हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा पंचकूला में औद्योगिक प्लॉट आवंटन मामले में फंस गए हैं। उन पर नियमों की अनदेखी करते हुए अपने रिश्तेदारों और चहेतों को पंचकूला के फेस एक और दो में औद्योगिक प्लॉट बांटने के आरोप हैं। विजिलेंस ब्यूरो ने हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (हुडा) के चेयरमैन के नाते पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा को अनियमितताएं बरतने का दोषी माना है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। हरियाणा सरकार की मंजूरी के बाद विजिलेंस ब्यूरो ने पंचकूला थाने में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, हुडा के तत्कालीन प्रशासक आइएएस अधिकारी डीपीएस नागल, हुडा के मुख्य वित्तीय नियंत्रक (रिटायर्ड) एससी कांसल और हुडा के तत्कालीन उप कार्यालय अधीक्षक बीबी तनेजा समेत जांच में दोषी पाए गए सभी 13 प्लाट धारकों के विरुद्ध एफआइआर दर्ज कर ली है। विजिलेंस ब्यूरो के डीएसपी सुरेश कुमार की शिकायत पर उनके विरुद्ध नौ अलग-अलग धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है। भाजपा सरकार ने पूर्व मुख्यमंत्री हुड्डा के विरुद्ध कई जांच शुरू करा रखी है, लेकिन विजिलेंस ब्यूरो के थाने में यह पहली एफआइआर दर्ज हुई है। विजिलेंस ब्यूरो की संस्तुति पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने प्लॉट आवंटन मामले की जांच सीबीआइ से कराने की स्वीकृति दे दी है। सीबीआइ यह केस अगले एक-दो दिन में जांच के लिए अपने पास ले सकती है। भाजपा सरकार में हुड्डा के विरुद्ध यह तीसरी सीबीआइ जांच होगी। इससे पहले मानेसर में करीब 400 एकड़ जमीन के जबरदस्ती अधिग्रहण और रैक्सील दवा खरीद मामले में हुड्डा सीबीआइ जांच से गुजर रहे हैं। विजिलेंस द्वारा एफआइआर दर्ज करने से अब सीबीआइ को मामले में प्राथमिक जांच (पीई) की जरूरत नहीं पड़ेगी।
इन धन्ना सेठों को की गई बंदरबांट:
- रेणु हुड्डा पत्नी स्व. राजेंद्र हुड्डा (पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा के भतीजे)
- मनजोत कौर पुत्रवधू रिटायर्ड जस्टिस एमएस सुल्लर 1 (पति प्रभजीत सिंह हरियाणा के पूर्व एडीशनल एडवोकेट जनरल)
- नंदिता हुड्डा पत्नी पूर्व एडीशनल एडवोकेट जनरल नरेंद्र सिंह हुड्डा
- मोना बेरी पुत्रवधू बीआर बेरी (हुड्डा के पूर्व ओएसडी बीआर बेरी)
- प्रदीप कुमार पुत्र सिंह राम (हुड्डा के पूर्व सचिव सिंह राम)
- कंवरप्रीत सिंह संधू (कुवि के पूर्व वीसी डीडीएस संधू के रिश्तेदार)
- डागर कत्याल (पूर्व डिप्टी एडवोकेट जनरल सुनील के रिश्तेदार)
- डा. गणोश दास (फोर्टिस अस्पताल के पूर्व कंसलटेंट, हुड्डा के मित्र)
- अमन गुप्ता (कुरुक्षेत्र के पूर्व कांग्रेस विधायक रमेश गुप्ता के पुत्र)
- ले. कर्नल ओपी दहिया (कांग्रेस विधायक कर्ण दलाल के परिचित)
- एमएस वाईपीटी इंटरटेनमेंट हाउस प्रोपराइट सिद्वार्थ भारद्वाज पुत्र एस भारद्वाज (पूर्व विधायक रामकुमार गौतम के दामाद)
- अशोक वर्मा (अशोक काका के दामाद और काका व हुड्डा मित्र)
हुडा चेयरमैन के नाते जिन व्यक्तियों को प्लॉट आवंटित किए गए थे, उन्होंने अपने दस्तावेज भी पूरे नहीं किए थे। विजिलेंस जांच में इन खामियों को उजागर किया गया है।
- अलाटियों को दस्तावेजों के सभी कालम पूरे नहीं थे।
- इंटरव्यू के नंबरों में हेरफर किया गया। वित्तीय उपलब्धता और बिजनेस के नंबरों का आपस में घालमेल कर दिया गया।
- विजिलेंस की जांच रिपोर्ट के मुताबिक रेणु हुड्डा, अशोक और डॉ. गणोश तकनीकी रूप से इन प्लॉटों के लिए पात्र नहीं थे। उन्होंने आवश्यक योग्यताएं पूरी नहीं की।
- विजिलेंस ने खुलासा किया कि नंदिता हुड्डा के दस्तावेज पूरे नहीं थे।
- कंवरप्रीत सिंह संधू का बिजनेस का अनुभव नहीं था। फिर भी उन्हें 25 में से 22 अंक दिए गए।
हरियाणा के एडवोकेट जनरल बलदेव महाजन का कहना है कि तमाम तरह से कानूनी पड़ताल के बाद राज्य सरकार ने प्लॉट आवंटन में कार्रवाई करने का फैसला लिया है। इसमें कुछ भी गलत नहीं है। विजिलेंस जांच में आरोप साबित हो चुके हैं। सरकार किसी व्यक्ति के खिलाफ नहीं है।
हरियाणा विजिलेंस ब्यूरो की ओर से पंचकूला थाने में दर्ज एफआइआर में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा का सीधे तौर पर नाम तो नहीं है, लेकिन उनके पदनाम हुडा के चेयरमैन का स्पष्ट उल्लेख है। उस समय हुड्डा ही हुडा के चेयरमैन थे। इसलिए सीधे तौर पर यह मुकदमा हुड्डा को प्रभावित कर रहा है।
Post published at www.nareshjangra.blogspot.com
साभार: जागरण समाचार
For getting Job-alerts and Education News, join our Facebook Group “EMPLOYMENT BULLETIN” by clicking HERE. Please like our Facebook Page HARSAMACHAR for other important updates from each and every field.