तत्कालीन हुड्डा सरकार के दौरान चयनित जूनियर बेसिक टीचर्स की नियुक्ति के अदालती आदेश के बाद हरियाणा रोडवेज बसों के परिचालकों की भी बांछें खिल उठी हैं। कारण कि पंजाब एवं हरियाणा हाइकोर्ट के इस
आदेश ने जेबीटी के लिए भी चयनित इन परिचालकों को कार्यक्षेत्र बदलकर नई शुरुआत की उम्मीद दी है। यही वजह है कि अब ये परिचालक टिकट काटना छोड़ देश के भविष्य को संवारने का मन बना चुके हैं। इसका प्रत्यक्ष व व्यापक असर रोडवेज प्रबंधन पर पड़ेगा। ऐसा इसलिए कि पहले से ही कमतर कर्मचारियों का दंश ङोल रहे इस महकमे को जोर का झटका लगेगा। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। अब परिचालक भी प्राथमिक स्कूलों में पढ़ाएंगे। वे रोडवेज की नौकरी छोड़ने का पूरा मन बना चुके हैं। जेबीटी अध्यापकों में रोडवेज के करीब 540 परिचालक शामिल हैं। इन परिचालकों ने भी पात्र अध्यापक परीक्षा पास कर जेबीटी अध्यापक की पात्रता बनाई थी। अब पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने पात्र अध्यापकों की नियुक्ति से रोक हटाने के आदेश जारी कर दिए हैं। बता दें कि हुड्डा सरकार ने वर्ष 2012 में इन टीचरों का चयन किया था। इस बीच मामला हाईकोर्ट में चला गया। अब कोर्ट ने चयनित अध्यापकों को बड़ी राहत दी है। इस लड़ाई को सफल बनाने में जेबीटी अध्यापकों का रोडवेज में लगे परिचालकों ने परोक्ष रूप से पूरा सहयोग किया।
प्रदेश में 540 परिचालक ऐसे हैं जो जेबीटी में चयनित हैं। रोडवेज बेड़े मे स्टाफ की कमी है। चालक प्रदेश में 5 हजार हैं। परिचालक ज्यादा हैं, उनमें से अब जेबीटी अध्यापक बन जाएंगे। ऐसे में मांग है कि सरकार जल्द से जल्द पक्के कर्मचारियों की भर्ती करे। - सरबत पुनियां, प्रदेश महासचिव, हरियाणा रोडवेज वर्कर्स यूनियन।
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साभार: जागरण समाचार
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