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साभार: जागरण समाचार
हरियाणा में छात्र संघ चुनाव को लेकर सत्तारूढ़ भाजपा यू टर्न ले सकती है। करीब 22 साल के लंबे अंतराल के बाद हालांकि भाजपा ने ही कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में छात्र संघ के चुनाव बहाल करने की पहल की है,
लेकिन इनसो और एनएसयूआइ के साथ-साथ एबीवीपी के भी अप्रत्यक्ष चुनाव के विरोध में उतरने के बाद सरकार झुक सकती है। सरकार कैंपस में खून-खराबा रोकने की मंशा से अप्रत्यक्ष चुनाव कराना चाहती है, लेकिन इसका विरोध हो रहा है। राज्य के तीनों प्रमुख छात्र संगठनों के खुले विरोध के बाद अब सरकार ने बीच का रास्ता निकाला है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल के निर्देश पर सभी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों से छात्र संघ के चुनाव के तरीके पर रिपोर्ट मंगवाई गई है। इसी सप्ताह यह रिपोर्ट उच्चतर शिक्षा विभाग के पास पहुंच जाएगी, जिसके बाद रसरकार तय करेगी कि प्रत्यक्ष चुनाव कराए जाएं या अप्रत्यक्ष चुनाव पर अडिग रहा जाए। माना जा रहा कि सरकार छात्र संगठनों की मांग के आगे झुकने को तैयार है। ऐसे में पूरी संभावना है कि विश्वविद्यालयों के कुलपति अपनी रिपोर्ट में प्रत्यक्ष चुनाव कराने की सिफारिश करें और सरकार उसे मान ले।
आगे खिसक सकते हैं छात्र संघ के चुनाव : छात्र संघ के चुनाव की तारीख अभी तय नहीं है। शिक्षा मंत्री प्रो. रामबिलास शर्मा ने 15 अक्टूबर से पहले चुनाव कराने के संकेत दिए थे। माना जा रहा था कि चुनाव 12 अक्टूबर को होंगे, लेकिन बदले हालात में यह तारीख आगे खिसक सकती है। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट कर दिया कि अभी 12 तारीख चुनाव के लिए तय नहीं है।
- हमारी सरकार ने पहली बार 22 साल के लंबे अंतराल के बाद छात्र संघ के चुनाव बहाल कराने का साहस जुटाया है। कांग्रेस और इनेलो ने इस दिशा में कोई रुचि नहीं दिखाई। लिंगदोह कमेटी की सिफारिशों के आधार पर चुनाव हो रहे हैं। प्रो. टंकेश्वर कुमार के नेतृत्व वाली कमेटी ने भी यही सिफारिश की है। इसलिए हम पहले साल अप्रत्यक्ष और दूसरे साल प्रत्यक्ष चुनाव कराने के हक में हैं। इसके बावजूद कुलपतियों से रिपोर्ट मांगी गई है, जिसके आधार पर कोई अंतिम फैसला लिया जाएगा। - मनोहर लाल, मुख्यमंत्री
- हरियाणा की भाजपा सरकार वादे करती है और भूल जाती है। चुनाव से पहले छात्र संघ के चुनाव बहाल करने का वादा किया था। अब चार साल बाद इस वादे को पूरा करने के नाम पर औपचारिकता की जा रही है। जब सभी छात्र संगठन प्रत्यक्ष चुनाव के हक में हैं तो सरकार को फैसला लेने में कोई हर्ज नहीं होना चाहिए। - भूपेंद्र सिंह हुड्डा, पूर्व मुख्यमंत्री।