एन. रघुरामन (मैनेजमेंटगुरु)
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ईमानदारी से कहूं तो जब ऑरोविले के मेरे कजीन के बेटे ने दो बार 'ग्रेबोलॉजी' कहा तो, मैंने इसे दोनों बार 'बायोलॉजी' ही सुना, क्योंकि मेरे लिए यह नया शब्द था। मेरा दिमाग पहले से परिचित जवाब सुन रहा था। वह
मेरे सवालों का जवाब दे रहा था कि गर्मी की छुट्टी में वह क्या कर रहा है? ऑरोविले (भोर का शहर) दक्षिण भारत का यूनिवर्सल शहर है, जो श्रीअरविंदो और मां के विचारों के आदर्श मनुष्य की एकता को समर्पित है। पुडुचेरी से 8 किलोमीटर दूर स्थित यह शहर ऐसा नहीं कि एक दिन की ट्रिप में देख लिया जाए। यह ऐसी जगह है जहां रहा जाए और उन कामों में मगन हो जाएं, जिनसे आपको सचमुच प्यार है। मेरे कजिन वहीं काम करते हैं और रहते हैं। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। अब ग्रेबोलॉजी पर लौटते हैं। यह गार्बेज टीचिंग से जुड़ा विषय है। कचरे की ग्लोबल समस्या के समाधान के लिए ऑरोविले के एक एनजीओ 'वेस्टलेस' ने वर्ल्ड अर्थ डे पर 6 से 15 साल की उम्र के बच्चों के लिए ग्रेबोलॉजी आरंभ किया है। मेरे कजीन का सातवीं कक्षा का छात्र बेटा कचरा प्रबंधन सीख रहा है। इस विषय की गंभीरता को समझने के लिए मैंने उससे सवाल किया- तो तुम्हारे नए विषय ग्रेबोलॉजी में कौन-से चैप्टर सिखाए जा रहे हैं? उसने तुरंत जवाब दिया, '10 शैक्षणिक गतिविधियों में से तीन शुरू हो गई हैं, बाकी भी जल्द ही इसमें जोड़ दी जाएंगी। मैंने अपना सिर हिलाते हुए कहा- ओह।
उसने कहना जारी रखा,' क्लास पहले सबक इंट्रोडक्शन ऑफ सॉलिड वेस्ट से शुरू हुई है।' रचनात्मक और मनोरंजक क्लास के जरिये विषय की विस्तृत जानकारी इसमें है। इसमें 'वेस्ट रिले रेस' है। बच्चे कचरा अलग-अलग करने और इसे रिसाइकल करना सीख रहे हैं। इसके बाद अगला चैप्टर है- हाउ लॉन्ग डज़ ट्रेश लास्ट। इसमें कचरे के सड़ने और इसके निपटान का वैज्ञानिक तरीका बताया गया है। इसमें भी एक मनोरंजक एक्टिविटी है- मैप माय सॉफ्ट ड्रिंक। यह मूल रूप से प्रक्रियागत एक्टिविटी है, जिसमें पीईटी बॉट्ल्स, एल्यूमीनियम कैन और फिर से इस्तेमाल करने योग्य बॉटल सहित कई पैकेजिंग मटीरियल्स के जीवनचक्र का तुलनात्मक अध्ययन है। इस चैप्टर में दो अन्य चैप्टर भी हैं- फॉलो बॉटल और लेस पैकेजिंग। पहले सबक में छात्रों को प्लास्टिक की लाइफ साइकल और पृथ्वी पर इसके असर को बताया गया है। दूसरे चैप्टर में छात्रों को बताना है कि कैसे वे गैर-जरूरी पैकेजिंग को कम कर सकते हैं। अभी तक जो तीनों चैप्टर बताए गए हैं वे एक्टिविटी पर आधारित हैं। इसमें कोई थ्योरी नहीं है।
इसके अलावा इसमें 'स्पॉट बैटरी' भी है। यह एक कलरिंग एक्टिविटी है, जो बैटरी और पर्यावरण पर इसके असर से परिचित कराती है। साथ ही एक छोटा कदम भी बताया गया है, जो हर छात्र उठाया करता है- टाइमलाइन ऑफ स्टफ। यह एक विजुअल ग्रुप एक्टिविट है, जो पैकेजिंग के इतिहास और वेस्ट के असर के बारे में बताती है। एक सबक 'लिटर क्लीन अप' है। यह वेस्ट के स्रोत को समझने की एक्टिविटी है। इसमें छात्रों को बताया गया है कि कूड़ा क्या है और क्यों है। हर रोज छात्र 'ग्रेबोलॉजी निद्रा' की प्रेक्टिस करते हैं। यह कला और प्राचीन योग निद्रा का मिश्रण है, जो शरीर के माध्यम से जागरूकता लाने के लिए है। इसमें छात्र वेस्ट फ्री दुनिया की कल्पना करते हैं। पूरे कॉन्सेप्ट के तीन सरल पॉइंट पर हैं:
इसके अलावा इसमें 'स्पॉट बैटरी' भी है। यह एक कलरिंग एक्टिविटी है, जो बैटरी और पर्यावरण पर इसके असर से परिचित कराती है। साथ ही एक छोटा कदम भी बताया गया है, जो हर छात्र उठाया करता है- टाइमलाइन ऑफ स्टफ। यह एक विजुअल ग्रुप एक्टिविट है, जो पैकेजिंग के इतिहास और वेस्ट के असर के बारे में बताती है। एक सबक 'लिटर क्लीन अप' है। यह वेस्ट के स्रोत को समझने की एक्टिविटी है। इसमें छात्रों को बताया गया है कि कूड़ा क्या है और क्यों है। हर रोज छात्र 'ग्रेबोलॉजी निद्रा' की प्रेक्टिस करते हैं। यह कला और प्राचीन योग निद्रा का मिश्रण है, जो शरीर के माध्यम से जागरूकता लाने के लिए है। इसमें छात्र वेस्ट फ्री दुनिया की कल्पना करते हैं। पूरे कॉन्सेप्ट के तीन सरल पॉइंट पर हैं:
- सिर्फ कचरा साफ कर देना ही समाधान नहीं है।
- कचरा इससे बड़ी समस्या है।
- अच्छी आदतें डालना ही इसका समाधान है।
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साभार: भास्कर समाचार
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