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साभार: जागरण समाचार
पलवल के उटावड़ की मरकजी मस्जिद के निर्माण में टेरर फंडिंग करने का आरोपित मोहम्मद सलमान नूंह (मेवात) और आसपास के मेव बहुल इलाके में मजहब की खिदमत और यतीमों की इमदाद के बहाने युवाओं के
बीच सक्रिय था। फलह-ए-इंसानियत फाउंडेशन(एफआइएफ) के डिप्टी चेयरमैन से जुड़ा था। यह पाक में रह रहे आतंकी हाफिज सईद के संगठन जमात-उद-दावा का सहयोगी संगठन है। सईद लश्कर-ए-तैयबा का संस्थापक भी है। एफआइएफ का डिप्टी चेयरमैन दुबई में रहता है। वह पाकिस्तानी है, उसी के जरिये सलमान इस संगठन के संपर्क में आया। उटावड़ में जन्मे सलमान की सक्रियता दिल्ली के निजामुद्दीन इलाके में थी। यहीं से वह एफआइए के उपप्रमुख के नेटवर्क में काम करता था और उसे दिल्ली के चांदनी चौक के कूचा घासीराम व कूृचा महाजन में हवाला के जरिये फंडिंग होती थी। सलमान ही जम्मू-कश्मीर के आतंकियों को रकम पहुंचाता था। अपने मकसद की सफलता के लिए सलमान मेवात व अन्य मुस्लिम क्षेत्रों में मस्जिद बनाने, गरीब लड़कियों के सामूहिक निकाह और यतीमों की मदद के बहाने रकम देकर अपने प्रभाव में लेता था। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) ने 25 सितंबर को दिल्ली के निजामुद्दीन क्षेत्र से मोहम्मद सलमान और उसके दो अन्य साथियों को 1.56 करोड़ रुपये और 43 हजार की नेपाली करेंसी के साथ गिरफ्तार किया था। एनआइए इनकी निशानदेही पर ही अब तक पलवल के उटावड़ के अलावा गुजरात, राजस्थान और श्रीनगर के दो केंद्रों पर जांच कर चुकी है।
10 तक एनआइए की रिमांड पर है सलमान और उसके दो साथी: सलमान और उसके दो साथी मोहम्मद सलीम उर्फ मामा और सज्जाद अहमद वानी फिलहाल 10 अक्टूबर तक एनआइए की रिमांड पर हैं। सूत्रों के अनुसार एनआइए को इन तीनों लोगों के एफआइएफ सहित अन्य आतंकी संगठनों से संबंधों का पुख्ता सुबूत है। सलमान मेवात के कुछ क्षेत्रों में जम्मू-कश्मीर से आने वाले अपने साथियों को भी ठहराता रहा है।पलवल में उटावड़ मस्जिद निर्माण के अलावा सलमान ने नूंह और अन्य प्रदेशों में भी लोगों की इमदाद करने के बहाने अपना प्रभाव जमाता था। उसे दुबई से हवाला के जरिये फंडिंग होती थी। हम उसके असल मकसद की तह तक जाना चाहते हैं। सारी जानकारियां जुटाने में थोड़ा समय इसलिए लग रहा है कि यह एक बड़ा नेटवर्क है। इन संगठनों के नेटवर्क में काम करने वाले व्यक्ति को सिर्फ उसके हिस्से के काम की ही जानकारी होती है।