Saturday, September 2, 2017

डेरा चीफ गुरमीत के गुरु शाह सतनाम सिंह के परिवार ने 15 साल पहले ही कर लिया था डेरे से किनारा

साभार: भास्कर समाचार 
शाही जिंदगी जीने वाले डेरा मुखी गुरमीत सिंह राम रहीम के गुरु रहे दूसरी पातशाही के गद्दीनशीन शाह सतनाम महाराज का परिवार आज भी चकाचौंध से दूर है। सिरसा जिला मुख्यालय से करीब 40 किलोमीटर दूर गांव
जलालआना में इनका एक आम सा घर है। जहां सपरिवार रह कर सतनाम महाराज के दोनों पौत्र खेती-किसानी करते हैं। इनका परिवार संयम, नियम और डेरे के कायदे को सच में अपना कर अति साधारण जीवन जी रहा है। शाह सतनाम महाराज के पौत्र भूपेंद्र सिंह से 'दैनिक भास्कर' के रिपोर्टर ने उनके घर जा कर मुलाकात की। उन्होंने बताया कि करीब 2002 के बाद से डेरे में आना-जाना निजी कारणों पारिवारिक व्यस्तताओं की वजह से नहीं है। बता दें कि 2002 वही साल था, जब राम रहीम पर दुष्कर्म का आरोप लगा था। पेश है बातचीत के अंश। (जैसाशाह सतनाम महाराज के पौत्र भूपेंद्र सिंह ने बताया।) 
ताजा हालात पर... डेरामुखी पर आरोप थे, जवाब भी उन्हें ही देना था: डेरा का अपना अधिकार है। अपनी जिम्मेदारी है। इसके नफा-नुकसान से हमारा कोई लेना-देना नहीं है। गद्दी पर कौन बैठे कौन नहीं, इससे भी हमारा वास्ता नहीं है। परंपराओं का निर्वहन हो रहा है या नहीं इस पर भी हम क्यों कुछ कहें। हम तो सीन में भी नहीं हैं। बहरहाल, समाज में अमन कायम होना चाहिए। जान किसी की भी नहीं जानी चाहिए। डेरामुखी पर आरोप थे, तो जवाब भी उन्हें ही देना था। 
डेरे में जाना बंद कर दिया, किसी से मनमुटाव नहीं : भूपेंद्र सिंह 
शाह सतनामजी महाराज हमारे दादा जी थे। वे शुद्ध सात्विक संत प्रवृत्ति के थे। जिस वक्त उन्होंने अपने अनुयायी गुरमीत राम रहीम को गद्दी सौंपी थी, उस वक्त मैं सिर्फ 16 साल का था और उस दिन मैं डेरे में नहीं जा सका था। दादा जी के देहांत के बाद डेरा ने तेज गति से तरक्की करनी शुरू की। लेकिन दादा जी के देहांत के बाद हम कभी कभार ही डेरा जाते रहे, लेकिन उसके बाद डेरा में जाना बंद कर दिया। किसी से कोई मनमुटाव भी नहीं है। अपने घर पर ही शाह सतनाम जी के बताए नियमों पर चलते हुए अपने परिवार को पालन पोषण करते हैं। किसी भी तरह का नशा या ठगी ठौरी भी नहीं करते। खेती-बाड़ी करते हैं। मेरा एक बड़ा भाई जसविंद्र सिंह है। जसविंद्र के एक बेटा और एक बेटी है, जबकि मेरा एक बेटा है। सभी बच्चे पढ़ाई करते हैं। पिता रणजीत सिंह का भी देहांत हो चुका है और मां नछत्तर कौर हमारे साथ हैं। हमारे परिवार के पास कुल 90 एकड़ जमीन है। गांव में एक मकान, दो कारें, दो ट्रैक्टर हैं।'