साभार: जागरण समाचार
जाट आरक्षण और डेरा सच्चा सौदा समर्थकों के आंदोलन के बावजूद हरियाणा को शांत राज्य मानते हुए केंद्रीय चुनाव आयोग ने अर्ध सैनिक बलों की अधिक कंपनियां तैनात करने से मना कर दिया है। राज्य सरकार ने
केंद्रीय गृह मंत्रलय से 200 कंपनियां मांगी थीं, लेकिन केंद्रीय चुनाव आयोग ने सिर्फ 65 कंपनियां मंजूर की हैं। पिछले चुनाव में राज्य को 75 कंपनियां मिली थीं।
मालूम हो कि प्रदेश को अर्ध सैनिक बलों की तीन कंपनियां एक माह पहले मिल गई थीं। यह कंपनियां हर जिले में तीन-तीन दिन रुक कर अगले जिले में कूच कर जाती हैं, जहां पुलिस फोर्स के साथ फ्लैग मार्च की प्रक्रिया जारी है। दो कंपनियां इसी माह मिलने की संभावना है।
राज्य में छठे चरण में 12 मई को चुनाव होंगे। राज्य में 11 हजार पोलिंग स्टेशन और 19 हजार बूथ हैं। पुलिस नफीरी करीब 50 हजार है। यदि एक बूथ पर कम से कम दो पुलिस कर्मियों की ड्यूटी भी लगाई जाए तो 38 हजार पुलिसकर्मी इसी काम में तैनात कर दिए जाएंगे।
पुलिस कर्मियों की कमी पूरा करने के लिए पुलिस महानिदेशक ने हरियाणा विद्युत प्रसारण निगम समेत विभिन्न विभागों में प्रतिनियुक्ति पर गए पुलिस कर्मियों को वापस बुला लिया है। साथ ही अगले आदेश तक सभी पुलिस कर्मियों के अवकाश रद कर दिए गए हैं। सभी पुलिस अधीक्षकों को संवेदनशील और अति संवेदनशील मतदान केंद्रों की सूची नए सिरे से बनाकर भेजने के निर्देश दिए गए हैं।
- चुनाव नई प्रक्रिया नहीं है। हर पांच साल में चुनाव होते हैं। दो बार भी हो जाते हैं। शांतिपूर्ण चुनाव के लिए स्टेट लेवल डिप्लायमेंट (तैनाती) प्लान बनाया जाता है। हर बूथ व पोलिंग स्टेशन पर ड्यूटी लगती है। अर्ध सैनिक बलों की भी तैनाती होती है। संवेदनशील इलाकों में फोर्स की डिप्लायमेंट (तैनाती) बढ़ा दी जाती है। केंद्रीय गृह मंत्रलय से हमने 200 कंपनियां मांगी थीं। केंद्रीय चुनाव आयोग हरियाणा को शांतिपूर्ण राज्य मानता है। आयोग को लगता है कि यहां चुनाव कराने के कड़े चैलेंज नहीं हैं। हमारे राज्य के लिए 65 कंपनियां स्वीकृत हुई हैं। पांचवें चरण के चुनाव संपन्न होने के बाद हमारे पास बाकी कंपनियां पहुंच जाएंगी। अभी तक तीन कंपनियां आ चुकी और दो आने वाली हैं। - मनोज यादव, डीजीपी, हरियाणा