साभार: जागरण समाचार
भारतीय राजनीति में अलग-अलग क्षेत्र से कई लोग आए और अपना परचम लहराया, लेकिन इनमें सबसे ज्यादा बुलंदी उन राजनेताओं को मिली जो पूर्व में शिक्षक रह चुके है। भारतीय राजनीति में शिक्षकों का हमेशा
से दबदबा रहा है। यही वजह है कि एक वक्त देश में ऐसा भी आया जब प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति दोनों ही शिक्षक पेशे के बने थे। इससे पहले भी इन्हें राजनीति के मैदान पर कई अहम जिम्मेदारियां दी जा चुक थीं, जिसे इन्होंने बखूबी पूरा किया। आइये जानते हैं, भारतीय राजनीति में शिखर तक पहंचने वाले ऐसे ही कुछ कायमयाब शिक्षकों के बारे में....
डॉ मनमोहन सिंह: पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह ने अपना करियर बतौर शिक्षक शुरू किया था। वह पंजाब यूनिवर्सिटी और दिल्ली यूनिवर्सिटी के दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में अर्थशास्त्र (Economics) के प्रोफेसर रह चुके हैं। राजनीति में आने से पहले उन्होंने भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर की भी जिम्मेदारी संभाली। प्रधानमंत्री बनने से पहले वह केंद्र सरकार में वित्त मंत्री की जिम्मेदारी भी संभाल चुके हैं।
राजनाथ सिंह: केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह भी राजनीति में आने से पहले शिक्षक थे। वह उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर स्थिति केबी पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज में भौतिक विज्ञान (Physics) के लेक्चरर रह चुके हैं। शिक्षक रहते हुए ही वह आरएसएस से जुड़े और फिर राजनीति में आ गए। लंबे समय से केंद्र की राजनीति में सक्रिय राजनाथ सिंह मौजूदा सरकार में गृहमंत्री हैं और भाजपा के पूर्व अध्यक्ष भी रह चुके हैं। वह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं।
मुरली मनोहर जोशी: भाजपा के वरिष्ठ नेता और मार्गदर्शक मंडल के सदस्य मुरली मनोहर जोशी ने भी बतौर शिक्षक अपना करियर शुरू किया था। उन्होंने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से पढ़ाई पूरी की और फिर वहीं पर प्रोफेसर बन गए थे। राजनीति में आने के बाद वह केंद्रीय मंत्री बने। उनकी गितनी भाजपा के बड़े नेताओं में होती है।
प्रणब मुखर्जी: भारत के 13वें राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने बतौर शिक्षक अपना करियर शुरू किया था। कोलकाता विश्वविद्यालय से उन्होंने इतिहास और राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर और कानून की डिग्री हासिल की। वह कोलकाता के ही एक कॉलेज में राजनीति विज्ञान (Political Science) के प्रोफेसर भी रह चुके हैं। उन्हें देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न और डी लिट की मानद उपाधि प्राप्त है। वह मनमोहन सरकार में वित्त मंत्री भी रह चुके हैं।
मुलायम सिंह यादव: उत्तर प्रदेश में तीन बार मुख्यमंत्री बने मुलायम सिंह यादव, केंद्र सरकार में रक्षामंत्री भी रह चुके हैं। उन्होंने समाजवादी पार्टी की नींव रखी। राजनीति में दांव लगाने से पहले उन्हें अखाड़े में पहलवानी करने का शौक था। बाद में उत्तर प्रदेश के करहैल में लेक्चरर बने। इसके बाद वह राजनीति में आ गए। मुलायम सिंह ने आज तक कोई चुनाव नहीं हारा।
रामगोपाल यादव: समाजवादी पार्टी के बड़े नेता और राज्यसभा सांसद रामगोपाल यादव भी राजनीति में आने से पहले प्रोफेसर थे। वह इटावा के केके पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज में पहले भौतिकी और फिर राजनीति विज्ञान के लेक्चरर रह चुके हैं। वह इटावा में ही लोहिया डिग्री कॉलेज के प्रिंसिपल भी रह चुके हैं। इसके बाद वह अपने भाई और सपा संस्थापक मुलायम सिंह के साथ राजनीति में सक्रिय हो गए। उन्हें उत्तर प्रदेश के बड़े नेता के तौर पर पहचाना जाता है।
मायावती: बसपा सुप्रीमो और उत्तर प्रदेश की चार बार मुख्यमंत्री रहीं मायावती भी राजनीति में आने से पहले शिक्षिका रह चुकी हैं। वह दिल्ली के झुग्गी एरिया (जेजे कॉलोनी) के स्कूल में टीचर थीं। इसके साथ ही वह सिविल सर्विस की भी तैयारी कर रही हैं। इसी दौरान वह कांशीराम के संपर्क में आयीं और फिर राजनीति में सक्रिय हो गईं।
डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी: अपने बयानों और सनसनीखेज खुलासों से भारतीय राजनीति में भूचाल लाने के लिए पहचाने जाने वाले भाजपा नेता व राज्यसभा सांसद डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी, भी अर्थशास्त्र के प्रोफेसर रह चुके हैं। उन्होंने राजनीति में आने से पहले आइआइटी दिल्ली और अमेरिका की हॉवर्ड यूनिवर्सिटी में भी काम किया है।
शिवराज पाटिल: मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार में केंद्रीय गृहमंत्री रहे शिवराज पाटिल ने भी अपना करियर बतौर शिक्षक शुरू किया था। वो मुंबई यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर रह चुके हैं। इसके बाद वह राजनीति में आए और कांग्रेस के बड़े नेता के तौर पर पहचान स्थापित की।
तथागत रॉय: मेघालय के राज्यपाल तथागत रॉय राजनीति में आने से पहले जादवपुर यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर थे। वह भाजपा के बड़े नेताओं में शुमार हैं और कई अहम पदों पर रह चुके हैं।
योगेंद्र यादव: स्वराज इंडिया संगठन के संयोजक योगेंद्र यादव, आम आदमी पार्टी (आप) के संस्थापक नेताओं में शामिल हैं। हालांकि, पार्टी प्रमुख अरविंद केजरीवाल से मतभेद होने के बाद उन्होंने आप से नाता तोड़ दिया है। राजनीति में आने से पहले वह भी प्रोफेसर रह चुके हैं। वह 1985 से 1993 तक पंजाब यूनिवर्सिटी में राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर रह चुके हैं।
कुमार विश्वास: मशहूर कवि और आम आदमी पार्टी के नेता कुमार विश्वास भी सक्रिय राजनीति में आने से पहले तक प्रोफेसर थे। वह गाजियाबाद के लाला लाजपत राय कॉलेज में हिंदी के प्रोफेसर रह चुके हैं। पूरी तरह से राजनीति में आने के बाद उन्होंने प्रोफेसर पद से इस्तीफा दे दिया था।
डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन: डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन स्वतंत्र भारत के पहले उपराष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति रहे हैं। वह आजादी के दौर के बड़े नेताओं में शामिल हैं। राजनीति में आने से पहले उन्होंने 1931-1936 के बीच कोलकाता यूनिवर्सिटी और चेन्नई के प्रेसिडेंसी कॉलेज में अध्यापन कार्य किया था। 1936 में वह ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर बने और वहां पर उन्होंने 16 वर्ष तक अध्यापन कार्य किया। शिक्षा के क्षेत्र में उनकी उपलब्धियों को देखते हुए ही पांच सिंतबर को उनके जन्मदिवस पर पूरे देश में शिक्षक दिवस मनाया जाता है। उन्हें देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से भी सम्मानित किया जा चुका है।
डॉ एपीजे अब्दुल कलाम: भारत के 11वें राष्ट्रपति और महान वैज्ञानिक डॉ एपीजे अब्दुल कलाम, IIM शिलॉग (अहमदाबाद) व इंदौर में विजिटिंग प्रोफेसर रह चुके हैं। इसके अलावा वह बैंगलोर के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस से भी जुड़े हुए थे। उन्होंने हैदराबाद स्थिति इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इनफॉरमेशन टेक्नोलॉजी, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय और अन्ना यूनिवर्सिटी समेत कई उच्च शिक्षण संस्थानों में अध्यापन कार्य किया है। उन्हें देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से भी सम्मानित किया जा चुका है।