साभार: जागरण समाचार
आमतौर पर शांत माने जाने वाला मुख्यमंत्री का शहर करनाल शुक्रवार को आइटीआइ के सैकड़ों छात्रों और पुलिस के बीच हुई पत्थरबाजी से दहल उठा। प्रदर्शन कर रहे छात्रों को हटाने के लिए पुलिस ने भी जवाब में
पत्थर बरसाए और लाठीचार्ज कर दिया। इसमें करीब 80 छात्र घायल हो गए। इनमें कुछ छात्रों ने निजी अस्पताल तो कुछ ने सरकारी अस्पताल में उपचार कराया।
पथराव में करीब 20 पुलिसकर्मी भी जख्मी हो गए। बाद में पुलिस ने छात्रों के साथ प्रिंसिपल और चार इंस्ट्रक्टर को भी हिरासत में लिया। इन पर छात्रों को उकसाने का आरोप है। हालांकि इन्हें बाद में छोड़ दिया। पूरे विवाद की वजह बना एक दिन पहले हुआ हादसा।
रोडवेज बस की चपेट में आने से छात्र निकित की मौत हो गई थी। इससे नाराज छात्र बड़ी संख्या में शुक्रवार को प्रदर्शन करते हुए आइटीआइ चौक की सर्विस लेन पर जम गए। वे आरोपित पर कार्रवाई, बस और व्यवस्था की मांग कर रहे थे। मामला बढ़ता देख साढ़े आठ बजे 30 पुलिसकर्मी मौके पर पहुंचे। उन्होंने छात्रों को सड़क से खदेड़ दिया। 9:40 बजे पुलिस ने आइटीआइ परिसर में घुसने की कोशिश की। छात्रों ने तब पुलिस पर पथराव कर दिया। हालात इतने खराब हुए कि पुलिस और छात्रों के बीच डेढ़ घंटे तक पत्थरबाजी होती रही। हालात इतने बिगड़े कि सुरक्षाकर्मियों को हवा में फायर करने पड़े। अतिरिक्त पुलिस बल मौके पर बुलाकर छात्रों को आइटीआइ में घेर लिया गया। पुलिस ने यहां जमकर लाठियां भांजी। बचने के लिए छात्र एक वर्कशाप में छुप गए। यहां भी शटर खुलवा कर लाठीचार्ज किया। आरोप है कि इस दौरान पुलिसकर्मियों ने परिसर की कक्षाओं में घुस कर भी स्टूडेंट्स को पीटा। बाद में पुलिस टीम सौ के करीब स्टूडेंट्स और इंस्ट्रक्टर को काबू कर दो बसों में भर कर दूसरी जगह ले गई।
इस मामले में अभी कुछ नहीं कह सकते। जांच चल रही है। - सुरेंद्र सिंह भौरिया, एसपी, करनाल।
¨प्रसिपल व चार इंस्ट्रक्टर को भी नहीं छोड़ा: आरोप है कि ¨प्रसिपल बलदेव सिंह सगवाल को पुलिसकर्मियों ने कॉलर से पकड़ थप्पड़ मारते हुए धकेलते हुए हिरासत में ले लिया। पुलिस का यही रवैया इंस्ट्रक्टर्स के साथ रहा। पुलिस ने इंस्ट्रक्टर सुरेंद्र, मलखान और रामबिलास को भी थप्पड़ मारे। कमर पर भी लाठियां मारीं। उन्हें काफी चोट आई। पुलिस से बचने के लिए दोनों बाथरूम में छुप गए। पुलिस ने बाथरूम का दरवाजा तोड़ उन्हें बाहर निकालकर पीटा। शिक्षकों पर आरोप लगाया कि इन लोगों ने बच्चों को भड़काया है। वहीं, शिक्षकों ने पुलिस के सारे आरोपों को गलत करार दिया है।
कक्षाओं में छात्रएं छिपीं तो पुलिस ने तोड़ डाले दरवाजे: छात्रएं कक्षाओं में छुप गईं तो पुलिस ने उन्हें वहां भी नहीं छोड़ा। धक्के मार कर दरवाजे तोड़ दिए। इसके बाद कक्षा में छुपी छात्रओं और महिला स्टाफ के साथ मारपीट की। उन्हें बाद में जमीन पर बैठाया गया। उनके साथ ऐसा व्यवहार किया गया मानों वे अपराधी हों। कुछ छात्रएं पुलिस की बर्बरता की वीडियो बना रही थीं, उनके मोबाइल तोड़ दिए।
शिक्षकों और छात्रों पर तान दी ऑटोमैटिक राइफल: निहत्थे शिक्षकों और छात्रों को काबू करने के लिए पुलिस ने आइटीआइ परिसर के बाहर ऑटोमैटिक राइफल तान दी। शिक्षकों का कहना था कि पुलिस ने ऐसा व्यवहार किया, जैसे वहां सभी आतंकी हों। यदि किसी तरह की दिक्कत थी तो ¨प्रसिपल से आकर बात कर सकते थे। उपद्रव मचा रहे लड़के तो भाग गए लेकिन जो बच्चे पढ़ रहे थे, उन्हें पुलिस ने निशाना बनाया।
पुलिस ने तोड़े सीसीटीवी कैमरे: शिक्षण संस्थान में सीसीटीवी कैमरे लगे हुए हैं। आरोप है कि पुलिसकर्मियों ने उन्हें तोड़ दिया है। सीसीटीवी का रिकार्ड स्टोर करने वाले डीवीआर को उठा लिया है।