सरकारी स्कूलों में अब स्कूल मुखिया विद्यार्थियों पर विषय बदलने के लिए दबाव नहीं बना सकेंगे। विद्यार्थी को अपनी इच्छा से विषय लेने का अधिकारी होगा। अगर कोई स्कूल मुखिया या अध्यापक दबाव बनाएगा तो
उस पर अनुच्छेद 19 के तहत कार्रवाई होगी। शिक्षा विभाग को मिल रही शिकायतों के बाद इस पर रोक लगाने के लिए विद्यालय शिक्षा निदेशालय ने जिला शिक्षा अधिकारियों को सख्त आदेश जारी किए हैं। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को म्यूजिक, मनोविज्ञान, समाज शास्त्र, फाइन आर्ट इत्यादि विषयों को नहीं लेने दिया जाता है। जबकि स्कूलों में इससे संबंधित लेक्चर भी होते हैं। इसी के चलते संबंधित विषयों का परिणाम भी अच्छा नहीं रहता है। विद्यालय शिक्षा निदेशालय ने जारी किए आदेशों में कहा कि स्कूल मुखिया विद्यार्थियों में इन विषयों संबंधित गलत धारणा पैदा कर देते हैं। इसके चलते विद्यार्थी चाहकर भी इन विषयों को नहीं ले पाते हैं। जो कि विद्यार्थियों के अधिकारों का हनन है। निदेशालय ने जिला शिक्षा अधिकारियों को सख्त निर्देश जारी किए हैं कि कोई स्कूल मुखिया व लेक्चर्र संबंधित विषय न लेने पर दबाव नहीं बना सकेंगे। अगर कोई ऐसा करता है तो वह संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन माना जाएगा।
सितंबर तक बदल सकते हैं विषय: 11वीं कक्षा में दाखिला लेने के बाद विद्यार्थी सितंबर तक विषय बदल सकते हैं।विद्यालय शिक्षा निदेशालय से पत्र जारी हुआ है जिसमें कहा गया है कि कोई स्कूल मुखिया या अध्यापक विद्यार्थी पर विषय संबंधित दबाव नहीं डालेगा। विद्यार्थी अपनी इच्छा से विषय चुन सकता है। अक्सर ऐसा होता है कि कई विषयों में विद्यार्थी ही नहीं होते हैं इस कारण लेक्चरार खाली रह जाते हैं। - दयानंद सिहाग, जिला शिक्षा अधिकारी, फतेहाबाद।
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साभार: जागरण समाचार
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