Sunday, April 30, 2017

लक्ष्य के अनुसार तय होने चाहिए कदम; अासान और मुश्किल काम के लिए अलग होते हैं प्रयास

काम करते हुए कई लक्ष्य और चुनौतियां सामने आती हैं। इनसे निपटने का सबका अपना तरीका होता है। इस बार हार्वर्डबिजनेस रिव्यू सेजानते हैं - कैसे तय किए जा सकते हैं लक्ष्य के अनुसार कदम। साथ ही कैसे मैनेजर्स टीम के बीच विश्वसनीय छवि बना सकते हैं।
अपने लक्ष्यों को पाने के दो तरीके हो सकते हैं- एक तरीका है फ्लेक्जिबल रहें और समय के अनुसार जरूरत
देखकर तय करते रहें कि क्या करना है। दूसरा तरीका है, आप सख्त रहें और स्पेसिफिक काम पहले से तय कर लिए जाएं। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। इन दोनों में से काम करने का तरीका क्या होगा यह निश्चय करने से पहले समझ लेना चाहिए कि लक्ष्य कितना मुश्किल है। इसे हासिल करने के लिए और क्या करना होगा और आपके पास पहले से और क्या काम हैं। अगर लक्ष्य हासिल करना आसान लग रहा हो और इसे करने के लिए बहुत मोटिवेटेड हों तो फ्लैक्जिबल अप्रोच चल सकता है। अगर लक्ष्य मुश्किल है और आपका इसके प्रति उतना जुड़ाव नहीं है, लेकिन इसे करना भी जरूरी है तो पहले ही तय कर लेना चाहिए कि कब-क्या काम करना है। 
(स्रोत:व्हेन टू सेट रिजिड गोल्स, एंड व्हेंन टू बी फ्लेक्सिबल। स्टीव मार्टिन और हेलन मेनकिन) 
जब किसी को खास प्रोजेक्ट में काम या कॉन्ट्रिब्यूट करने के लिए बुलाया जाता है तो उनके समय का सम्मान करना और अपनी तैयारी पूरी रखना जरूरी है। जो लोग प्रोजेक्ट में साथ काम करने वाले हैं उन्हें साथ लाकर पहले ही यह बता दिया जाना बेहतर होता है कि कौन-कौन रहा है और क्यों रहा है। अगर इस दौरान कोई समस्या अाती है तो उसका समाधान किस तरह होगा। किसकी उसमें क्या भूमिका हो सकती है। कुछ परिस्थितियों में बातचीत को खुला रखना बेहतर होता है। सभी की राय जान लेने से बाद में परेशानी नहीं होती। यह कहते हुए टीम मेंबर्स के साथ ब्रेन स्टॉर्मिंग की जा सकती है कि - आप क्या सोचते हैं? आपका नजरिया इस मामले में क्या है? बाद में यह भी कहा जा सकता है कि आपके इनपुट उपयोगी हैं। मैं इस मामले में यह सोचता हूं। 
(स्रोत:हाऊ मैनेजर्स केन मेक ग्रुप प्रोजेक्ट मोर इफिशिएंट। एमी जेन सू) 
नए मैनेजर्स के बारे में कर्मचारी उनकी बातों और काम के अनुसार तुरंत राय बना लेते हैं। ऐसी स्थिति में मैनेजर्स को अपनी बात ज्यादा विश्वसनीय तरीके और नियमित रूप से रखनी होती है। अपना हर काम उन मूल्यों के साथ करने की कोशिश करनी चाहिए, जिनमें पुख्ता भरोसा हो। उदाहरण के तौर पर अगर मैनेजर अपनी टीम से सटीक और कठोर काम करवाना चाहता है तो उसे पहले खुद भी ऐसा करना होता है। साथियों में विश्वास पैदा करने के लिए वह अपने अनुभव साझा कर सकता है। साथ ही टीम के सवाल और जिज्ञासाएं सुन सकता है। पहले ही दिन से अपनी बातों पर कायम रहना और बर्ताव उचित रखना जरूरी होता है। भले ही कुछ अप्रिय फैसले लेना पड़ें अपनी बात पर कायम रहना महत्वपूर्ण है। अगर बर्ताव में एकरूपता होगी तो इससे टीम को भी एक स्पष्ट संकेत मिलेगा। उन्हें इरादे को लेकर कोई संदेह नहीं होगा। 
(स्रोत:हार्वर्ड बिजनेस रिव्यू मैनेजर्स हैंडबुक)
Post published at www.nareshjangra.blogspot.com
साभार: भास्कर समाचार 
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