Sunday, April 14, 2019

करनाल ITI में हुई पुलिसिया वहशत की जांच करेगी चार सदस्यीय कमेटी

साभार: जागरण समाचार 
शुक्रवार को आइटीआइ में प्रिंसिपल और इंस्ट्रक्टर्स समेत विद्यार्थियों के साथ पुलिस की बर्बरता की जांच चार सदस्यीय कमेटी करेगी। यह कमेटी एक सप्ताह में अपनी रिपोर्ट देगी। मामले में तीन पुलिस कर्मचारियों को
लाइन हाजिर किया गया है। सीएम मनोहर लाल ने घटना पर दुख जताया। कमेटी में एसडीएम नरेंद्र पाल मलिक, एएसपी राजेश कुमार, स्किल डेवलपमेंट एंड इंडस्ट्रीयल टेनिंग विभाग के एडीशनल डायरेक्टर आरपी श्योकंद और आइपीआइ से जसबीर संधू को शामिल किया गया। उन्होंने कहा कि जो भी मामले में दोषी पाया जाएगा उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी।  
इधर घटना स्थल से पकड़े गए 104 विद्यार्थियों को देर रात पुलिस ने जमानत पर छोड़ दिया है। विद्यार्थियों ने बताया कि उन्हें पुलिस ने कक्षा से उठाकर जबरदस्ती पकड़ा था। जिस वक्त वारदात हो रही थी वह अपनी कक्षाओं में बैठे हुए थे। अपने साथी निकित की मौत के बाद आइटीआइ स्टूडेंट्स चौक पर रोष जताने के लिए एकजुट हुए थे, तभी पुलिस ने उन पर पथराव कर दिया। बाद में पुलिस ने आइटीआइ परिसर में मारपीट की। एसपी सुरेंद्र भौरिया ने बताया कि इस मामले में वह कुछ नहीं बोल सकते। क्योंकि अब एक कमेटी इसकी जांच कर रही है। जांच रिपोर्ट आने के बाद ही कुछ बताया जा सकता है। उन्होंने उन आरोपों पर कुछ भी कहने से इन्कार दिया, जिसमें कहा जा रहा है कि पुलिस ने बिना इजाजत ही गोली चलाई और आइटीआइ में घुस कर लाठीचार्ज किया। कमेटी ने शनिवार से जांच शुरू कर दी है। यही देखा जा रहा है कि आखिर वह क्या कारण रहे, जिससे मामला इतना बड़ा बन गया। पुलिस की भूमिका क्या रही। पुलिस ने जो आरोप आइटीआइ स्टाफ और स्टूडेंट्स पर लगाए हैं, उनकी सच्चाई क्या है? इस पर भी कमेटी जांच कर अपनी रिपोर्ट सरकार को देगी। एसपी ने इस मामले में तीन कर्मचारियों सेक्टर चार चौकी के हवलदार राजेश कुमार, सीआइए वन के हवलदार सतीश कुमार व माडल टाउन चौकी के हवलदार सुखदेव सिंह को लाइन हाजिर कर दिया है।
  • शि क्षको! हम शमिर्ंदा हैं। माफी चाहते हैं। हम समाज की तरफ से बोलना चाह रहे हैं। गूंगे और बहरे समाज की तरफ से तो क्रूर समाज की तरफ से भी। अपने उन बच्चों की तरफ से जिनकी वजह से आपकी जलालत हुई। मान लिया करनाल आइटीआइ के छात्रों ने बड़ा गुनाह किया था। उन्हें सर्विस लेन पर प्रदर्शन नहीं करना चाहिए था। लेकिन प्रिंसिपल बलदेव सिंह सगवाल ने क्या किया था? उनके साथ जो हुआ, उसके लिए तो समाज ही दोषी है न। समाज के बच्चे ही तो उनके छात्र हैं। सभ्य समाज शिक्षकों की इच्जत नहीं करेगा तो क्या नशे में चूर लोग करेंगे। यह नशा चाहे सत्ता का हो, पद का हो या वर्दी का हो। वह माफी नहीं मांगेंगे। साजिश करके शिक्षकों को ही साजिश में फंसाएंगे। इसलिए हम समाज की तरफ से माफी मांग रहे हैं। उस समाज की तरफ से, जो बेसहारा है। नेताओं के दृष्टिकोण पर सवाल उठाने का गुनाह भी हम नहीं करना चाहेंगे। महात्मा गांधी का देश है। समाज में हम उनके तीन बंदरों की तरह हैं। न इस अव्यवस्था के लिए बुरा बोल सकते। न अव्यवस्था के खिलाफ सुन सकते। ..और न ही देख सकते। लोकतंत्र के तीनों स्तंभों के आगे हम नतमस्तक हैं। शिक्षको! समाज वाकई शमिर्ंदा है। हमारी जो स्थिति है उसमें आइटीआइ के छात्रों को अपने साथी की सड़क दुर्घटना में मौत पर मातम नहीं मनाना चाहिए था। सड़क दुर्घटनाओं पर कान में तेल डालकर सो रही व्यवस्था को जगाने के लिए तालियां नहीं बजानी चाहिए थी। बच्चे रोडवेज बसों की उम्मीद क्यों करते हैं? आश्वासन तो दे दिया था। और क्या चाहिए था? (कुछ उसी तरह से, सूखी रोटी नसीब नहीं है तो ब्रेड-बटर क्यों नहीं खा लेते।) समाज शमिर्ंदा है क्योंकि आइटीआइ के छात्रों के सामने यह समस्या एक दिन में नहीं आई। .. और समाज चुप रहा। समाज शमिर्ंदा है क्योंकि चुप है। चुप रहना उसकी मजबूरी है। शिक्षको! आप भी समझ सकते हो कि किसी अदना शिक्षक को प्रिंसिपल के खिलाफ जांच की जिम्मेदारी नहीं सौंपी जा सकती। जांच कमेटी में शामिल प्रशासनिक अधिकारियों के प्रति संवेदना है। वह जो जांच रिपोर्ट सौंपेंगे उसकी गंध घोषणा के साथ ही फैल गई है। 17-18 की उम्र वाले छात्रो! आपकी कराह दिल की गहराई से महसूस करते हुए भी समाज चुप है। मासूम छात्रओ! बेटियो! आप पर चली लाठियों के निशान ताउम्र रहेंगे। आप देशद्रोही पत्थरबाज नहीं थीं। दसवीं के बाद आइटीआइ कर रहे बच्चो! हम शमिर्ंदा हैं क्योंकि व्यवस्था के सामने मूक रहना मजबूरी है। स्वतंत्र एजेंसी से जांच की मांग भी नहीं उठा सकते। पता नहीं समाज में कब किसे निशाना बना दें। और बच्चे किसी जाति, धर्म, क्षेत्र के तो थे नहीं। समाज के बच्चे थे। समाज चिंतित है क्योंकि सैकड़ों स्कूल और कॉलेज सड़कों के किनारे ही हैं। सत्ता की बसें बच्चों को कुचलती रहेंगी। जो विरोध करेगा, उस पर डंडे तोड़े जाते रहेंगे। अपने कमरे में बैठे प्रिंसिपल बच्चों के गुनाहों के शिकार बनेंगे। शिक्षकों! हम चुप रहेंगे। इसलिए हम शमिर्ंदा हैं। सरकार! कृपया आप भी तो कुछ शर्म कीजिए!! जांच तो स्वतंत्र करा लीजिए। बच्चों-शिक्षकों का दर्द तो जान लीजिए। सतीश चंद्र श्रीवास्तव

तूल पकड़ रहा मामला: लोस चुनाव में पुलिस की कार्रवाई खासा तूल पकड़ रही है। छात्रों के अभिभावकों ने इस घटना की कड़ी निंदा की है। उन्होंने कहा कि बच्चों पर पुलिस ने उनके बच्चों पर अत्याचार किया है। आरोपी पुलिसकर्मियों की पहचान कर उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। इधर इंडियन नेशनल लोकदल के छात्र संगठन आइएसओ के राष्ट्रीय प्रभारी अजरुन चौटाला ने आइटीआइ चौक पर जाकर पहुंच कर हालात का जायजा लिया। उन्होंने कल्पना चावला मेडिकल कालेज में दाखिल घायल छात्रों से भी मुलाकात की।