गो संरक्षण के मामले पर पिछले 29 दिनों अनशन कर रहे संत गोपालदास दो दिनों के बाद शुक्रवार को फिर प्रकट हो गए। संत ने संविधान निर्माता बाबा भीमराव अंबेडकर की मूर्ति के सामने सांकेतिक रूप से सूली पर
चढ़कर शासन-प्रशासन को मानव व लोकतंत्र को मारने का संदेश दिया। उन्होंने हाथ में संविधान की पुस्तक लेकर सरकार पर सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवहेलना का आरोप लगाया। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। इससे पहले गोपालदास ने शहर में कैंडल मार्च निकालकर बाबा की मूर्ति पर माल्यार्पण किया। संत ने मांग पूरी न होने के विरोध स्वरूप बाबा की मूर्ति के सामने हाथों-पैरों और मुंह पर काली पट्टी बांधकर सूली पर चढ़कर सरकार और प्रशासन पर मानव व लोकतंत्र की हत्या करने का संदेश दिया। वह सांकेतिक रूप से सूली पर करीब पौन घंटे तक लटके रहे। सूचना मिलने पर पुलिस-प्रशासन मौके पर पहुंचा और संत से नीचे उतरने की अपील की, लेकिन वह उसके बाद सूली पर लटके रहे। पौन घंटे बाद संत को गो रक्षकों ने नीचे उतारा और उसके बाद वह जुलूस के रूप में मानसरोवर पार्क पहुंचे। संत का कहना था कि सरकार उनकी मांग को पूरा नहीं कर रही है। इससे यही प्रतीत होता है कि सरकार लोकतंत्र का गला घोंट रही है।
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साभार: जागरण समाचार
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