गुरु जंभेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के इतिहास में पहली बार पीएचडी परीक्षाओं में एक बड़ा नतीजा सामने आया है। पूर्व में हुई पर्यावरण विभाग की पीएचडी सीटों में टॉपर रहने वाला छात्र 33 फीसद अंक
भी नहीं ले पाया। अहम बात यह रही कि पर्यावरण विभाग में कोई परीक्षार्थी 50 फीसद अंक भी नहीं ला पाया है। ऐसे में पीएचडी पेपरों के पूर्व में लीक होने की संभावना प्रबल हो गई है। इससे पूर्व में एग्जाम सेट करने वाले शिक्षक व अन्य अधिकारियों पर कार्रवाई होना पक्का है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। वहीं पर्यावरण विभाग में कोई छात्र इस योग्य नहीं है कि एडमिशन प्रक्रिया को जारी रखा जा सके। यदि विवि प्रशासन ऐसे छात्रों का एडिमशन करता है जो 50 फीसद अंक भी नहीं ले पाए हैं। इससे विवि के शोध कार्यों को गलत दिशा ही मिलेगी। यह कहना मुश्किल है।
वहीं कंप्यूटर साइंस विभाग में छात्र 57 फीसद से आगे नहीं बढ़े। दोनों परीक्षाओं के परिणामों ने विवि का इतिहास ही बदल कर रख दिया है। इन दोनों परीक्षाओं के परिणामों ने साबित कर दिया कि गुजवि में होनी वाली पीएचडी परीक्षाओं में किसी न किसी स्तर पर गड़बड़ी होती है। शिक्षक अपने चहेतों व जानकारों को कही ने कही लाभ पहुंचाते है। इन पीएचडी परीक्षाओं ने विवि के शिक्षक व छात्रों में हलचल मचा दी है। ऐसे में कई सवाल उन विभागों की परीक्षा परिणामों पर भी उठने लगे हैं। जिनके तहत मौजूदा समय में एडमिशन हो चुके हैं। वहीं इस बारे में कुलपति प्रो. टंकेश्वर कुमार ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि पीएचडी मामले में जांच बंद नहीं हुई है। जांच चल रही है। शिक्षक से लेकर छात्र को जांच के दायरे में रखा जाएगा। कोई लापरवाही इस मामले में नहीं बरती जाएगी।
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साभार: जागरण समाचार
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