Sunday, April 23, 2017

पति शहीद हुए तो फौज में गईं, अब मिसेज इंडिया बनने वाली पहली फौजी बनीं कैप्टन शालिनी

कैप्टन (रिटायर्ड) शालिनी सिंह ने हाल ही में मिसेज इंडिया क्लासिक क्वीन ऑफ सबस्टेंस-2017 का ताज पहना है। शालिनी 23 साल की थीं, जब पति मेजर अविनाश सिंह भदौरिया कश्मीर में चार आतंकियों का सामना करते हुए शहीद हो गए थे। उस वक्त बेटा ध्रुव महज दो साल का था। पति को कीर्ति चक्र (मरणोपरांत) मिला। इसे शालिनी ने लिया तो उनकी आंखों में आंसू थे। पर आज शालिनी 17 साल के बेटे ध्रुव को भी वर्दी में देखना चाहती हैं। ध्रुव ने 12वीं की परीक्षा अभी दी है। वह रविवार को
एनडीए की परीक्षा देगा। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। पढ़ें शालिनी की कहानी उन्हीं की जुबानी..
मैं पहली महिला फौजी हूं, जिसने मिसेज इंडिया क्लासिक का खिताब जीता है। पति के शहीद होने के बाद मैं भी फौज में जाऊंगी, यह तय कर पाना और वहां तक पहुंचना मेरे लिए बेहद मुश्किल रहा। मुझे बार-बार याद आता था वो दिन। वह 28 सितंबर 2001 की सुबह थी। जब कश्मीर से आए फोन कॉल ने मुझे बेहोश कर दिया था। बताया गया मेजर अविनाश को गोली लगी है। 2 घंटे बाद ही दूसरी कॉल आई कि अविनाश शहीद हो गए हैं। उस वक्त मेरी नजर बस पास में ही खेल रहे ध्रुव पर जाती थी। सेना में जाने के मेरे फैसले को घर वालों ने सपोर्ट किया। फौजी की पत्नी होने के नाते मैं थोड़ा बहुत सेना को जानती-समझती थी। पर दो साल के बेटे को छोड़कर ट्रेनिंग कैसे करूंगी? कहां तैनाती होगी? ये सवाल जेहन में रहे थे। मैंने एसएसबी की परीक्षा दी। एक दिन अचानक इंटरव्यू के लिए कॉल भी गई। इलाहाबाद में इंटरव्यू के लिए एक हफ्ते रहना हुआ। ये अनुभव एक मां के नाते काफी असहनीय था। कुछ दिन बाद सिलेक्शन भी हो गया। ट्रेनिंग के लिए चेन्नई जाना था। मैं बेटे से कभी अलग नहीं रही थी, उससे दूर जाने की सोचकर बस आंसू निकलते थे। मार्च 2002 में ट्रेनिंग शुरू हुई। यहां मानसिक और शारीरिक तौर पर मुझे चुनौती मिली। ट्रेनिंग के दौरान चोट भी लगी। 6 साल तक मैंने सेना की नौकरी की, फिर रिटायरमेंट ले लिया। क्योंकि बेटे को मां की जरूरत थी। इसके बाद सभी ने समझाया कि जिंदगी अकेले कैसे काटोगी। 2008 में मैंने मेजर एसपी सिंह से दूसरी शादी की। पर उन्होंने मुझे धोखा दिया। मेरे बैंक अकाउंट से बिना बताए लाखों रुपए निकाल लिए। एक दिन मुझ पर हमला भी किया। इसके बाद हमारा तलाक हो गया।' 
अब गरीब बच्चों को पढ़ाई में कर रही मदद: शालिनी मूलरूप से यूपी के जौनपुर जिले की रहने वाली हैं। उनकी पढ़ाई कानपुर में हुई। वह एमए प्रथम वर्ष में थी, जब पति की मौत हो गई। इसके बाद पढ़ाई छोड़नी पड़ी। नौकरी के दौरान ही 2007 में एमबीए किया। फिलहाल शालिनी एक कंपनी में बतौर सीनियर मैनेजर कार्यरत हैं। इसके अलावा वह सोशल वर्क भी करती हैं। गरीब और दिव्यांग बच्चों को पढ़ाई में मदद करती हैं।
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साभार: भास्कर समाचार 
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