Tuesday, September 12, 2017

करियर और कारोबार: कैंडल मेकिंग - रोशन करें कारोबार

साभार: जागरण समाचार 

इंटरैक्शन : धीरेंद्र पाठक

रोशनी का त्योहार दिवाली अब ज्यादा दूर नहीं है। यह त्योहार आते ही बाजारों में रंग-बिरंगी और सुगंधित मोमबत्तियों की मांग बढ़ जाती है। हालांकि आजकल लोग डिजाइनर मोमबत्तियों का उपयोग घरों को सजाने के लिए भी खूब कर रहे हैं। इन मोमबत्तियों से घर का माहौल सुगंधित और खुशनुमा हो जाता है। छोटे स्तर पर बहुत ही कम पूंजी में कोई भी व्यक्ति मोमबत्ती बनाने का यह कारोबार शुरू कर सकता है। जानें, कैसे बढ़ाएं इस कारोबार में कदम.

मोमबत्ती बनाना आज के दौर का ऐसा कारोबार है, जिसे घर बैठकर लघु उद्योग के तौर पर भी किया जा सकता है या फिर बड़े पैमाने पर चाहें तो फैक्ट्री लगाकर भी कर सकते हैं। त्योहारों के अलावा प्लेन कैंडल, डेकोरेटेड कैंडल, अरोमा कैंडल या फ्लोरिंग कैंडल की मांग भी हमेशा रहती है। इसलिए यह पूरे साल चलने वाला बिजनेस है। अब वह समय भी चला गया, जब सिर्फ दिवाली पर ही कैंडल (मोमबत्ती) खरीदे जाते थे। आजकल तो क्रिसमस, न्यू ईयर और वैलेंटाइन डे पर भी लोग इसे खूब इस्तेमाल कर रहे हैं। होटलों में लाइट के अलावा खूबसूरती के लिए कैंडल्स जलाए जाते हैं। बर्थडे कैंडल्स भी खूब लोकप्रिय हैं, जिन्हें केक पर लगाया जाता है। ऐसे में इस क्षेत्र में स्वरोजगार की संभावनाओं का तेजी से विकास हो रहा है।
शुरुआत कम पूंजी से: यह कारोबार ठीक-ठाक तरीके से एक लाख रुपये में शुरू किया जा सकता है। वैसे तो इसमें आप एक लाख से शुरू करके एक करोड़ रुपये तक निवेश कर सकते हैं। जैसे अगर किसी को इसमें एक्सपोर्ट करना है, तो उसे इसके लिए कम से कम 25 से 30 लाख रुपये की पूंजी चाहिए। अगर छोटे स्तर पर एक लाख की पूंजी से इसे शुरू करते हैं, तो इतने में आपके सभी जरूरी सांचे आ जाएंगे। कैंडल बनाने का काम सांचों और मशीनों दोनों तरह से किया जा सकता है। जो लोग घरेलू तौर पर इसे शुरू करना चाहते हैं या जिन्हें कम प्रोडक्शन करनी है, तो वे शुरुआत इसके सांचों से कर सकते हैं। लेकिन अगर ज्यादा प्रोडक्शन करना है, तो फिर इसके लिए मशीनों की आवश्यकता होगी। रॉ मैटीरियल के रूप में इसमें मोम, धागा, कलर और खुशबू की आवश्यकता होती है। ये सभी चीजें ऐसी हैं, जो लोगों को अपने आसपास के शहर में कहीं भी मिल जाएंगी। इसके अलावा, अगर जगह की बात करें, तो इस कारोबार को 300 वर्ग फीट के एरिया में शुरू किया जा सकता है। लेबर कितनी रखनी है, यह इस बात पर निर्भर करता है कि इसे आप किस स्तर पर शुरू करना चाहते हैं। अगर ट्रेनिंग लेकर खुद यह काम शुरू करना चाहते हैं, तो फिर एक लेबर से भी काम चल जाएगा। वैसे शुरू में आप एक लेबर ही रखें। क्योंकि इसमें लेबर के अलावा मार्केटिंग के लिए भी लोग चाहिए। इसलिए शुरू में एक-दो लेबर से ही यह काम शुरू करें, फिर जैसे-जैसे काम बढ़ता जाए, आप उन्हें बढ़ाते जाएं। 
प्रशिक्षण जरूरी: कैंडल मेकिंग के लिए वैसे तो बहुत पढ़ा-लिखा होना जरूरी नहीं है, लेकिन इसमें इसकी ट्रेनिंग लेकर आना चाहिए। इससे आपको मार्केट में पैठ बनाने में आसानी होगी। अभी देश में सीएसडीओ को छोड़कर कोई ऐसा संस्थान नहीं है, जहां पर सही ढंग से लोगों को यह काम सिखाया जाता हो। सिर्फ सीएसडीओ ही सरकार के सहयोग से यह प्रोफेशनल कोर्स करा रहा है। यह कुल 10 दिन का कोर्स है, जो पूरी तरह से प्रैक्टिकल कोर्स है, यानी इसमें प्रैक्टिकल ढंग से मोमबत्ती बनाने की पूरी प्रक्रिया की ट्रेनिंग दी जाती है। कोर्स में मोम क्या होती है, यह कहां से निकलती है, यह कितने किस्म की होती है। सांचे कितने किस्म के होते हैं, आपको कैसा सांचा चाहिए। मोमबत्ती बनाने में पाउडर कौन सा डलना चाहिए। रंग कौन सा डलना चाहिए या खुशबू कौन सी डलनी चाहिए..यह सब काफी विधिवत ढंग से बताया जाता है। यह बिजनेस कैसे शुरू करेंगे, इसकी मार्केटिंग कैसे करनी है, यह भी इस कोर्स में बताया जाता है। अगर मोमबत्ती की बात करें, तो यह दो तरह की होती है। एक हाउसहोल्ड कैंडल, जो कि 5 रुपये या 10 रुपये में बिकती है। लाइट जाने पर जिनका हम घरों में इस्तेमाल करते हैं। इसके अलावा, दूसरी डिजाइनर कैंडल है जो अन्य विभिन्न मौकों पर इस्तेमाल होते हैं। इस कोर्स में लोगों को इन दोनों तरह के कैंडल के बारे में जानकारी दी जाती है। सीएसडीओ में 3 दिन का भी एक अन्य शॉर्ट टर्म कोर्स शुरू हो रहा है, जिसमें कम समय में प्लेन कैंडल, सेंटेड कैंडल या डिजाइनर कैंडल बनाने और पैकेजिंग आदि की जानकारी दी जाएगी।
मार्केटिंग: यह कारोबार काफी हद तक मार्केटिंग पर ही टिका है। बिना मार्केटिंग के कितनी भी अच्छी चीज बना लें और उसे घर में रख लें, तो वह नहीं बिकेगा। इसलिए आपकी मार्केटिंग बहुत अच्छी हो। साथ में आपको इतनी खूबसूरत कैंडल बनानी होंगी कि लोग आकर्षित होकर इन्हें खरीदें। इसके अलावा, पैकिंग पर भी ध्यान देना होगा। चूंकि आज सब कुछ डिजिटल हो चुका है, इसलिए आपको भी तकनीक को अपनाना होगा।