पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने अपने एक अहम फैसले में यह स्पष्ट कर दिया कि पहचान पत्र नहीं होने के कारण किसी को परीक्षा देने से महरूम नहीं रखा जा सकता है। मामला रेवाड़ी निवासी निधि राव की याचिका से जुड़ा
है। राव ने याचिका दाखिल कर कहा था कि जब वे नीट की परीक्षा देने केंद्र पर पहुंची तो उनके पास आधार कार्ड की स्कैन कॉपी थी। इस मामले में हाईकोर्ट ने उन्हें परीक्षा में बैठने की अनुमति देते हुए रिजल्ट सील कवर में कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए थे। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। अब इस याचिका का निपटारा करते हुए हाई कोर्ट ने कहा कि पहचान के दस्तावेज परीक्षा केंद्र में अनुशासन और पारदर्शिता के लिए अनिवार्य है लेकिन इसके आधार पर किसी को परीक्षा देने से नहीं रोका जा सकता। परीक्षार्थी की पहचान परीक्षा केंद्र के जिम्मेदार अधिकारी की संतुष्टि पर निर्भर होती है। यदि किसी के पास असल दस्तावेज नहीं हैं तो उसकी पहचान को पुख्ता करने के और तरीके भी हो सकते हैं। ऐसे में सीधे तौर पर इस आधार पर परीक्षा देने से रोकना संविधान में दिए गए मौलिक अधिकारों का हनन है।
Post published at www.nareshjangra.blogspot.com
साभार: जागरण समाचार
For getting Job-alerts and Education News, join our Facebook Group “EMPLOYMENT BULLETIN” by clicking HERE. Please like our Facebook Page HARSAMACHAR for other important updates from each and every field.