साभार: जागरण समाचार
नया सत्र में नई कक्षा में आने वाले विद्यार्थी का शैक्षणिक स्तर जांचने के लिए शुरू की गई स्किल पासबुक भरने में लीपापोती सामने आई है। जिला मुख्यालय में चार दिन पहले पहुंची स्किल पासबुक को पर्यवेक्षण से दो
दिन पहले ही खंडों में भेजा है। 80 फीसद शिक्षकों ने इसे भरा ही नहीं है। अब निदेशालय से अधिकारी इसके पर्यवेक्षण के लिए आ रहे हैं। ऐसे में अधिकारी खाली स्किल पासबुक का निरीक्षण करेंगे। ऐसे में अब जिस उद्देश्य के साथ विद्यार्थियों का शैक्षणिक स्तर जांचा जाना था वह अधूरा रह जाएगा।
नई कक्षा में आने वाले विद्यार्थी के कौशल के बारे में पिछली कक्षा के शिक्षक प्रफोर्मा में भरकर देना है कि उसका लेवल कैसा है। उसका लेवल किस विषय में ज्यादा है और किस विषय में कम है। कक्षा पहली से कक्षा से आठवीं तक के विद्यार्थियों की स्किल पासबुक को दो शिक्षकों द्वारा भरा जाना है। स्किल पासबुक को चार अप्रैल को जिला मुख्यालय में भेजा गया है। यहां से शनिवार को खंडों में भेजा गया है। शिक्षकों के पास ही स्किल पासबुक नहीं पहुंची है। मात्र 20 फीसद शिक्षक ही स्किल पासबुक भर पाएं है। शिक्षकों का कहना है कि इतनी जल्दी स्किल पासबुक को भर पाना मुश्किल है। अगर जल्दबाजी में इसे भरते हैं तो विद्यार्थी के लेवल का पता नहीं चल पाएगा।
ये जांचेगी टीम: स्किल पासबुक के पर्यवेक्षण के लिए शिक्षा विभाग के संयुक्त निदेशक हरचरण सिंह छोकर को भेजा गया है। इसके अलावा जिला स्तर के अधिकारी भी इसका पर्यवेक्षण करेंगे। निरीक्षण के दौरान अधिकारी जांचगे कि शिक्षक जो लेवल बताया है वह सही है या नहीं। शिक्षक ने जो विद्यार्थी के बारे में बताया है इसके बाद में अधिकारी विद्यार्थियों से पूछेंगे। अगर लेवल ठीक नहीं मिलता है तो इसके लिए शिक्षक जिम्मेदार होंगे।
- स्किल पासबुक जैसे ही निदेशालय से आई हैं, इसे खंडों में भेज दिया गया था। इसे भरना शिक्षकों की जिम्मेदार है। अगर शिक्षक नहीं भरते हैं तो वह इसके लिए जिम्मेदार होंगे। इसके बाद कैचअप प्रोग्राम चलाया जाना है। - दयानंद सिहाग जिला शिक्षा अधिकारी, फतेहाबाद