साभार: जागरण समाचार
नई शिक्षा नीति पर टकटकी लगाए बैठे लोगों को फिलहाल अभी कुछ महीने और इंतजार करना पड़ सकता है। इसके अब दिसंबर तक आने की संभावना है। हालांकि इसकी वजह
पांच राज्यों के चुनाव के साथ-साथ नीति को पूरी तरह से ठोक-बजाकर लागू करने की कवायद भी है। ऐसे में नई नीति का मसौदा तैयार कर रही कमेटी को एक और विस्तार दिए जाने की संभावना है। इसका कार्यकाल फिलहाल 31 अक्टूबर को खत्म हो रहा है।
इसरो के पूर्व प्रमुख के. कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता में काम कर रही कमेटी का कार्यकाल खत्म होने से पहले नई शिक्षा नीति पेश होने के कयास लगाए जा रहे थे। कमेटी के एक सदस्य वरिष्ठ सदस्य ने इस संभावना से असहमति जताई है। उनका कहना है कि अभी नीति को लेकर समीक्षा का दौर चल रहा है। दो दिन पहले बेंगलुरु में इसे लेकर कार्यशाला आयोजित की गई थी। इसमें शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े लोगों के बीच नीति को लेकर चर्चा हुई है। आने वाले दिनों में देश के कुछ बड़े शहरों में ऐसे आयोजन होने हैं। हाल ही में केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने भी अक्टूबर में नई शिक्षा नीति के आने की संभावना पर कहा था कि जल्द ही आएगी। लेकिन इसी साल के अंत तक पेश होने की संभावना है। नई शिक्षा नीति में गुणवत्ता, स्वायत्तता और संशोधित पाठ्यक्रम पर सबसे ज्यादा फोकस करने की बात सामने आई है। इन तीनों मोर्चे पर सरकार पूरी तरह प्रतिबद्ध है। सरकार ने पिछले चार सालों में इस दिशा में काफी काम किया है। माना जा रहा है कि नई नीति इसी पहल को आगे बढ़ाने वाला एक कदम होगा। वैसे भी यह नीति वर्ष 2020 से 2040 यानि अगले 20 साल का एक ‘विजन डाक्यूमेंट’ होगा। गौरतलब है कि मानव संसाधन विकास मंत्रलय ने नई शिक्षा नीति पर काम कर रही कस्तूरीरंगन कमेटी का गठन जून 2017 में किया गया था।