आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट (आइएस) ने बुधवार को इराक के मोसुल शहर में करीब 850 साल पुरानी ऐतिहासिक अल-नूरी मस्जिद विस्फोट से उड़ा दी। यही वह मस्जिद थी जहां से आइएस सरगना अबू बकर
अल-बगदादी ने खुद को इराक और सीरिया का खलीफा घोषित किया था। मस्जिद के साथ प्रसिद्ध अल-हद्बा मीनार को भी गिरा दिया गया है। यह मीनार झुकी हुई थी, जिसको लेकर तमाम तरह के कयास थे। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। रमजान के महीने में आतंकियों के इस कृत्य से मोसुल ही नहीं पूरे मुस्लिम जगत में गम और गुस्सा है। इराक के प्रधानमंत्री हैदर अल-अबादी ने कहा है कि अल-नूरी मस्जिद को उड़ाकर आइएस ने अपनी हार का आधिकारिक एलान कर दिया है। इस मस्जिद की जिस 150 फुट ऊंची अल-हद्बा मीनार को गिराया गया है उस पर जून 2014 से आइएस का काला झंडा फहरा रहा था। अल-नूरी मस्जिद से ही चार जुलाई, 2014 को बगदादी ने खुद के खलीफा होने का एलान किया था। मीडिया में आने वाली बगदादी की इकलौती तस्वीर भी उसी समय की है। आइएस की अमाक न्यूज एजेंसी ने मस्जिद को उड़ाए जाने के आरोप का खंडन करते हुए दावा किया है कि यह कृत्य अमेरिकी लड़ाकू विमानों की बमबारी से हुआ है। लेकिन अमेरिकी एयरफोर्स के प्रवक्ता कर्नल जॉन डोरियन ने मोसुल शहर पर ऐसी किसी बमबारी से इन्कार किया है।
इराकी सेना की ओर जारी फोटोग्राफ में दिखाया गया है कि मस्जिद और मीनार वाली जगह पर सिर्फ मलबा पड़ा है। आइएस ने मस्जिद और मीनारों को उड़ाने की वारदात मोसुल शहर में आमने-सामने की लड़ाई के बीच की है। अब शहर के पुराने हिस्से में लड़ाई चल रही है। इराकी सेना अपने सहयोगी सशस्त्र संगठनों की मदद से धीरे-धीरे आगे बढ़ रही है जबकि हवाई हमले करके अमेरिकी गठबंधन की वायुसेना उसे सहयोग दे रही है। इराक में आइएस की राजधानी मोसुल पर कब्जे के लिए नौ महीने से जंग जारी है।
Post published at www.nareshjangra.blogspot.com
साभार: जागरण समाचार
For getting Job-alerts and Education News, join our Facebook Group “EMPLOYMENT BULLETIN” by clicking HERE. Please like our Facebook Page HARSAMACHAR for other important updates from each and every field.