कांग्रेस सरकार में चयनित 9455 जूनियर बेसिक ट्रेनिंग (जेबीटी) शिक्षकों की नियुक्ति पर लगी रोक पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने हटा दी है। डबल बेंच ने याचिका दायर करने वाले 54 उम्मीदवारों के लिए सीट रिजर्व रखने
को भी कहा है। अगली सुनवाई 24 मई को तय की गई है। इन शिक्षकों का चयन हरियाणा विद्यालय शिक्षक चयन बोर्ड ने अगस्त 2014 में किया था। तब भूपेंद्र सिंह हुड्डा सीएम थे। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। अक्टूबर में विधानसभा चुनाव के कारण इनकी जॉइनिंग नहीं हो पाई। प्रदेश में भाजपा की सरकार आई तो इस चयन बोर्ड को भंग कर भर्ती का रिकाॅर्ड हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग के हवाले कर दिया। इसके बाद एक अभ्यर्थी ने चयन प्रक्रिया में रिजल्ट को चुनौती दी तो हाईकोर्ट ने चयनित टीचर्स को नियुक्ति पत्र जारी करने पर स्टे लगा दिया।
हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने भर्ती को चुनौती देने वाली याचिका को 31 मार्च 2016 को खारिज कर चयन प्रक्रिया को सही करार दिया। 11 मई 2016 को हाईकोर्ट की डबल बेंच ने एकल बेंच के आदेश पर रोक लगा दी। कोर्ट ने नियुक्ति पत्र जारी करने के आदेश दिए। प्रभावित टीचर सुप्रीम कोर्ट भी गए। सुप्रीम कोर्ट ने प्रभावित शिक्षकों को हाईकोर्ट में जाने को कहा। साथ ही हाईकोर्ट से 2 माह में फैसला देने पर विचार करने को कहा।
दो बार जांचा गया भर्ती का रिकॉर्ड: सिंगल बेंच ने भर्ती रिकाॅर्ड की केंद्रीय फॉरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला (सीएफएसएल) से जांच कराई। सीएफएसएल ने परीक्षा परिणाम में छेड़छाड़ होने की रिपोर्ट दी तो 31 मार्च 2016 को बेंच ने रोक हटाते हुए याचिकाएं खारिज कर दीं। असफल उम्मीदवारों ने इसे डबल बेंच में चुनौती दी। कहा कि जिन कंप्यूटरों में रिकाॅर्ड है, उनकी दोबारा जांच कराई जाए। डबल बेंच ने 11 मई 2016 को सिंगल बेंच के फैसले पर रोक लगा दी। कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि जांच में कुछ भी आपत्तिजनक नहीं मिला तो फिर से जांच की क्या जरूरत। लेकिन सरकार ने बताया कि भर्ती का रिकाॅर्ड पेन ड्राइव में है। इस पर कोर्ट ने कंप्यूटरों में मौजूद रिकाॅर्ड का मिलान पेन ड्राइव के रिकाॅर्ड से कराने को कहा। रिकाॅर्ड का मिलान करने के बाद अब डबल बेंच ने भर्ती पर लगी रोक हटाने का फैसला दिया।
9455 जेबीटी के लिए 40 हजार ने इंटरव्यू दिया था। शैक्षणिक योग्यता के अंक, इंटरव्यू के अंक जोड़े गए। एक स्नातकोत्तर (एमए) योग्यता प्राप्त अभ्यर्थी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर आरोप लगाया कि उसे शैक्षणिक योग्यता के 2 अंक ज्यादा मिलने थे। उनके आवेदन पर संशोधित परिणाम जारी किया गया और स्नातकोत्तर के 2 अंक का लाभ दिया गया। लेकिन इंटरव्यू में से 2 अंक कम कर दिए गए। इससे वह चयन से वंचित रह गया। कोर्ट ने इंटरव्यू का रिकाॅर्ड मांगा तो सरकार ने कहा कि डाटा कंप्यूटर में अपलोड करने के बाद दस्तावेज नष्ट कर दिए गए। इस पर कोर्ट ने जॉइनिंग पर रोक लगा दी थी।
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साभार: भास्कर समाचार
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