साभार: जागरण समाचार
लोकसभा चुनाव की सियासी गरमी के बीच कांग्रेस ने एक बार फिर राफेल सौदे को लेकर सत्तारूढ़ भाजपा सरकार को घेरने की कोशिश की है। कांग्रेस ने फ्रांस के एक अखबार में छपी रिपोर्ट का हवाला देते हुए सरकार पर
फिर अनिल अंबानी और उनकी रिलायंस कम्युनिकेशंस को फायदा पहुंचाने का आरोप लगाया। पार्टी ने कहा कि अनिल अंबानी के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मध्यस्थ की भूमिका निभा रहे हैं। दूसरी ओर आरकॉम, रक्षा मंत्रलय और फ्रांस की सरकार ने रिपोर्ट को बेबुनियाद बताया है।
राफेल लड़ाकू विमानों को लेकर फ्रांस से हुआ सौदा लगातार कांग्रेस के निशाने पर है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी हर मंच पर यह आरोप लगा रहे हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस सौदे के बहाने अनिल अंबानी की कंपनी को फायदा पहुंचाया है। आरोपों की इसी कड़ी में शनिवार को विपक्ष के हाथ उस वक्त बड़ा मौका लग गया, जब फ्रांस के अखबार ‘ली मोंड’ की रिपोर्ट सामने आई। अखबार का दावा है कि भारत से राफेल सौदा होने के कुछ ही महीने के भीतर अनिल अंबानी की रिलायंस कम्युनिकेशंस की फ्रांसीसी सब्सिडियरी का 14.37 करोड़ यूरो (करीब 1121 करोड़ रुपये) का कर्ज माफ किया गया था।
हमलावर हुई कांग्रेस: रिपोर्ट सामने आते ही कांग्रेस प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमलावर हो गई है। पार्टी मीडिया विभाग के प्रभारी रणदीप सुरजेवाला ने मामले को ‘जीरो सम च्वाइस’ करार देते हुए कहा कि चूंकि अनिल अंबानी पर प्रधानमंत्री की कृपा थी इसलिए फ्रांस सरकार ने टैक्स रियायत दी। आखिर कितनी कंपनियों का टैक्स फ्रांस में माफ किया जाता है। साफ है कि राफेल सौदे में लेन-देन हुआ है। फ्रांस की मीडिया के रिपोर्ट से भी जाहिर है कि एक ही चौकीदार चोर है। भाजपा के चुनावी नारे के सहारे वार करते हुए कांग्रेस नेता ने कहा कि ‘जिन पर पीएम मोदी की कृपा है उन्हें कुछ भी हासिल हो सकता है। मोदी है तो यह मुमकिन है।’
फ्रांस सरकार ने दावे को बेबुनियाद ठहराया: फ्रांस की सरकार ने अखबार के दावे को बेबुनियाद बताया है। रिपोर्ट पर मचे बवाल के बाद फ्रांसीसी दूतावास ने बयान जारी कर कहा, ‘फ्रांस के टैक्स अधिकारियों और टेलीकॉम कंपनी रिलायंस फ्लेग के बीच 2008-12 के बीच के टैक्स विवाद पर एक ग्लोबल सेटलमेंट हुआ था। यह सेटलमेंट पूरी तरह कर विभाग की व्यवस्था व नियमों के अनुरूप हुआ था। इसमें कहीं कोई राजनीतिक हस्तक्षेप नहीं था।’
आरोपों पर बिफरा रक्षा मंत्रलय: रक्षा मंत्रलय ने रिपोर्ट की आलोचना की है। मंत्रलय ने कहा, ‘हमने निजी कंपनी को मिली कर छूट और भारत सरकार के राफेल सौदे के बीच अनुमान के आधार पर संबंध जोड़ने वाली रिपोर्ट देखी। कर छूट की अवधि और मामला, दोनों का कहीं से भी वर्तमान सरकार के राफेल सौदे से संबंध नहीं है। इनके बीच दिखाया जा रहा संबंध गलत और जानबूझकर भ्रम फैलाने की बुरी कोशिश है।’
आरकॉम ने रिपोर्ट को बताया बकवास: रिलायंस कम्युनिकेशंस ने फ्रांसीसी अखबार के दावे को बकवास बताया है। कंपनी ने कहा कि उसकी सब्सिडियरी का टैक्स विवाद 2008 का था। कंपनी ने कहा, ‘मामला 2008 से 2012 के बीच का था। उस दौरान कंपनी को 20 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था, जबकि कर अधिकारियों ने उसी अवधि के लिए 1100 करोड़ रुपये से ज्यादा का टैक्स मांग लिया था। बाद में स्थानीय कानून के आधार पर 56 करोड़ रुपये के भुगतान पर अंतिम सहमति बन गई।’ कंपनी ने कहा कि इस समझौते का दूर-दूर तक राफेल सौदे से संबंध नहीं है।