Monday, February 27, 2017

रोजगार के लिए पूरा गांव कर गया पलायन, घरों पर ताले, लेकिन फिर भी बच्चे गांव में कर रहे पढ़ाई

राजस्थान में अलवर जिले की उमरैण पंचायत समिति का गांव है पीपलगढ़। यह गांव शहर से महज 12 किलोमीटर की दूरी पर है। छह सौ की आबादी का यह पूरा गांव इन दिनों खाली है। घरों पर ताले लटके हुए हैं। गांव के ज्यादातर लोग दूसरे प्रांतों में 8-9 महीने रोजगार के लिए पलायन कर गए हैं। यहां जो कोलाहल सुनाई
पड़ता है, वह बच्चों का है, जो स्कूल से आता है। इन बच्चों के माता-पिता तो कमाने चले गए हैं, लेकिन ये गांव में रुककर पढ़ाई कर रहे हैं। सरकारी स्कूल से वंचित इस निरक्षर गांव में निर्वाण वन फाउंडेशन ने शिक्षा की अलख जगाई है। लोगों के बीच विश्वास पैदा किया। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। नतीजा यह है कि अब रोजगार के लिए जाते समय ये परिवार बच्चों को यहीं छोड़ जाते हैं। ये लोग कुछ घरों को खुले छोड़ जाते हैं। बच्चे स्कूल में पढ़ने के बाद इन घरों में सामूहिक रूप से हॉस्टल की तरह रहते हैं। स्कूल में अब 50 बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं। यह आंकड़ा 85 बच्चों तक भी पहुंच चुका है। यहां संस्था का पांचवीं कक्षा तक स्कूल संचालित है। गांव के सभी बच्चे पास गांव के सरकारी स्कूल में नामांकित थे। लेकिन वे कभी स्कूल ही नहीं गए। संस्था ने सर्वे किया तो यह स्थिति सामने आई। संस्था के संस्थापक निर्वाण बोधिसत्व बताते हैं कि सर्वे में जब अशिक्षित गांव की तस्वीर सामने आई तो उन्हें शिक्षित करने का संकल्प लिया। इन्हें शिक्षित करना भी जरूरी था। क्योंकि अब नट जाति परिवारों का पारंपरिक खेल तमाशा और नाच-गाने का काम कम हो गया है, तो बच्चे भीख मांगते हैं। शिक्षा से जुड़ेंगे तो उनकी सोच बदलेगी और दिशा तय होगी। उल्लेखनीय है कि ग्रामीण अगस्त से दिल्ली, हरियाणा, पंजाब की ओर रोजगार के लिए पलायन कर जाते हैं और अप्रैल में लौटते हैं। 
विश्वास के लिए वृद्धों की मदद: ग्रामीणों का विश्वास आगे तक कायम रहे, इसके लिए गांव के वृद्धों की मदद ली जा रही है। जब सभी ग्रामीण चले जाते हैं तो इस खाली गांव में आठ-दस वृद्ध रुक जाते हैं, जो स्कूल समय के बाद बच्चों के साथ ही रहते हैं। बच्चों को खाना बनाने और सुरक्षा गार्ड के रूप में भी गांव के व्यक्ति को ही प्राथमिकता दी हुई है, जिससे बच्चों को घर का सा माहौल मिलता रहे। 
आठ महीने के लिए दूसरे प्रांतों में कमाने चले जाते हैं ग्रामीण: संस्था की ओर से बच्चों को पढ़ाने के लिए शहर से तीन शिक्षक लगाए हुए हैं, जाे रोजाना बच्चों को पढ़ाने के लिए पीपलगढ़ पहुंचते हैं। स्कूल और हॉस्टल की जिम्मेदारी राकेश मीणा संभाले हुए हैं। बच्चों को पाठ्य सामग्री, स्टेशनरी, नाश्ता, दोनों समय खाना, मेडिकल सुविधा संस्था की ओर से दी जा रही है। मीणा बताते हैं कि बच्चों की पढ़ाई के साथ वृद्धों की भी मेडिकल सुविधा, मतदाता सूची में नाम जुड़वाने, मतदान के लिए प्रेरित करने, आधार कार्ड बनवाने सहित अन्य कार्य भी किए जा रहे हैं।
Post published at www.nareshjangra.blogspot.com
साभार: भास्कर समाचार 
For getting Job-alerts and Education News, join our Facebook Group “EMPLOYMENT BULLETIN” by clicking HERE. Please like our Facebook Page HARSAMACHAR for other important updates from each and every field.