पंचकूला के औद्योगिक प्लॉट आवंटन मामले में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के साथ-साथ उन आइएएस अधिकारियों की मुश्किलें भी बढ़ गई हैं, जिन्होंने प्लॉट आवंटन के लिए नियम और शर्ते तय की थी। इस कमेटी में तीन वरिष्ठ आइएएस शामिल हैं। सीबीआइ जांच के दौरान इन अफसरों पर गाज गिर सकती है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। विजिलेंस
ब्यूरो के पंचकूला थाने में हुड्डा व एक आइएएस अधिकारी डीपीएस नागल समेत 17 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज होने के बाद अब सीबीआइ जांच का रास्ता साफ हो गया है। सीबीआइ इस केस को किसी भी समय अपने हाथों में ले सकती है। विजिलेंस ने जांच रिपोर्ट में माना है कि प्लॉट आवंटन की प्रक्रिया शुरू होने के करीब छह माह तक नियम व शर्ते तय नहीं की गई और आवेदन प्रक्रिया खत्म होने के बाद इनमें बदलाव भी किया गया था। आइएएस अधिकारियों की तीन सदस्यीय टीम ने जो नियम और शर्ते तय की थी, उन पर विजिलेंस ने सवाल खड़े करते हुए आइएएस अफसरों की भूमिका को भी संदिग्ध माना है। तीनों अधिकारी पूर्व सीएम हुड्डा के विश्वासपात्रों में गिने जाते हैं। सीबीआइ अपनी जांच के दौरान हुडा के तत्कालीन प्रशासक डीपीएस नागल, तत्कालीन मुख्य वित्त नियंत्रक एसके कांसल और उप कार्यालय अधीक्षक बीबी तनेजा के साथ-साथ इन तीनों आइएएस को भी पूछताछ के लिए बुला सकती है। इनमें एक रिटायर हो चुके हैं।
आइएएस अधिकारी लॉबिंग में जुटे: विजिलेंस और सीबीआइ जांच में आइएएस अफसरों पर उठ रही अंगुली से प्रशासनिक लॉबी एकजुट होती दिखाई दे रही है। सूत्रों के अनुसार अधिकारी अपने बचाव का रास्ता खोजने के लिए कानूनी संपर्क साध रहे हैं।
छिन सकते हैं आवंटित प्लॉट: पंचकूला के फेज एक व दो में जिन प्लॉटधारकों के प्लॉट आवंटन पर सवाल खड़े किए जा रहे हैं, देर-सबेर उन्हें रिज्यूम करने की कार्रवाई भाजपा सरकार की ओर से की जा सकती है। सभी प्लॉट धारक हालांकि बार-बार अपना कोई भी राजनीतिक कनैक्शन नहीं होने की बात कह चुके हैं, लेकिन सीबीआइ जांच के बाद उनकी मुश्किलें बढ़ सकती हैं। विजिलेंस ने अपनी जांच में माना कि इन प्लॉटधारकों को मार्केट रेट से कम पर प्लॉट आवंटित किए गए हैं।
सरकार ने दिए हुड्डा के विरुद्ध और भी जांच के संकेत: भाजपा सरकार पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के विरुद्ध कुछ जांच और करा सकती है। वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु और स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज के बाद रविवार को कृषि मंत्री ओमप्रकाश धनखड़ ने भी ऐसे ही संकेत दिए हैं। धनखड़ ने कहा कि पूरी जांच पड़ताल के बाद हुड्डा के विरुद्ध एफआइआर दर्ज करने की अनुमति राज्य सरकार ने दी है। हुड्डा सरकार के अन्य घोटालों की भी तहकीकात कराई जा रही है। भाजपा सरकार उन्हें भी सामने लाएगी।
चौटाला ने बढ़ाया हुड्डा पर कार्रवाई का दबाव: विधानसभा में विपक्ष के नेता अभय सिंह चौटाला ने हुड्डा के विरुद्ध एफआइआर दर्ज करने को उन्हें बचाने का भाजपा सरकार का प्रयास बताया है। चौटाला ने भाजपा सरकार पर हुड्डा के विरुद्ध दी गई 400 पेज की चार्जशीट पर अभी तक कोई फैसला नहीं लिए जाने पर भी कड़ी आपत्ति जाहिर की। चौटाला ने कहा कि हुड्डा को बचाने की कोशिश हो रही है। सिर्फ एफआइआर दर्ज कर सरकार ने औपचारिकता पूरी कर ली, जबकि राज्यपाल और मुख्यमंत्री को इनेलो द्वारा दी गई चार्जशीट के आधार पर उनके विरुद्ध कम से कम 400 एफआइआर दर्ज होनी चाहिए।
हुड्डा बोले, घोटाले छिपा रही भाजपा: पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने फिर से अपने विरुद्ध दर्ज एफआइआर को राजनीतिक दुर्भावना की कार्रवाई करार दिया है। हुड्डा ने कहा कि उनके खिलाफ बदले की भावना से कार्रवाई की जा रही है। उन्होंने कोई भी काम गलत अथवा नियमों के विपरीत नहीं किया है। भाजपा सरकार ऐसे ओछे हथकंडे अपनाकर धान घोटाले और गिरदावरी में घोटाले को नहीं छिपा सकती। उसे अपने चुनावी वादे पूरे नहीं करने पर जनता के बीच जवाब देना ही पड़ेगा।
अब निगाहें मनोहर और हुड्डा के अगले कदमों पर: अब पूर्व सीएम हुड्डा और मुख्यमंत्री मनोहर लाल के अगले कदमों पर निगाह टिक गई है। हुड्डा जहां अपने समर्थन में कांग्रेस विधायकों को लामबंद कर सकते हैं, वहीं भाजपा सरकार कानूनी राय लेने के बाद हुड्डा की घेरेबंदी बढ़ा सकती हैं।
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साभार: जागरण समाचार
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