Sunday, September 10, 2017

Self Help: नॉलेज से बनता है चरित्र, आती है ताकत

Self Help by Samuel Smiles'
1859 मेंयह किताब प्रकाशित हुई। किताब में कुछ लोगों के एेसे खास उदाहरण हैं, जिन्हें अब भुला दिया गया हंै। जैसे सर वीलियम हरशेल (1738 से 1822) एक ट्रेवलिंग ऑर्केस्ट्रा में बतौर म्यूजििशयन काम करते थे। इसी दौरान उनकी दिलचस्पी एस्ट्रोनॉमी में जागी। बाद में वे इग्लैंड के किंग के एस्ट्रोनॉमर बने। इसी तरह ग्रानविल शार्प (1735 से 1813) थे। वे पेशे से क्लर्क थे। खाली समय में उन्होंने दासता के खिलाफ ब्रिटेन में अभियान शुरू किया। और आखिर में कानून बदलवाने में कामयाब रहे। फिर वे बर्नार्ड पाल्सी (1510 से 1589) के बारे में भी बताते हैं। वे गरीब कुम्हार थे। जिन्होंने अपने फर्नीचर को फेंक दिया और अपने घर की बाड़ को भी तोड़ दिया ताकि वे अपने तरीके के बर्तन बना सकें। फिर उन्होंने इनेमल वेर बनाए। इस लगन का उन्हें यह फायदा मिला कि आखिर फ्रांस राजशाही से सम्मान और काम मिला। स्माइल्स लिखते हैं कि यह समझना कि कैसे धैर्य से इंतजार किया जाता है यह भी जानना जरूरी है। धैर्य, मन को स्थिर करना और काम को समझना सबसे अहम है। यह ऐसे गुण हंै, जो सरकारी फंड या शिक्षा के माध्यम से हासिल नहीं किए जा सकते। लेकिन यही गुण टैलेंट बनाते हैं। सेल्फ हेल्प बताती है कि नॉलेज से पावर आता है, लेकिन इससे भी ज्यादा ताकतवर है, चरित्र। किताब इस टाइमलेस सच्चाई से आपका परिचय कराती है कि जब आप अपने भीतर गुण विकसित करते हैं तो इससे दिमाग खुलता है। इसी से अंत: प्रेरणा आती है और इसी से सांस्कृतिक नजर विकसित होती है। 
कुल मिलाकर स्माइल्स का सेल्फ-इम्प्रूवमेंट का आइडिया आज के पॉजिटिव थिंकिंग के प्रचलित आइडिया से थोड़ा अलग है। स्माइल्स का मानना था कि जीवन का असल अर्थ और अनुभव स्ट्रगल से ही आता है। मुश्किलें कमजोरियों दूर करती हैं और चरित्र को मजबूत बनाती हैं। संघर्ष और प्रयास ही समाज और सफलता दोनों की बुनियाद हैं। कठोर परिश्रम करने वाले लोग ही अच्छे नियम और मजबूत अर्थव्यवस्था बनाते हैं। वे बुरे लीडर्स द्वारा पहुंचाए गए नुकसान को भी सीमित कर देते हैं। 
स्माइल्स 11 संतानों में से एक थे और मेडिसिन की पढ़ाई करना चाहते थे। लेकिन पिता के निधन के बाद यह सपना छोड़ना पड़ा। मां ने परिवार की दुकान को संभाल लिया। और इसे चलाए रखने के लिए अथक परिश्रम किया। स्माइल्स ने भी नौ छोटे भाई-बहनों की परवरिश की। मां ने स्माइल्स की शिक्षा पर बहुत ध्यान दिया। स्माइल्स ने भी अपनी मां के इस समर्पण को कभी भुलाया नहीं। ग्रेजुएशन के बाद स्माइल्स पत्रकारिता में चले गए। लेकिन उन्हें प्रसिद्ध उनके लेखन ने ही बनाया। 
स्माइल्स के मन में उन लोगों के प्रति कोई खास सम्मान नहीं था जो धन और समृद्धि के साथ जन्मे थे। स्माइल्स ने लिखा कि इंसान अपनी जन्म की पृष्ठभूमि से उबर कर सामने सकता है, बशर्ते उसे बहुत ही परिश्रमी होना होगा। इस मार्ग पर कुछ ही लोग चलना चाहते हैं, जो चलते हैं वे सफल होते हैं। 
स्माइल्स कहते हैं कि सफलता के लिए सबसे पहले चाहिए दृढ़ता और निरंतरता। अपने काम और उद्देश्य पूरे करने के लिए सिर्फ टैलेेंट की ही जरूरत नहीं होती, ही सिर्फ ताकत से काम चलता है। बल्कि इसके लिए जरूरत है पूरी ऊर्जा और लगन के साथ मेहनत करने की। किताब उदाहरणों के जरिए यह बात साबित करती जाती है। 
स्माइल्स का जन्म 1812 में स्कॉटलैंड में हुआ था। वे 11 संतानों में से एक थे। पिता पेपर मेकर थे। 
साभार: भास्कर समाचार