हरियाणा स्कूल शिक्षा बोर्ड के बाद अब कॉलेज स्तर पर भी सेमेस्टर सिस्टम खत्म करने की मांग उठी है। कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी से जुड़े कॉलेजों के प्रिंसिपल इस संबंध में जोन स्तर पर बैठकें कर चुके हैं। इन सुझावों को
यूनिवर्सिटी को भेजा गया है, साथ ही केयू के कॉलेज कैंपस में होने वाली कॉन्फ्रेंस में भी इस पर चर्चा होगी। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। सेमेस्टर खत्म करने के मांग के पीछे 11 तर्क गिनाए जा रहे हैं। पानीपत जोन की संयोजक डॉ. मधू शर्मा के मुताबिक सभी बैठकों में प्राचार्यों की तरफ से सेमेस्टर सिस्टम खत्म करने की वकालत की है। सेमेस्टर सिस्टम खत्म करके वार्षिक परीक्षा करने का सुझाव दिया गया है। हालांकि, केयू वीसी डॉ. कैलाशचंद्र शर्मा ने कहा कि सेमेस्टर सिस्टम खत्म करने संबंधित कोई रिपोर्ट उनके संज्ञान में नहीं है। ही अभी सेमेस्टर सिस्टम खत्म करने का फैसला लिया है। प्रिंसिपल की तरफ से ऐसा सुझाव हो सकता है। सिरसा की चौधरी देवीलाल यूनिवर्सिटी के वीसी प्रो. विजय कायत के मुताबिक विवि में नए सत्र में भी सेमेस्टर सिस्टम से ही पढ़ाई होगी। वहीं हिसार की गुरु जंभेश्वर यूनिवर्सिटी के वीसी प्रो. टंकेश्वर कुमार ने कहा कि यहां भी सेमेस्टर सिस्टम खत्म करने का कोई प्रस्ताव नहीं।
ये हैं तर्क:
- सेमेस्टर सिस्टम का छात्रों के परिणाम पर गलत प्रभाव पड़ रहा है। जिन बच्चों को अब तक डिग्री मिल जानी चाहिए थी, किसी किसी कारण से 6 सेमेस्टर होने के बावजूद उन्हें डिग्री नहीं मिली है।
- सेमेस्टर सिस्टम से एक्स्ट्रा गतिविधियों के लिए समय नहीं निकल पा रहा।
- इससे खेल गतिविधियां भी प्रभावित हैं। बार-बार परीक्षाओं के कारण बच्चे प्रतियोगिताओं में भाग लेने से घबराते हैं।
- सालमें दो बार परीक्षाएं आयोजित करनी पड़ती हैं, जिससे बच्चे 4 महीने से ज्यादा समय तक कॉलेज से दूर रहते हैं। दो महीने परीक्षा के कारण और दो महीने नए सेशन की शुरुआत होने में निकल जाते हैं।
- कमकार्य दिवस होने के कारण सेलेबस पूरा कवर नहीं हो पाता।
- छात्रपढ़ाई को लेकर सीरियस नहीं रहे हैं। उन्हें पता है कि चाहे एक भी पेपर पास करें तीन वर्ष तक कॉलेज में जरूर रहेंगे।
- पिछलासिस्टम एक पेपर में फेल है तो कंपार्टमेंट यदि दो में फेल है तो बिलकुल फेल सिस्टम था।
- दोबार परीक्षा आयोजित करने में काफी धन की बर्बादी होती है। स्टेशनरी, ड्यूटी, फ्लाइंग टीम और पेपर चेकिंग आदि सब दो बार चाहिए होता है। इससे बच्चों पर भी आर्थिक बोझ बढ़ रहा है।
- इसकीजगह हाउस एग्जाम सही रहेंगे जिससे उनकी तैयारी भी होती रहेगी।
- यूजीसीके नियमों से भी कम दिन बच्चों की पढ़ाई के लिए शेष बचते हैं।
- दोबार परीक्षा के कारण समय पर परिणाम भी आयोजित नहीं हो पाता है।
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साभार: भास्कर समाचार
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