Tuesday, April 25, 2017

बहुत अच्छी चल रही है कंप्यूटर शिक्षा: तीन साल से सरकारी स्कूलों के जनरेटर कर रहे डीजल और मेंटिनेंस का इंतजार

10वीं-12वीं कक्षा तक संचालित सरकारी स्कूलों में रखे जनरेटर तीन साल से मेंटीनेंस का इंतजार कर रहे हैं। मेंटीनेंस के अभाव में रखे जनरेटर से तो कम्प्यूटर लैब का संचालन हो रहा है और बिजली मिल रही है। ग्रामीण
क्षेत्रों में बिजली की अधिक समस्या होने से स्कूल प्रबंधन और विद्यार्थी परेशान हैं। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। शिक्षा विभाग द्वारा मेंटेनेंस बजट नहीं दिया गया तो स्कूल प्रबंधन ने भी राशि का अभाव बताकर हाथ खड़े कर दिए। अब ऐसे में प्रदेश के 2300 स्कूलों में कम्प्यूटर लैब संचालन और बिजली उपलब्धता के लिए 92 करोड़ रुपए की लागत से खरीदे गए जनरेटर खराब हालत में स्कूलों में लगे हुए हैं। दैनिक भास्कर संवाददाता द्वारा रोहतक जिले के एक दर्जन से अधिक स्कूलों में लगे जेनरेटर का जायजा लिया गया तो अधिकांश स्कूलों के प्रिंसिपल ने उन्हें बंद बताया। ग्रामीण क्षेत्रों में संचालित स्कूलों के प्रबंधन ने बताया कि गांव में 12 से 16 घंटे लाइट गायब रहती है, इसलिए हमें तो जरूरत पड़ती है, लेकिन डीजल मेंटीनेंस का खर्च विद्यालय के बजट से निकालना संभव नहीं हो पाता। इसलिए जेनरेटर चलाने की हिम्मत नहीं पड़ती। पिछले तीन साल में शायद कभी यह जनरेटर चलाए गए हों। 
जेनरेटरों से उपकरण हो गए चोरी: स्कूलों के मुखिया बताते हैं, स्कूल परिसर में तीन साल पहले जेनरेटर लगाए गए थे, लेकिन इनका उपयोग महज छह माह तक ही किया गया, इसके बाद ये उपयोग में नहीं लाए गए। कई स्कूलों में लगे जेनरेटर से उपकरण तक भी चोरी हो गए हैं। महंगी कीमत पर आने वाले उपकरण लगवाना विद्यालय के बजट में संभव नहीं होता। विभाग की तरफ से मेंटेनेंस के लिए बजट आवंटित नहीं किया गया तो ये जेनरेटर बदहाली की भेंट चढ़ गए। 
विभाग की जल्दबाजी का नतीजा है करोड़ों की बर्बादी: हरियाणा राजकीय अध्यापक संघ संबंधित महासंघ के वरिष्ठ उप प्रधान दिलबाग अहलावत ने बताया कि पिछली सरकार में 3 साल पहले जल्दबाजी में 92 करोड़ की लागत से पूरे प्रदेश में 2300 जेनरेटर खरीदे गए थे। इसकी मंशा बिजली होने की स्थिति में जेनरेटर के जरिए कम्प्यूटर लैब बिजली की उपलब्धता कराना था। सरकार ने जेनरेटर खरीदकर स्कूलों में तो भेज दिया, लेकिन डीजल मेंटीनेंस के लिए बजट निर्धारित नहीं किया। अब स्थिति यह है कि करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद छात्रों को लाभ नहीं मिल सका। यही जेनरेटर स्कूल स्तर पर खरीदे जाते तो स्कूल के मुखिया पर मेंटीनेंस की जिम्मेदारी होती और इनकी देखरेख भी हो जाती। 
तापमान 47 पर पहुंचा, गांवों के स्कूल में बिजली नहीं: हरियाणा राजकीय अध्यापक संघ संबंधित महासंघ के भिवानी जिले के महासचिव संजीव मंडोला ने बताया कि जेनरेटर कमीशनखोरी का उदाहरण है। तत्कालीन सरकार और शिक्षा विभाग ने जितनी तेजी जेनरेटर खरीदने में दिखाई। उतनी ही देरी मेंटेनेंस कराने में लगाया गया। जब जेनरेटर खरीदे गए तो विभाग को डीजल और मेंटेनेंस का भी बजट देना चाहिए था। भिवानी में तापमान 47 डिग्री तक पहुंच चुका है, गर्मी से स्कूलों के अंदर बच्चों शिक्षकों का बुरा हाल है। उच्चाधिकारियों के समक्ष कई बार मुद्दा उठाया गया, लेकिन हर बार आश्वासन देकर टरका दिया जाता है। 
मेंटेनेंस के लिए बनाया वर्क प्लान: स्कूल शिक्षा के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी पीके दास ने बताया कि स्कूलों में रखे जेनरेटर की ताजा स्थिति पर रिपोर्ट मंगाई है। इनके मेंटीनेंस के लिए भी वर्क प्लान बनाया है। जल्द ही प्लान के अनुसार सभी स्कूलों में रखे जेनरेटरों का मेंटेनेंस कराकर कम्प्यूटर लैब के संचालन के उपयोग में लाया जाएगा।
Post published at www.nareshjangra.blogspot.com
साभार: भास्कर समाचार 
For getting Job-alerts and Education News, join our Facebook Group “EMPLOYMENT BULLETIN” by clicking HERE. Please like our Facebook Page HARSAMACHAR for other important updates from each and every field.