Sunday, April 23, 2017

आरक्षण का लाभ लेने वालों को नहीं मिलेगी सामान्य वर्ग में नौकरी - SC

आरक्षित वर्ग के लोगों को अब केवल आरक्षित कोटे में ही सरकारी नौकरी मिलेगी। कोटे में सीटें मिलने पर उन्हें जनरल कोटा नहीं दिया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस आर भानुमति और जस्टिस एएम खानविलकर की
पीठ ने एक याचिका का निपटारा करते हुए यह फैसला दिया। कोर्ट ने कहा, 'आरक्षित वर्ग के उम्मीदवार को उसी वर्ग में नौकरी मिलेगी, चाहे उसने सामान्य वर्ग के उम्मीदवार से अधिक अंक क्यों हासिल किए हों।' सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'अक्सर आरक्षित वर्ग के लोग सरकारी नौकरी के लिए आरक्षित कोटे में आवेदन करते हैं। वे वहां पर सीट बचने की वजह से सामान्य वर्ग के उम्मीदवारों के कोटे की सीटों की मांग करते हैं। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। इसके लिए कभी सामान्य वर्ग के उम्मीदवार से अधिक अंक लेने की दलील दी जाती है तो कभी कोई अन्य वजह बताई जाती है। मगर यह प्रक्रिया गलत है।' कोर्ट ने यह व्यवस्था आरक्षित कोटे में नौकरी पाने में असफल एक महिला उम्मीदवार की याचिका पर फैसला सुनाते हुए दी है। 
महिला ने सामान्य श्रेणी के उम्मीदवार से अधिक अंक लेने के आधार पर सामान्य श्रेणी में नौकरी दिए जाने की मांग की थी। कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता महिला ने आयु सीमा में छूट लेकर ओबीसी की आरक्षित श्रेणी में आवेदन किया था। उसने साक्षात्कार भी ओबीसी श्रेणी में ही दिया था। इसलिए वह सामान्य श्रेणी में नियुक्ति के अधिकार के लिए दावा नहीं कर सकती। जस्टिस भानुमति ने कहा, 1 जुलाई 1999 को डीओपीटी की कार्यवाही के नियम में साफ है एससी/एसटी और ओबीसी के उम्मीदवार को, जो अपनी मेरिट के आधार पर चयनित होकर आए हैं, उन्हें आरक्षित वर्ग में समायोजित नहीं किया जाएगा। उसी तरह जब एससी/एसटी और ओबीसी उम्मीदवारों के लिए छूट के मानक जैसे उम्र सीमा, अनुभव, शैक्षणिक योग्यता, लिखित परीक्षा के लिए अधिक अवसर दिए गए हों तो उन्हें आरक्षित खाली पदों के लिए ही विचारित किया जाएगा। ऐसे उम्मीदवार अनारक्षित पदों के लिए अयोग्य माने जाएंगे। 
यह है पूरा मामला: दीपा पीवी नामक महिला ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। उसने वाणिज्य मंत्रालय के अधीन भारतीय निर्यात निरीक्षण परिषद में लैब सहायक ग्रेड-2 के लिए ओबीसी श्रेणी में आवेदन किया था। परीक्षा में उसे 82 अंक मिले थे। ओबीसी कोटे के तहत आवेदन करने वाले 11 लोगों को इंटरव्यू के लिए बुलाया गया। 93 अंक लेने वाली सेरेना जोसेफ को नौकरी दी गई। वहीं सामान्य वर्ग में न्यूनतम कटआफ अंक 70 थे। मगर किसी भी सामान्य वर्ग उम्मीदवार के इतने अंक नहीं थे। दीपा ने खुद को सामान्य श्रेणी में नौकरी दिए जाने की मांग की तो मंत्रालय ने आवेदन ठुकरा दिया। उसने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। वहां भी मांग अस्वीकार हो गई। बाद में हाईकोर्ट के फैसले को दीपा ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष चुनौती दी थी।
Post published at www.nareshjangra.blogspot.com
साभार: भास्कर समाचार 
For getting Job-alerts and Education News, join our Facebook Group “EMPLOYMENT BULLETIN” by clicking HERE. Please like our Facebook Page HARSAMACHAR for other important updates from each and every field.