Tuesday, July 4, 2017

मैथ्स और साइंस के शिक्षकों को दी जाएगी इलेक्ट्रिक शॉक थैरेपी; ताकि वे टेंशन, डिप्रेशन की वजह से नौकरी छोड़ें

ब्रिटेन में पिछले कुछ साल से बड़ी संख्या में टीचर नौकरी छोड़ रहे हैं। इसकी वजह काम का बोझ, तनाव, अनिद्रा और डिप्रेशन है। अब सरकार ने इस समस्या से निपटने के लिए अनोखा तरीका ढूँढा है। वह देश के सभी प्राइमरी
और सीनियर सेकंडरी स्कूलों के टीचर्स को इलेक्ट्रिक शॉक थैरेपी दिलवाएगी, ताकि वे बच्चों को अच्छे से पढ़ा सकें और नौकरी छोड़ें। फिलहाल केंट के सात सीनियर सेकंडरी और सात प्राइमरी स्कूलों में टीचर्स के इलाज के लिए थैरेपी डिवाइस दी गई है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर इस डिवाइस का इस्तेमाल लेइघ एकेडमी ट्रस्ट में किया गया। यहां 21 टीचर्स ने 4 हफ्ते तक 20 से 60 मिनट तक रोजाना शॉक थैरेपी को किया। जिसका काफी सकारात्मक असर देखने को मिला। खासकर तनाव, डिप्रेशन और अनिद्रा से काफी राहत मिली। स्टॉफ के मुताबिक शॉक थैरेपी से उन्हें पहले से बेहतर नीद आने लगी। 
ब्रिटेन में टीचिंग को टॉप-3 खराब पेशों में से एक बताया जाता है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश में साइंस, मैथ्स और कम्प्यूटर के टीचर सबसे अधिक नौकरी छोड़ रहे हैं। 2011 से 2015 के बीच अकेले सेकंडरी स्कूलों के 35000 मैथ्स टीचर्स में से 3600 ने नौकरी छोड़ दी। नेशनल यूनियन ऑफ टीचर्स ने सरकार को बताया था कि हर साल जॉब छोड़ने वाले टीचर्स में से 90% काम के दबाव और तनाव से परेशान रहते हैं। नेशनल फाउंडेशन एजुकेशनल रिसर्च के मुताबिक हर साल देश में सबसे ज्यादा 10.4% साइंस के टीचर नौकरी छोड़ रहे हैं। इसके बाद 10.3% मैथ्स, 10.2% लैंग्वेज, 10% टेक्नोलॉजी, 9.7% अंग्रेजी और 8.5% भूगोल टीचर नौकरी छोड़ रहे हैं। शॉक थैरेपी डिवाइस का नाम अल्फा-स्टीम है। इसका आकार मोबाइल जैसा है। इसमें दवा की भी जरूरत नहीं पड़ती है। इस थैरेपी को दिन में एक बार सिर्फ 20 मिनट करना होता है। इसके लिए मरीज को बस हेडफोन पहनना होता है। इसके ईयरलोब्स में दो इलेक्ट्रोड लगे होते हैं, जिसमें डिवाइस से माइक्रो इलेक्ट्रिक करंट प्रवाहित होता है। हालांकि करंट से कोई दर्द नहीं होता है। क्योंकि इसमें अल्फा वेव होती है। यह माइंड को रिलेक्स करता है। यह हैंड-फ्री डिवाइस भी है।

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साभार: जागरण समाचार 
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