Sunday, February 26, 2017

आपकी अच्छी जिंदगी 25 से 50 वर्ष के बीच खेले गए 'मैच' पर निर्भर होती है

एन. रघुरामन (मैनेजमेंट गुरु)
'गुड मॉर्निंग सर,' उसने विशुद्ध यूरोपीय इंग्लिश लहजे में कहा और मैंने एक यांत्रिक जवाब दिया, 'गुड मॉर्निंग।' यह जानने के बावजूद कि टोन और लहजा मेरे जैसे मुंबईकर के लिए असामान्य है। उसने शायद समझ लिया
कि कोई चीज मुझे परेशान कर रही है। मैं जब उसकी टैक्सी में बैठ गया तो उसने कहा, 'सर, आपका परफ्यूम तो बहुत अच्छा है। यह जरूर 'पॉयज़न' होगा, जो हमेशा गहरी सुगंध देता है।' वह पिछले साल लॉन्च हुए हाई एंड परफ्यूम की बात कर रहा था। उसने एरोमा इंडस्ट्री में इस्तेमाल किए जाने वाले टेक्नीकल शब्द का भी इस्तेमाल किया। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं।मैं हमेशा मानता हूं कि टैक्सी ड्राइवर गंध से शराब की पहचान तो कर सकते हैं लेकिन, परफ्यूम ब्रैंड नहीं पहचान सकते। इसलिए मैंने उससे पूछा, 'आप कैसे जानते हैं?' उसने कहा, 'मेरे टोरंटो निवासी अंकल पिछले साल मेरे लिए लेकर आए थे।' उसके साथ बातचीत का सिलसिला चल निकलने से मुझे मजा गया। चूंकि एयरपोर्ट तक की सवारी में आठ मिनट लगने थे तो मैं चाहता था कि वह अधिक से अधिक बोले। शनिवार को 4:30 बजे मुझे आइडिया ऑफ भारत' पर तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में बोलना था। मुझे भीतर से लगा कि यह टैक्सी ड्राइवर जो अब तक मुझे मिले ड्राइवरों में से सबसे अलग था सिर्फ मुझे सम्मेलन में बोलने के लिए नया विषय दे सकता है बल्कि मेरे कॉलम का टॉपिक भी दे सकता है। और मैं गलत नहीं था। 
28 वर्षीय मिटुन छाबड़ा टैक्सी ड्राइवर के साथ 14 टैक्सियों का मालिक भी था और मुंबई के उपनगर विख्रोली का रहने वाला था। यह ऐसे पंजाबी परिवार का लाड़-दुलार में पला बेटा था, जिसकी किराए पर दिए मकानों से आय ही डेढ़ लाख रुपए प्रति माह से कम नहीं है। मिटुन ने मुंबई के रिजवी कॉलेज से पाक कला में ग्रेजुएशन किया था और ब्रिटेन से पोस्ट ग्रेजुएशन किया था। वहीं उसने जाना कि कैसे टैक्सी ड्राइवरों को अपने काम पर गर्व है, जो हमेशा दावा करते हैं कि वे तब के ब्रिटिश प्रधानमंत्री डेविड कैमरन से ज्यादा कमाते हैं। इस बीच मैंने उसके बाएं हाथ पर घाव का ताजा निशान देखा और पूछा कि यह कैसे हो गया तो उसने बताया कि पांच दिन पहले उसके हाथ पर सल्फ्यूरिक एसिड गिर गया था। 
पता चला कि परिवार केमिकल ट्रेडिंग कंपनी भी चलाता है (गंध पहचानने का हुनर वही से निकला है) नाम है श्री गिरिराज एसिड्स एंड केमिकल्स। वे हमारे देश में सल्फ्यूरिक और नाइट्रिक एसिड के सबसे बड़े व्यापारियों में से हैं। इन रसायनों को देश के विभिन्न भागों में ले जाने वाले ड्राइवर भी इतने वफादार हैं कि तीसरी-चौथी पीढ़ी भी उनके साथ ड्राइवर के रूप में काम करती है। एक तरफ तो मिटुन ने देखा कि पुराने ड्राइवर धीरे-धीरे इन रसायनों से लदे ट्रकों को ले जाने में ऊबने लगे हैं, क्योंकि इसके लिए सड़क पर ध्यान अत्यधिक केंद्रित रखना पड़ता है। दूसरी तरफ परिवार उस पर दबाव डाल रहा था कि 25 से 50 की उम्र के बीच खुद को आर्थिक रूप से सक्षम बनाने के लिए वह क्या करने वाला है। यह ऐसा नियम था, जिसे परिवार में हर व्यक्ति को मानना पड़ता है। 
मिटुन को एक आइडिया आया। उसने केमिकल कंपनियों के पुराने ड्राइवर लेकर उन्हें टैक्सी के व्यवसाय में लगा दिया और पैसेंजर ट्रांसपोर्ट कंपनी शुरू कर दी। बिज़नेस को खुद समझने के लिए और ड्राइवरों को कुछ भी गलत करने से रोकने के उद्‌देश्य से जल्दी सुबह के वक्त में वह खुद टैक्सी चलाता है। इसीलिए तो शनिवार को मुझे ले जाने के लिए वह गया। इसमें वह अच्छा पैसा कमा लेता है। 
क्रिकेटप्रेमी और खिलाड़ी के लिए इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि वह कौन-सा क्रिकेट खेलता है- पांच दिवसीय, एक दिवसीय, टी ट्वेंटी, आईपीएल, प्रदेश की टीम या रणजी मैच। इसी तरह इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप किस पेशे में हैं, जब तक कि आप सही तरीके से पर्याप्त पैसा कमाते रहते हैं। 
फंडा यह है कि यदिआपको लगता है कि अपनी जिंदगी के लिए आपको किसी पर निर्भर नहीं होना चाहिए तो 25 से 50 की उम्र के श्रेष्ठतम दौर में सही मैच खेलिए। 

Post published at www.nareshjangra.blogspot.com
साभार: भास्कर समाचार 
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