साभार: जागरण समाचार
जाति और धर्म के नाम पर नफरत फैलाने वाले भाषणों के मामले में चुनाव आयोग की नेताओं के खिलाफ कार्रवाई से मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट संतुष्ट दिखा। कोर्ट ने कहा, लगता है कि चुनाव आयोग की शक्तियां
वापस आ गई हैं। वह जाग गया है। इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि अब फिलहाल कोई अंतरिम आदेश देने की जरूरत नहीं है और मामले पर सुनवाई स्थगित कर दी।
सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद सोमवार को चुनाव आयोग ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ व सपा नेता आजम खान पर 72 घंटे और बसपा सुप्रीमो मायावती व केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी पर 48 घंटे चुनाव प्रचार करने, साक्षात्कार देने अथवा सोशल मीडिया के इस्तेमाल पर रोक लगा दी थी। इससे पहले सोमवार को कोर्ट ने नफरत फैलाने वाले भाषणों पर योगी आदित्यनाथ और मायावती के खिलाफ त्वरित कार्रवाई नहीं करने पर चुनाव आयोग को फटकार लगाई थी।
आयोग ने कोर्ट में कहा था कि ऐसे मामलों में कार्रवाई करने की उसके पास सीमित शक्तियां हैं। इसके बाद कोर्ट ने मंगलवार को आयोग की शक्तियों के मसले पर विचार का निर्णय लिया था और आयोग के अधिकारी को मंगलवार को कोर्ट में पेश रहने का आदेश दिया था।
मंगलवार को प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष आयोग की ओर से पेश वरिष्ठ वकील एएस सुंदरम ने कहा, उन्होंने पाया कि आयोग के पास काफी शक्तियां हैं। इसके साथ ही उन्होंने ऐसे मामलों में आयोग के द्वारा की गई कार्रवाई का ब्योरा दिया। कोर्ट ने आयोग की ओर से दिया गया ब्योरा देखने के बाद कहा कि अब फिलहाल मामले पर कोई अंतरिम आदेश देने की जरूरत नहीं लगती।
मायावती को फिलहाल राहत नहीं: चुनाव प्रचार पर 48 घंटे की रोक ङोल रहीं बसपा सुप्रीमो मायावती को मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली। कोर्ट ने उनके मामले पर तत्काल सुनवाई की गुहार ठुकरा दी और कहा कि वह चुनाव आयोग के आदेश के खिलाफ अलग से अपील दाखिल करें।