जीने की राह (पं. विजयशंकर मेहता)
परिवार के सभी सदस्य चार बातों से आपस में जुड़े होते हैं। व्यक्ति तो वो होते ही हैं, उन्हें वस्तु भी मान सकते हैं, तीसरा हर सदस्य एक परम्परा है और एक-दूसरे से जुड़े रहने का चौथा आधार है मूल्य। अपने काम-काज की
जगह व्यावसायिक संस्थान में भी लोगों से जुड़ते हैं लेकिन, वहां अधिकतर मौकों पर हम उन्हें वस्तु मानकर जुड़े होते हैं। कुछ लोग व्यक्ति भी मान लेते हैं लेकिन, परम्परा और मूल्य, ये दो आधार तो परिवार में ही होते हैं। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। व्यावसायिक संस्थानों में जिन लोगों से काम लेना होता है उन्हें प्रेरणा और पुरस्कार देकर, थोड़ा-सा लालच में बांधकर बड़े-बड़े काम निकाल लेते हैं। वहां उच्च प्रबंधन या मालिक की इच्छा को चाहते हुए भी सब स्वीकार कर लेते हैं। लेकिन, घर के सदस्यों से आपका संबंध भावना का होता है। इसलिए जब भी परिवार के सदस्यों से कोई व्यवहार करें, ध्यान रखिएगा यदि वो वस्तु के रूप में हैं तो उनका सदुपयोग करें। जिस प्रकार हम वस्तु को सजाते हुए जानते हैं कि इससे सौंदर्य कैसे बढ़ेगा, ऐसे ही कुछ सदस्य हमारे वंश और कुल की सजावट के लिए होते हैं। व्यक्ति के रूप में हर सदस्य के भीतर प्राण जरूर देखिएगा। यहां से अपनापन जागता है। घर के बुजुर्ग तो पूरी ही एक परम्परा है और बच्चों में मूल्य आधारित लालन-पालन रखें। इन चार चीजों का ठीक से समन्वय करते हैं तब वंश को इस बात का गौरव होगा कि आप उसके सदस्य हैं और आपको यह अभिमान रहेगा कि इस वंश में पैदा हुए। हर मनुष्य के मस्तिष्क के पीछे एक बड़ा हिस्सा होता है, जिसमें भावना का जन्म होता है। भावना लगाव और निकटता चाहती है। इसलिए घर में इन चार आधारों पर सदस्यों से व्यवहार करें। चार आधार की यह जीवन शैली परिवार बचाने में बड़ी मददगार होगी।
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साभार: भास्कर समाचार
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