Friday, June 23, 2017

एनपीए के खिलाफ युद्धस्तर पर प्रयास शुरू: आरबीआई ने 55 बड़े एनपीए खातों पर बैंकों को दिया अल्टीमेटम

अब जाकर यह लग रहा है कि केंद्र सरकार ने सरकारी बैंकों में फंसे कर्जे (एनपीए) की समस्या सुलझाने को अहम प्राथमिकता के तौर पर चिन्हित कर लिया है। एक साथ ही केंद्र सरकार के सारे तंत्र न सिर्फ सक्रिय हो गये
हैं बल्कि भारतीय रिजर्व बैंक के स्तर पर भी बैंकों के साथ बेहद सख्ती से पेश आने के संकेत हैं। गुरुवार को यहां वित्त मंत्रलय, संचार मंत्रलय और बिजली मंत्रलय में एनपीए की समस्या को समयबद्ध योजना के तहत सुलझाने के लिए अलग-अलग तीन बैठकों का दौर चला। दूसरी तरफ केंद्रीय बैंक ने बैंकों को एक तरह से यह अल्टीमेटम दे दिया है कि अगर उन्होंने छह महीने के भीतर 55 सबसे बड़े एपपीए खाताधारकों के मामले को नहीं सुलझाया तो इन कंपनियों के खिलाफ नए दिवालिया कानून के तहत कदम उठाया जाएगा। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। सूत्रों के अनुसार सबसे पहले वित्त मंत्रलय और रिजर्व बैंक के अधिकारियों के बीच चयनित 12 बड़े एनपीए खाताओं में से तीन एनपीए खाताधारकों के मामले को सुलझाने को लेकर बैठक हुई। इनमें दो स्टील क्षेत्र की और एक बिजली क्षेत्र की निजी कंपनी है जिस पर सरकारी बैंकों का संयुक्त तौर पर 80 हजार करोड रुपये के कर्ज एनपीए में तब्दील हो चुके हैं। इन तीनों कंपनियों के एनपीए के झंझट को सुलझाने का फॉमरूला तैयार है जिसे जल्द ही अंतिम मंजूरी के लिए केंद्रीय बैंक की विशेष समिति के पास भेजा जाएगा।
दूसरी अहम बैठक ऊर्जा मंत्री पीयूष गोयल की अध्यक्षता में बिजली कंपनियों पर बकाये कर्जे को लेकर हुई है। इसमें बिजली क्षेत्र की तमाम दिग्गज कंपनियों के प्रतिनिधि और बैंकों के प्रतिनिधि शामिल है। सरकार पहले ही कह चुकी है कि स्टील और बिजली क्षेत्र की कंपनियों पर सबसे ज्यादा एनपीए है। हाल ही में देश के सबसे बड़े 12 एनपीए ग्राहकों की जो सूची तैयार की गई है उसमें भी अधिकांश इन्हीं दो क्षेत्रों के हैं। ऊर्जा मंत्रलय के सूत्रों के मुताबिक बिजली कंपनियों पर बकाया एनपीए 2.1 लाख करोड़ से 2.3 लाख करोड़ रुपये के बीच हो सकता है। गुरुवार को एनपीए की तीसरी बैठक संचार मंत्री मनोज सिन्हा ने बुलाई। वैसे तो यह बैठक संचार क्षेत्र की दिग्गज कंपनियों के साथ पूरे उद्योग की स्थिति पर विचार विमर्श के लिए बुलाई गई थी लेकिन बैंकों के बकाये कर्जे का मुद्दा भी उठा। कंपनियों की तरफ से सरकार को बताया गया है कि जिस तरह से पूरे संचार उद्योग की स्थिति हो गई है उससे उनके लिए आगे निवेश के लिए पैसा जुटाने में परेशानी हो रही है। उक्त तीनों बैठकों को एनपीए की समस्या को दूर करने के लिहाज से काफी अहम माना जा रहा है।
दूसरी तरफ आरबीआइ ने फंसे कर्जे की समस्या से लड़ने को लेकर बैंकों पर दबाव और बढ़ा दिया है। बैंकों को कहा गया है कि वे अगले छह महीने में शीर्ष के 55 एनपीए खाताधारकों की समस्याओं को सुलझाने का फॉमरूला तैयार करे नहीं तो इन कंपनियों की परिसंपत्तियों को जब्त करने की प्रक्रिया शुरू की जा सकती है। सनद रहे कि सिर्फ सरकारी बैंकों के एनपीए का स्तर रिकॉर्ड सात लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का हो चुका है। कई लोग मानते हैं कि यह भारतीय वित्तीय व्यवस्था के सामने सबसे बड़ी चुनौती है।
रिजर्व बैंक ने बैंकों को पासबुक और स्टेटमेंट में ट्रांजैक्शन का पर्याप्त ब्योरा मुहैया कराने के निर्देश दिए हैं। ग्राहकों को लेनदेन के विवरण को दोबारा जांचने में सहूलियत हो, इसे देखते हुए केंद्रीय बैंक ने ऐसा किया है।
इससे पहले, आरबीआइ ने बैंकों को सलाह दी थी कि वे पासबुक/स्टेटमेंट में समझ से परे एंट्री करने से बचें। साथ ही सुनिश्चित करें कि हमेशा संक्षिप्त व सुगम जानकारियां दर्ज की जाएं ताकि जमाकर्ताओं को किसी तरह की असुविधा नहीं हो। आरबीआइ ने कहा कि उसके संज्ञान में आया है कि कई बैंक अब भी पर्याप्त विवरण प्रदान नहीं कर रहे हैं। रिजर्व बैंक ने बैंकों को मुहैया कराए जाने वाले विवरणों की सूची निर्धारित की है। पासबुक में बैंकों को जो विवरण देने हैं, उनमें पेयी का नाम, ट्रांजैक्शन का मोड, शुल्क की प्रकृति (जैसे फीस/कमीशन/फाइन/पेनाल्टी) और लोन अकाउंट नंबर शामिल हैं। केंद्रीय बैंक के अनुसार, बेहतर ग्राहक सेवा के हित में यह निर्णय लिया गया है कि बैंक खातों में एंट्री के संबंध में प्रासंगिक विवरण प्रदान करेंगे।
आइटी क्षेत्र में रोजगार परिदृश्य को लेकर ज्यादा निराशा नहीं: रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल ने कहा कि है वह सूचना प्रौद्योगिकी (आइटी) क्षेत्र में रोजगार परिदृश्य को लेकर बहुत ज्यादा निराश नहीं हैं। उन्हें लगता है कि नौकरियों में कमी की भरपाई बढ़ती स्टार्टअप कंपनियां कर सकती हैं। पटेल का यह बयान ऐसे समय में आया है जब आइटी उद्योग के संगठन नैस्कॉम ने 2017-18 में निर्यात राजस्व में 7-8 फीसद ग्रोथ का अनुमान लगाया है। यह पूर्व वित्त वर्ष में 8.6 फीसद रही थी। हाल ही में आइटी कंपनियों की ओर से छंटनी संबंधी तमाम खबरें आई हैं।
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साभार: जागरण समाचार 
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