साभार: जागरण समाचार
हरियाणा की सबसे बड़ी ग्रुप डी की भर्तियों में बड़ी संख्या में युवा फर्जी विकलांग प्रमाणपत्र बनवा कर दिव्यांगों के कोटे से भर्ती हो गए। गड़बड़झाले की लगातार शिकायतों पर संज्ञान ले प्रदेश सरकार ने दिव्यांगों की श्रेणी में
चयनित सभी कर्मचारियों की फिर से मेडिकल जांच कराने का निर्देश दिया है। जांच में विकलांगता के सर्टिफिकेट गलत निकले तो न केवल इन कर्मचारियों की नौकरी जाएगी, बल्कि आरोपितों पर एफआइआर भी दर्ज कराई जाएगी।
हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग ने पिछले दिनों ग्रुप डी के 18 हजार 218 पदों पर भर्तियां की थी। इस दौरान 565 कर्मचारी दिव्यांग कोटे से भर्ती हुए। इनमें 145 वीएच (नेत्रहीन), 132 एचएच (मूक बधिर), 208 ओएच (शारीरिक अक्षम) और 80 बीएमडी हैं। शिकायतों के मुताबिक कई युवाओं ने डॉक्टरों से मिलीभगत कर फर्जी विकलांग सर्टिफिकेट बनवाए और ज्वाइनिंग कर ली। इस संबंध में विभिन्न महकमों से शिकायतें सरकार के पास पहुंच रही थी। इस पर एक्शन लेते हुए मुख्य सचिव डीएस ढेसी ने सभी प्रशासनिक सचिवों, विभागाध्यक्षों और बोर्ड-निगमों के प्रबंध निदेशकों को दिव्यांग कोटे में भर्ती सभी कर्मचारियों की तुरंत प्रभाव से मेडिकल जांच कराने के लिखित आदेश दिए हैं।
सर्टिफिकेट गलत निकले तो नपेंगे आरोपित कर्मचारी, दर्ज होगी एफआइआर: सामान्य प्रशासन विभाग ने सभी महकमों से ग्रुप-डी की भर्तियों में चयन होने के बावजूद ज्वाइनिंग नहीं कर रहे कर्मचारियों की सूची मांगी है, ताकि रिक्त पदों को पुनर्विज्ञापित किया जा सके। एक सप्ताह बाद भी नोडल अफसरों द्वारा ऐसे कर्मचारियों के नाम विभाग की वेबसाइट पर नहीं डालने पर सरकार ने सख्त रुख अख्तियार कर लिया है। सभी प्रशासनिक सचिवों और विभागाध्यक्षों को तुरंत प्रभाव से सूची वेबसाइट पर डलवाने के साथ ही लेटलतीफी कर रहे नोडल अफसरों पर सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं।