साभार: जागरण समाचार
राहुल गांधी के वायनाड में नामांकन दाखिल करने के ठीक पहले वित्त मंत्री अरुण जेटली ने उन पर अनैतिक और अवैध तरीके से करोड़ों रुपये की संपत्ति बनाने का आरोप लगाया है। जेटली का कहना है कि नेहरू गांधी
परिवार ने पीढि़यों से कोई व्यवसाय नहीं किया है, लेकिन करोड़ों की संपत्ति बनाने का उन्होंने नायाब तरीका ढूंढ लिया है।
उन्होंने बताया कि किस तरह संप्रग सरकार के दौरान आरोपों में घिरी कंपनियों और उसके मालिकों को किराये पर पुश्तैनी फार्महाउस देकर करोड़ों रुपये बनाए गए और बाद में रियल एस्टेट में निवेश किया गया। यही नहीं, रियल एस्टेट कंपनी से भी सुनिश्चित रिटर्न के रूप में निवेश की अधिकांश रकम वापस ले ली गई। जेटली ने संकेत दिया कि संबंधित एजेंसियां इस मामले की जांच कर सकती हैं।
अरुण जेटली ने बताया कि राहुल गांधी ने अपना पुश्तैनी फार्महाउस कमोडिटी स्टॉक एक्सचेंज के नाम पर घोटाला करने वाले जिग्नेश शाह को दिया। इसके एवज में 16 हजार निवेशकों के 5,800 करोड़ रुपये के घोटालेबाज के खिलाफ संप्रग सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं होने दी। जेटली ने पूछा, जिग्नेश शाह न तो दिल्ली में रहता है और न दिल्ली में उसका कोई कारोबार है, उसने करोड़ों रुपये के किराये पर फार्महाउस क्यों लिया और फिर घोटाले में फंसी उसकी कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की गई। जेटली ने बताया कि 2014 में नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने के बाद कार्रवाई की गई। मुंबई हाई कोर्ट सरकार की कार्रवाई को सही ठहरा चुका है और मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है।
जेटली के अनुसार, 2004 से 2014 के बीच इस फार्महाउस को कई कंपनियों को किराये पर दिया गया। किराये के रूप में जमा किए गए कई करोड़ रुपयों को बाद में रियल एस्टेट में लगा दिया गया। इनमें से एक 2जी घोटाले के आरोपित संजय चंद्रा की कंपनी यूनिटेक है। जहां यूनिटेक में करोड़ों निवेशकों का पैसा डूब गया, वहीं राहुल गांधी और संजय चंद्रा के बीच हुए लिखित समझौते के तहत निवेश की अधिकांश राशि सुनिश्चित रिटर्न के तहत राहुल गांधी के पास वापस आ गई। इसके एवज में संजय चंद्रा संप्रग सरकार के दौरान खुलेआम घूमता रहा। मोदी सरकार के दौरान संजय चंद्रा पिछले डेढ़ साल से जेल में बंद है।
कांग्रेस घोषणा पत्र जारी करते हुए राहुल गांधी के बयान 'जो कहा, वो वादा निभा दिया' पर कटाक्ष करते हुए जेटली ने कहा कि जिग्नेश शाह के साथ किया वादा भी उन्होंने निभाया और संप्रग सरकार के दौरान कोई कार्रवाई नहीं होने दी। उन्होंने कहा कि सामान्य लेन-देन कहकर इन आरोपों से पल्ला झाड़ने से काम नहीं चलेगा और कांग्रेस व राहुल गांधी को इसका जवाब देना पड़ेगा।
35ए और 370 पर दिए जा रहे झूठे तर्क: अरुण जेटली ने अनुच्छेद 35ए और 370 के भारत में कश्मीर के विलय की पूर्व शर्त होने के महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला के दावों को सिरे से खारिज कर दिया। जेटली ने कहा कि कश्मीर का विलय 1948 में हुआ था, जबकि 370 को 1950 में और 35ए को 1954 में संविधान में शामिल किया गया। बाद में आए अनुच्छेद पहले हुए विलय की पूर्व शर्त कैसे हो सकते हैं।
जेटली ने 35ए और 370 को हटाने के बाद कश्मीर की स्थिति विलय पूर्व जैसी होने के दावे को हास्यास्पद बताया। उन्होंने कहा, यह तर्क वैसा ही है जैसे ब्रिटिश संसद भारत की स्वतंत्रा का कानून वापस लेने का प्रस्ताव पारित कर दे। क्या इससे भारत फिर ब्रिटेन का गुलाम हो जाएगा।