चौटाला शासनकाल में साल 2000 में भर्ती 3206 जेबीटी शिक्षकों की अपील पर हाई कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाते हुए एक बार मामले में दिए गए स्टे को वापस ले लिया। हालांकि बाद में सुनवाई 20 जुलाई तक स्थगित करते
हुए स्टे हटाने के आदेश पर रोक लगा दी। शुक्रवार को अपील पर सुनवाई के दौरान सभी पक्षों के वकीलों ने बेंच से मामले की सुनवाई टालने का आग्रह किया। इस पर बेंच ने कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि वकील एक साल से समय की मांग कर रहे है और कोर्ट को गंभीरता से नहीं ले रहे है। हाई कोर्ट ने पिछली सुनवाई पर स्पष्ट कर दिया था कि अगर मामले में याची की तरफ से जवाब दायर नहीं किया गया तो डिविजन बेंच द्वारा इन टीचर के हटाने पर जो रोक लगाई गई, वह हट जाएगी। ऐसे में हाईकोर्ट अपने स्टे के आदेश वापस लेता हैं। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। बाद में वकीलों के माफी मांगने और प्रभावित टीचरों के वकील ने जज को अंडरटेकिंग देकर कहा कि अगली सुनवाई पर वह इस मामले में बहस करेंगे। इस पर हाई कोर्ट ने भी साफ किया कि वह इस मामले में भविष्य में तारीख नहीं देगा और सुनवाई 20 जुलाई तक स्थगित करते हुए स्टे हटाने के आदेश वापस ले लिए।
बता दें कि हाईकोर्ट द्वारा स्टे वापस लेने का मतलब था कि 2000 में भर्ती किए गए 3206 जेबीटी टीचर की नियुक्ति रद होना। एकल बेंच ने 8 जनवरी 2014 को हरियाणा सरकार द्वारा वर्ष 2000 में नियुक्त किए गए 3206 जेबीटी टीचर में से 2984 शिक्षकों की नियुक्ति रद कर दी थी।
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साभार: जागरण समाचार
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