से कुछ घंटे पहले ही होता है। हालांकि एसएचओ का कहना है कि पूरे मामले का खुलासा तो सभी आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद हो पाएगा।