साध्वी यौन शोषण मामले में लगातार फाइल होने वाली रिवीजन पिटीशन पर हाई कोर्ट ने निचली अदालत की टिप्पणी पर सहमति जताई है। हस्ताक्षर और हैंडराइटिंग एक्सपर्ट अपनी पसंद का दिए जाने की अर्जी खारिज
करने के फैसले के खिलाफ डेरा सच्चा सौदा सिरसा के चीफ गुरमीत सिंह की अर्जी को खारिज करते हुए हाई कोर्ट ने जल्द से जल्द मामले में ट्रायल पूरा करने के आदेश दिए हैं। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। साध्वी यौन शोषण मामले में वर्ष 2002 में एफआइआर दर्ज की गई थी। इसके बाद 30 जुलाई 2007 को चालान पेश किया गया और 6 सितंबर 2008 को चार्जशीट तैयार कर ली गई थी। प्रोसीक्यूशन के सबूत और गवाह 3 सितंबर 2013 तक पूरे हो चुके थे। इसके बाद गुरमीत की बारी आई। उस की ओर से गवाहों और सबूतों को पेश करने का सिलसिला आरंभ हुआ। लगातार तेजी से चल रही इस कार्रवाई के दौरान गुरमीत ने गवाह के हस्ताक्षर और हैंडराइटिंग के सैंपल ले उसे मुख्य सबूतों मे मौजूद पत्र से मिलान करने की अर्जी दाखिल की। सीबीआइ कोर्ट ने चंडीगढ़ एफएसएल को इसकी जिम्मेदारी दी, जिसके खिलाफ हाई कोर्ट में अपील दाखिल की गई, जिसे खारिज कर दिया गया।
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साभार: जागरण समाचार
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