साभार: जागरण समाचार
फर्जी रजिस्ट्री कर बनाया था आश्रम: रामपाल के बंदी छोड़ भक्ति मुक्ति ट्रस्ट ने 2003 में रोहतक के करौंथा गांव में सतलोक आश्रम बनाया था। 2006 में शिकायत दी गई कि आश्रम की जमीन गांव की महिला कमला देवी की थी। मगर धोखे से उसकी जगह किसी और की रजिस्ट्री करवा दी गई। 12 जुलाई 2006 को गांव के आर्य समाजियों का आश्रम
संचालकों के साथ विवाद हुआ। दोनों पक्षों में झड़प में गोली लगने से एक की मौत हो गई। पुलिस ने इस मामले में रामपाल सहित 38 लोगों को हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया था। बाद में सभी को पंजाब व हरियाणा हाई कोर्ट से जमानत मिल गई। 2014 में इसी मामले रामपाल को कोर्ट में पेश होने के लिए कहा गया था।
यह है मामला: फर्जी रजिस्ट्री मामले में वह बीमारी का बहाना पेश नहीं हुआ। पुलिस उसे पकड़ने के लिए 18 नवंबर 2014 को सतलोक आश्रम के बाहर पहुंची। रामपाल ने पुलिस कार्रवाई से बचने के लिए महिला अनुयायियों व बच्चों को ढाल बनाकर आश्रम के गेट पर बैठा दिया था। आश्रम खाली कराने के दौरान पुलिस को पांच महिलाओं व एक बच्चे का शव मिला था। पुलिस ने 19 नवंबर 2014 को हत्या के दो मुकदमे दर्ज किए थे। पहला मुकदमा 429 नंबर था। इसमें आश्रम के अंदर से पंजाब के संगरूर की मलकीत कौर, राजबाला, संतोष, डेढ़ साल का बच्चा आदर्श और दिल्ली के बदरपुर की सरिता के शव बरामद हुए थे। पुलिस ने सरिता के पति शिवपाल की शिकायत पर हत्या का यह केस दर्ज किया था। दूसरा मुकदमा 430 नंबर है और इन्हीं धाराओं में हैं। यह रजनी नाम की महिला की मौत को लेकर है। इसमें 14 लोग दोषी करार दिए जा चुके हैं, जिसका फैसला बुधवार को आएगा। इन दोनों मुकदमों में छह लोग कामन हैं।
गिरफ्तारी पर आया था 50 करोड़ का खर्च: 2014 में रामपाल को गिरफ्तार करने में हरियाणा पुलिस को पसीना आ गया था। आश्रम के बाहर 18 दिन की लुकाछिपी के बाद पुलिस ने रामपाल को गिरफ्तार कर लिया था। इस अभियान पर हरियाणा पुलिस के 50 करोड़ रुपये से ज्यादा का खर्च हुए था। इस दौरान छह लोगों की जान गई थी 250 से ज्यादा लोग जख्मी हो गए थे।
ऐसे इंजीनियर से बना बाबा: सोनीपत में जन्मे रामपाल ने पढ़ाई पूरी करने के बाद हरियाणा सरकार के सिंचाई विभाग में जूनियर इंजीनियर की नौकरी की। नौकरी के दौरान ही रामपाल की मुलाकात 107 साल के कबीरपंथी संत स्वामी रामदेवानंद महाराज से हुई। स्वामी के करीब आने के बाद रामपाल 18 साल की नौकरी से इस्तीफा दे सत्संग करने लगा। फिर धीरे-धीरे वह खुद को संत कहने लगा। अनुयायियों की संख्या बढ़ने के बाद रामपाल का प्रभाव हरियाणा में तेजी से बढ़ने लगा। उसने ऐसा सिंहासन बनवाया था, जिससे वह कुछ ही क्षणों में मंच के एक कोने से दूसरे कोने तक पहुंच जाता था। रामपाल ने इंजीनियरिंग और विज्ञान के छोटे-मोटे आविष्कारों को अपने आश्रम में इस तरह इस्तेमाल किया कि लोग इसे चमत्कार समझते थे।
किस धारा में कितनी सजा:
- धारा 302 - प्राकृतिक मौत तक का कठोर कारावास और एक-एक लाख रुपये जुर्माना। जुर्माना न भरने पर दो साल की अतिरिक्त कैद।
- 120 बी - अंतिम सांस तक कठोर कारावास और एक-एक लाख रुपये जुर्माना। जुर्माना न भरने पर दो साल की अतिरिक्त कैद।
- धारा 343 - बंधक बनाने के मामले में दो साल की कैद और 5000 रुपये जुर्माना
अभी कई मुकदमे विचाराधीन, इनमें एक देशद्रोह का भी: सतलोक आश्रम के संचालक रामपाल पर सबसे बड़ा मुकदमा देशद्रोह का एफआइआर नंबर 428 अभी चल रहा है। इसमें रामपाल सहित 945 लोगों पर मुकदमा दर्ज किया था, जिसमें से दो लोगों की मौत हो चुकी है। उसकी सुनवाई भी सेंट्रल जेल एक में ही चल रही हैं। इसमें रामपाल और उसके समर्थकों पर आरोप है कि अभियुक्तों ने रामपाल के मुकदमे की सुनवाई के दिन हिसार शहर में पहुंचकर बवाल किया था। एफआइआर नंबर 443 में भी अभी सुनवाई चल रही है।
रोहतक में सन 2006 में हत्या और हत्या के प्रयास के दो मुकदमे दर्ज किए गए थे। ये दोनों भी विचाराधीन है। मंगलवार को रोहतक कोर्ट में पेशी होनी थी, लेकिन हिसार में सजा पर फैसला आने के कारण तारीख लगा दी गई।