साभार: जागरण समाचार
प्राइवेट स्कूलों के प्रति अभिभावकों को खुद जागरूक होना पड़ेगा। अगर कोई भी प्राइवेट स्कूल खुद किताबें दे रहा है या फिर बार-बार एडमिशन फीस ले रहा है तो मत दें। इसकी शिकायत शिक्षा विभाग को करें। अभिभावक
लिखित में शिकायत नहीं देते हैं इसके चलते विभागीय कार्रवाई नहीं हो पाती है। कोई भी स्कूल बोर्ड के अलावा निजी प्रकाशक की किताबें नहीं लगा सकता है।
इस संबंध में उपायुक्त की तरफ से सभी स्कूलों को सख्त निर्देश दिए गए हैं। अगर किसी स्कूल में प्राइवेट किताबें मिलती हैं तो मान्यता रद भी हो सकती है। यह बात जिला शिक्षा अधिकारी दयानंद सिहाग ने शुक्रवार को दैनिक जागरण कार्यालय में पाठकों की शिकायतें सुनते हुए कही। कार्यक्रम में 15 पाठकों ने अपनी समस्याएं रखीं। किसी ने स्कूलों की मनमानी पर रोक लगाने की मांग की तो किसी ने 134 ए के दाखिला प्रक्रिया के बारे में जानकारी हासिल की। जिला शिक्षा अधिकारी सिहाग ने शिकायतें सुनते हुए कहा कि अभिभावक अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूल की जगह सरकारी स्कूलों में दाखिला करवाएं। अगर अभिभावक जागरूक हो जाएंगे तो प्राइवेट स्कूलों की लूट खुद ही बंद हो जाएगी।
सवाल : गैर मान्यता प्राप्त स्कूल अभी तक चल रहे हैं, इन्हें बंद क्यों नहीं करवाया गया?-सुशील बिश्नोई, फतेहाबाद
जवाब : जिले के 87 स्कूलों को नोटिस जारी किया गया था। इन स्कूलों ने नोटिस का जवाब दे दिया है। जिन स्कूलों के पास मान्यता संबंधित दस्तावेज नहीं है। उन्हें बंद करवाया जाएगा। वहां पर दाखिला लेने वाले स्कूलों को दूसरे स्कूल में शिफ्ट करवाया जाएगा। अभिभावकों को भी जागरूक होना जरूरी है। प्राइवेट स्कूलों के निरीक्षण की जहां तक बात है विभाग की तरफ से समय-समय पर जांच की जा रही है।
वाल गांव के स्कूल की बिलिं्डग कंडम हो चुकी है, कभी भी हादसा हो सकता है। समस्या का समाधान करवाए। -बलकार, रत्ताखेड़ा।
जवाब : स्कूल के कमरों की बोली करवाकर, इन्हें गिरवाया जाएगा। अगर बोली नहीं हो रही है तो इसके रेट में कमी की जाएगी। तीन बार में अगर बोली नहीं छूटती है तो इसके बाद रेट कम किया जा सकता है।
सवाल : मेरी बेटी प्राइवेट स्कूल में 134 ए के तहत पढ़ती है, स्कूल उसे बस सुविधा नहीं दे रहा है। -हेतराम, फतेहाबाद।
जवाब : 134 ए के तहत शिक्षा विभाग संबंधित छात्र का स्कूल में दाखिला करवाने का जिम्मेदार है। ट्रांसपोर्ट सुविधा स्कूल ने खुद के स्तर पर लगा रखी है। इसमें शिक्षा विभाग का कोई दखल नहीं है। आप अपने स्तर पर बस सुविधा देने के लिए प्रार्थना कर सकते हैं।
सवाल : स्कूल एनुअल चार्ज के नाम पर मोटी वसूली कर रहे हैं, क्या किया जाए?-अनिल फतेहाबाद,
जवाब : प्राइवेट स्कूल एडमिशन फीस एक बार ले सकता है, एनुअल चार्ज एक साल में एक बार लिया जाता है। इसमें स्कूल के फंड शामिल होता है। अगर कोई स्कूल नाजायज ले रहा है तो इसकी लिखित शिकायत कार्यालय को दें। इसकी जांच करवाई जाएगी।
सवाल : स्कूल में प्राइवेट किताबें लगवाई जा रही हैं। कार्रवाई क्यों नही होती?- पाठक बलराज सरवरपुर
जवाब : कोई भी स्कूल बोर्ड की निर्धारित किताबों के अलावा कोई भी किताब नहीं लगवा सकता है। इस संबंध में क्लीयर निर्देश जारी किए जा चुके हैं। अगर कोई स्कूल ऐसा कर रहा है तो उसकी लिखित शिकायत दें।
सवाल : प्राइवेट स्कूल खुद किताबें लेने के लिए दबाव डाल रहा है, क्या करें? -रेशम सिंह, टोहाना
जवाब : आप इन स्कूलों में मत पढ़ाओ, मत किताबें खरीदों। ये स्कूल अपने आप बंद हो जाएंगे। बच्चों को सरकारी स्कूल में पढ़ाओ। अभिभावकों को भी जागरूक होने की जरूरत है।
सवाल : प्राइवेट स्कूलों में धड़ल्ले से किताबें बेची जा रही हैं। विभाग कोई कार्रवाई क्यों नहीं कर रहा है?- पंकज, फतेहाबाद
जवाब : आप ऐसे स्कूलों में अपने बच्चों को मत पढ़ाएं, अगर पढ़ा रहे हैं तो उनसे किताबें मत खरीदें। इसका विरोध करें। ये स्कूल अपने आप ही बंद हो जाएंगे। अभिभावक इस संबंध में लिखित शिकायत नहीं देते हैं। इस वजह से इन स्कूलों का हौसला बढ़ जाता है।
सवाल : प्राइवेट स्कूल वाले किताबें खुद दे रहे हैं और रुपये भी एडवांस ले रहे हैं। क्या किया जाए?-जगदीश शर्मा, फतेहाबाद
जवाब : आप इन स्कूलों से किताबें लेने से मना कर दें। इस संबंध में शिक्षा विभाग को लिखित में शिकायत दें। ऐसे स्कूलों पर जरूर कार्रवाई की जाएगी। शिक्षा विभाग की मेल आईडी पर भी शिकायत कर सकते हैं।