Wednesday, December 16, 2015

2004 में प्रणब को पीएम बनाते तो नहीं हारते 2014 में - सलमान खुर्शीद

2004 के लोकसभा चुनाव के बाद संप्रग सरकार का नेतृत्व करने के लिए प्रधानमंत्री के रूप में प्रणब मुखर्जी की जगह मनमोहन सिंह के चयन से ना सिर्फ कांग्रेस, बल्कि बाहरी लोगों को भी आश्चर्य हुआ और कई लोगों का कहना है कि अगर प्रणब प्रधानमंत्री बनते तो 2014 के लोकसभा चुनाव में पार्टी की हार नहीं होती। यह कहना है पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद का। 
मनमोहन सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे खुर्शीद ने अपनी नई किताब "द अदर साइड ऑफ माउंटेन" में कहा है कि निकृष्टतम स्थिति से गुजरने के बाद होशियारी दिखाना हमेशा आसान होता है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि पूरे देश ने नरसिंह राव सरकार के दौरान दिशा बदल देने वाले वित्तमंत्री के रूप में डा. मनमोहन सिंह की तारीफ की थी। उन्होंने कहा, 'लेकिन जब डा. सिंह ने 1999 का लोकसभा चुनाव दक्षिण दिल्ली से लड़ा जिसे उनके लिए देश में सबसे सुरक्षित सीट समझी गई थी तो उन्हें एक ऐसे उम्मीदवार ने परास्त कर दिया जिनका नाम बहुत लोग याद नहीं कर पाएंगे। संप्रग-2 में विदेश मंत्री रह चुके खुर्शीद अपने आप को सौभाग्यशाली मानते हैं कि उन्हें प्रधानमंत्री का विश्वास हासिल था। 
यह और बात है कि एक बार प्रेस में दिए एक बयान के लिए उनको मनमोहन से हल्की-सी डांट पड़ी थी। खुर्शीद ने लिखा है, एक बार मैंने मीडिया में संकेत दिया कि भारत अफगानिस्तान को घातक हथियार नहीं दे सकता है। इस पर डॉ. सिंह ने मुझसे कहा कि राष्ट्रपति हामिद करजई एक शंकालु व्यक्ति हैं। 
इसलिए विदेश मंत्री के रूप में काम करते हुए आपको सावधान रहना होगा। यह इस तथ्य के बावजूद है कि सैन्यकर्मियों ने मुझसे कहा था कि हमारे पास अनगिनत टैंक रिजर्व में हैं जिनकी सेना में उपयोग की उम्मीद नहीं है। 
संप्रग-2 में हम ज्यादा बहुमत से आए थे: खुर्शीद ने अपनी किताब को एक व्यक्ति की नहीं बल्कि बहुत सारे लोगों की संक्षिप्त जीवनी बताई है जो संप्रग के हिस्सा थे। उन्होंने कहा, कुछ प्रारंभिक अनिच्छा के बाद, संप्रग-1 का नेतृत्व करने के लिए मनमोहन सिंह को चुनने के सोनिया गांधी के फैसले का केवल व्यापक स्वागत हुआ बल्कि 'पांच साल बाद के चुनावी जनादेश से सही भी साबित हुआ जब हम ज्यादा बहुमत से सत्ता में वापस आए। 
टूजी स्पेक्ट्रम, कोलगेट जैसे घोटालों पर भी सफाई: खुर्शीद ने अपनी किताब में संप्रग के कार्यकाल में टूजी स्पेक्ट्रम, राष्ट्रमंडल और कोलगेट जैसे घोटालों पर भी सफाई दी है। उन्होंने कहा है कि इन मामलों की जांच करने वाली किसी भी एजेंसी ने पैसे के लेनदेन का आरोप नहीं लगाया है। संप्रग सरकार ने कोई घोटाला नहीं किया। खुर्शीद के मुताबिक, किसी गलत निर्णय के लिए अनियमितता और भ्रष्टाचार का आरोप लगाना बहुत आसान होता है।  
Post published at www.nareshjangra.blogspot.com
साभारभास्कर समाचार 
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