एन. रघुरामन (मैनेजमेंट गुरु)
स्टोरी 1: सभी लोग यह जानते हैं नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो के डेटा के अनुसार 1.3 लाख लोग हर साल आत्महत्या कर लेते हैं। इनमें से 60 हजार फांसी लगाकर जान देते हैं। इनमें 30 हजार लोग पंखे पर लटककर
जान देते हैं। हर महीने 2.5 लाख पंखे बनते हैं लेकिन, क्रॉम्प्टन ग्रीव्स के एक रिटायर्ड असिस्टेंट जनरल मैनेजर शरद अशानी ने इस दिशा में काम किया है। उन्होंने पंखे की मूल रॉड के डिजाइन में लगातार 12 साल तक बदलाव किए और दो माह पहले इसका प्रोडक्शन शुरू कर दिया। यह रॉड करती क्या है? अगर कोई इस पर लटकने की कोशिश करे तो यह रॉड पंखे से अलग हो जाती है और व्यक्ति को सुरक्षित जमीन पर उतार देती है। रॉड एक गांठ के मैकेनिजम के साथ आती है, जैसे ही एक सीमा से ज्यादा वजन इस पर आता है यह गांठ या सिटकनी खुल जाती है। अशानी ने 250 रुपए देकर इस तकनीक का पेटेंट हासिल किया है। पिछले सप्ताह 61 साल के इस इलेक्ट्रिक इंजीनियर ने लघु, छोटे और मध्यम उद्योग मंत्रालय से इसके लिए अप्रुवल मांगा है। ताकि इसमें सुरक्षित रॉड में वायरिंग की जा सके। 10 हजार रॉड प्रतिदिन उत्पादन क्षमता के साथ वे हॉस्टल्स की मदद के लिए तैयार हैं, ताकि उनमें युवकों की आत्महत्या की घटनाएं रुक सकें। उनका अगला कदम होगा इस सेट-अप में एक अलार्म लगाना, ताकि लोग इसके प्रति सतर्क हो सकें। उनका दावा है कि जिंदगी बचाने के लिए सिर्फ एक रॉड बदलने की जरूरत है।
स्टोरी 2: इंटरनेशनल मैग्जीन लानसेट प्लेनेटरी हैल्थ ने अपनी एक नई स्टडी में सलाह दी है कि भारतीय लोगों को अधिक सब्जियां, फलियां, फल जैसे तरबूज, संतरे और पपीता खाना चाहिए। इससे देश की भूजल की समस्या का समाधान होगा, क्योंकि इनकी उपज लेने में कम पानी की जरूरत होती है। साथ ही इससे स्वस्थ लाइफ स्टाइल भी बनेगी। लेकिन, इस रिपोर्ट के आने के पहले ही कर्नाटक के एक गांव के कैलाश मूर्ति ने अपने 11 एकड़ के खेत को हरा-भरा और उपजाऊ बना लिया था। वे ऊपर बताई गई चीजों की खेती पहले ही शुरू कर चुके थे। पूरा राज्य 40 साल के सबसे बड़े सूखे से गुजर रहा है। एक तरफ सभी लोग बाघ और हाथियों को बचाने की बात कर रहे हैं, जो जरूरी भी है, लेकिन दूसरी ओर मूर्ति सूक्ष्म जीवाणुओं को बचाने की बात करते हैं, क्योंकि ये भी खत्म होते जा रहे हैं। उनका मानना है कि सूक्ष्म जीव जैव विविधता के संरक्षक हैं। अगर आप उनके खेत की थोड़ी सी मिट्टी उठाएंगे तो उसमें जीवन देने वाले जीवाणुओं सहित कुछ कुलबुलाते और रैंगते हुए कीड़े पाएंगे। वे किसी तरह के कीटनाशक का इस्तेमाल नहीं करते और वे खेत को खुद लड़ने और पनपने देते हैं। पौधे सूर्य की रोशनी में ही पलते हैं और वे बारिश का 90 प्रतिशत पानी संग्रहित करते हैं। इसका प्रत्यक्ष असर ये है कि 11 एकड़ में पनपा यह छोटा जंगल उनके बड़े परिवार को पूरे साल भोजन उपलब्ध कराता है। वे आसपास के किसानों की मदद भी अपने यहां मौजूद पानी से गर्मियों के दिनों में करते हैं।
स्टोरी 3: हीमोफीलिया के मरीज का उपचार आसान काम नहीं है। बहुत कम प्रशिक्षत डॉक्टर्स हैं जो इसका उपचार कर सकते हैं। मरीज सिर्फ आपात स्थिति में ही ट्रेवल कर सकता है और वो छोटी चोट को नज़रअंदाज करता रहता है। बाद में ये बड़ी समस्या बन जाते हैं। जब शरीर से रक्त बहने लगता है तो इसे रोकना मुश्किल हो जाता है लेकिन, पुणे के स्टार्टअप पेरविंकल टैक्नोलॉजी के आईटी प्रोफेशनल वीना मोकतली और कौस्तूभ इस मामले में बधाई के पात्र हैं कि उन्होंने व्हाट्सएप जैसा इंटरफेस बनाया है जो वीडियो कंसल्टेशन की सुविधा बिना देर किए डॉक्टर को देता है।
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साभार: भास्कर समाचार
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